ETV Bharat / state

ज्ञानवापी में आज कानपुर IIT की टीम जीपीआर मशीन से करेगी जांच - ज्ञानवापी की न्यूज हिंदी में

ज्ञानवापी में आज कानपुर IIT की टीम जीपीआर मशीन से जांच करेगी. चलिए जानते हैं इस बारे में.

Etv bharat
Etv bharat
author img

By

Published : Aug 9, 2023, 7:50 AM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में चल रहे एएसआई सर्वे का आज सातवां दिन है. 24 जुलाई को 4 घंटे तक हुए सर्वे के बाद 4 अगस्त से सर्वे की शुरुआत हुई और यह लगातार जारी है. कल के सर्वे में टीम मेंबर्स ने पूरी तरह से मुख्य गुंबद के अलावा पश्चिमी दीवार पर फोकस किया था और आज कानपुर से जीपीआर यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार कही जाने वाली मशीन वाराणसी पहुंच सकती है. माना जा रहा है कि कानपुर आईआईटी से एएसआई की टीम ने विशेष मदद मांगी है, ताकि जमीन के नीचे और दीवारों के अंदर छुपी वह सच्चाई सामने आ सके जिसका इंतजार सभी को है. 50 फुट तक जानकारी देने वाली यह मशीन कानपुर आईआईटी के पास उपलब्ध है. इसकी मदद से यह जांच आगे बढ़ाई जाएगी.

ज्ञानवापी परिसर में विशेषज्ञों की टीम 3D इमेज के जरिए पूरा नक्शा तैयार कर चुकी है. माना जा रहा है कि इमेज को वहां मौजूद स्ट्रक्चर से मेल करते हुए मंदिर जैसा आकार दिया गया है. जानने की कोशिश की गई है की दीवार वर्तमान में मौजूद इमारत का हिस्सा है या नहीं. किसी प्राचीन मंदिर का अवशेष तो नहीं है. इमारत के ऊपर और उसके नीचे मौजूद शिखर जैसी आकृति की जांच, व्यास जी के कमरे से मलबा निकालने के बाद उसमें मिल रहे पत्थरों और आकृतियों की अवशेष की जांच भी की जा रही है.

मंदिर पक्ष के सुभाष चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी ने बताया है कि पश्चिमी दीवार की 3D इमेज तैयार करने के लिए टीम ने कई जगहों डीजीपीएस मशीन लगाई हुई है जो सेटेलाइट के जरिए ऑपरेट हो रही है. मशीन से जुड़े हुए टेबलेट पर हुबहू वही स्ट्रक्चर उतर रहा है, जो वर्तमान रूप में मौजूद है और उसके अंदर की हकीकत क्या है. उस पर भी काम शुरू किया जा रहा है.

सर्वे की कार्रवाई आज भी 8:00 बजे सुबह से शुरू होगी और शाम 5:00 बजे तक चलेगी. सभी स्थानों पर वीडियो और फोटोग्राफी की कार्रवाई लगातार जारी है. टीम ने अलग-अलग आकृतियों पत्थरों, मिट्टी, सुर्खी चूना और दीवारों पर हुए चूने को हटाकर दीवारो की कलाकृतियों और उसके बनावट के तरीके की सैंपलिंग करते हुए यहां अब तक की कार्रवाई में दिखाई दी पश्चिमी दीवार पर त्रिशूल, पत्तों और घंटे घड़ियाल के निशानों के अलावा कमल के फूल जैसी आकृति कि नाप जोक करने के साथ ही इसके सैंपल भी कलेक्ट किये हैं, ताकि इनके निर्माण के समय और निर्माण के तरीके का पता लगाया जा सके.

वहीं, एएसआई की टीम अब सर्वे के साथ-साथ रिपोर्ट तैयार करने का काम भी शुरू करने जा रही है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक 4 सप्ताह के अंदर एएसआई की टीम को अपनी रिपोर्ट सबमिट करनी है. जिसके बाद एएसआई की टीम इस काम को पूरा करने के साथ ही रिपोर्ट भी तैयार करने में जुट गई है.

छह अलग-अलग चरणों में होगी जांच
पहले चरण में आंकड़ों के संग्रह का काम किया जा रहा है जिससे पुरातात्विक स्थल पर मिल रहे और दिख रहे मलबे इससे कालखंड को जानने की कोशिश के साथ ही इसके ड्राइंग और आंकड़े तैयार करने का काम पूरा किया जा रहा है. द्वितीय चरण में पूरे परिसर का रेखा चित्र बनाया जा रहा है. जिससे इमारत का संभावित प्रारूप और नक्शा तैयार किया जा सके. इससे यह पता चल सकता है कि किस काल खंड में भवन किस रूप में दिखाई देता था. तीसरे चरण में निर्माण में प्रयोग किए गए चीजों का विश्लेषण किया जाएगा और उससे यह स्पष्ट होगा कि किस काल खंड में और किस परंपरा के अनुरूप इस चीजों का निर्माण किया गया है. चौथे चरण में जीपीआर सर्वे के जरिए जमीन और दीवारों के अंदर छुपी सच्चाई को सामने लाने का काम किया जाएगा.पांचवें चरण में तथ्यों का पुनः विश्लेषण और सर्वे के दौरान संभावित कालखंड का निर्धारित मानक का अध्ययन करने के बाद अंतिम छठे चरण में पूरी रिपोर्ट तैयार होगी जो वैज्ञानिक तथ्यपरक के आधार पर कोर्ट के समक्ष रखी जाएगी.

ये भी पढ़ेंः राष्ट्रीय लोक दल ने समाजवादी पार्टी से की 12 लोकसभा सीटों की डिमांड, पशोपेश में सपा मुखिया

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में चल रहे एएसआई सर्वे का आज सातवां दिन है. 24 जुलाई को 4 घंटे तक हुए सर्वे के बाद 4 अगस्त से सर्वे की शुरुआत हुई और यह लगातार जारी है. कल के सर्वे में टीम मेंबर्स ने पूरी तरह से मुख्य गुंबद के अलावा पश्चिमी दीवार पर फोकस किया था और आज कानपुर से जीपीआर यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार कही जाने वाली मशीन वाराणसी पहुंच सकती है. माना जा रहा है कि कानपुर आईआईटी से एएसआई की टीम ने विशेष मदद मांगी है, ताकि जमीन के नीचे और दीवारों के अंदर छुपी वह सच्चाई सामने आ सके जिसका इंतजार सभी को है. 50 फुट तक जानकारी देने वाली यह मशीन कानपुर आईआईटी के पास उपलब्ध है. इसकी मदद से यह जांच आगे बढ़ाई जाएगी.

ज्ञानवापी परिसर में विशेषज्ञों की टीम 3D इमेज के जरिए पूरा नक्शा तैयार कर चुकी है. माना जा रहा है कि इमेज को वहां मौजूद स्ट्रक्चर से मेल करते हुए मंदिर जैसा आकार दिया गया है. जानने की कोशिश की गई है की दीवार वर्तमान में मौजूद इमारत का हिस्सा है या नहीं. किसी प्राचीन मंदिर का अवशेष तो नहीं है. इमारत के ऊपर और उसके नीचे मौजूद शिखर जैसी आकृति की जांच, व्यास जी के कमरे से मलबा निकालने के बाद उसमें मिल रहे पत्थरों और आकृतियों की अवशेष की जांच भी की जा रही है.

मंदिर पक्ष के सुभाष चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी ने बताया है कि पश्चिमी दीवार की 3D इमेज तैयार करने के लिए टीम ने कई जगहों डीजीपीएस मशीन लगाई हुई है जो सेटेलाइट के जरिए ऑपरेट हो रही है. मशीन से जुड़े हुए टेबलेट पर हुबहू वही स्ट्रक्चर उतर रहा है, जो वर्तमान रूप में मौजूद है और उसके अंदर की हकीकत क्या है. उस पर भी काम शुरू किया जा रहा है.

सर्वे की कार्रवाई आज भी 8:00 बजे सुबह से शुरू होगी और शाम 5:00 बजे तक चलेगी. सभी स्थानों पर वीडियो और फोटोग्राफी की कार्रवाई लगातार जारी है. टीम ने अलग-अलग आकृतियों पत्थरों, मिट्टी, सुर्खी चूना और दीवारों पर हुए चूने को हटाकर दीवारो की कलाकृतियों और उसके बनावट के तरीके की सैंपलिंग करते हुए यहां अब तक की कार्रवाई में दिखाई दी पश्चिमी दीवार पर त्रिशूल, पत्तों और घंटे घड़ियाल के निशानों के अलावा कमल के फूल जैसी आकृति कि नाप जोक करने के साथ ही इसके सैंपल भी कलेक्ट किये हैं, ताकि इनके निर्माण के समय और निर्माण के तरीके का पता लगाया जा सके.

वहीं, एएसआई की टीम अब सर्वे के साथ-साथ रिपोर्ट तैयार करने का काम भी शुरू करने जा रही है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक 4 सप्ताह के अंदर एएसआई की टीम को अपनी रिपोर्ट सबमिट करनी है. जिसके बाद एएसआई की टीम इस काम को पूरा करने के साथ ही रिपोर्ट भी तैयार करने में जुट गई है.

छह अलग-अलग चरणों में होगी जांच
पहले चरण में आंकड़ों के संग्रह का काम किया जा रहा है जिससे पुरातात्विक स्थल पर मिल रहे और दिख रहे मलबे इससे कालखंड को जानने की कोशिश के साथ ही इसके ड्राइंग और आंकड़े तैयार करने का काम पूरा किया जा रहा है. द्वितीय चरण में पूरे परिसर का रेखा चित्र बनाया जा रहा है. जिससे इमारत का संभावित प्रारूप और नक्शा तैयार किया जा सके. इससे यह पता चल सकता है कि किस काल खंड में भवन किस रूप में दिखाई देता था. तीसरे चरण में निर्माण में प्रयोग किए गए चीजों का विश्लेषण किया जाएगा और उससे यह स्पष्ट होगा कि किस काल खंड में और किस परंपरा के अनुरूप इस चीजों का निर्माण किया गया है. चौथे चरण में जीपीआर सर्वे के जरिए जमीन और दीवारों के अंदर छुपी सच्चाई को सामने लाने का काम किया जाएगा.पांचवें चरण में तथ्यों का पुनः विश्लेषण और सर्वे के दौरान संभावित कालखंड का निर्धारित मानक का अध्ययन करने के बाद अंतिम छठे चरण में पूरी रिपोर्ट तैयार होगी जो वैज्ञानिक तथ्यपरक के आधार पर कोर्ट के समक्ष रखी जाएगी.

ये भी पढ़ेंः राष्ट्रीय लोक दल ने समाजवादी पार्टी से की 12 लोकसभा सीटों की डिमांड, पशोपेश में सपा मुखिया

ये भी पढ़ेंः अब दुनिया में आगरा के लेदर फुटवियर का बजेगा डंका, मिला जीआई टैग

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.