वाराणसी : ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मंगलवार को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल निगरानी याचिका की पोषणीयता पर जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के निर्णय के खिलाफ निगरानी याचिका दायर करने पर आपत्ति जताते हुए इसका विरोध किया. इस दौरान दलील दी गई कि सिविल जज का निर्णय अंतरिम आदेश है. इस आदेश के खिलाफ निगरानी याचिका दाखिल नहीं की जा सकती.
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता तौहिद खान की ओर से दलील दी गई कि सिविल जज का आदेश फाइनल आदेश है. फाइनल आदेश के खिलाफ निगरानी याचिका पोषणीय है और ग्राह्य करने योग्य है. ऐसे में उनकी तरफ से दाखिल निगरानी याचिका को स्वीकार किया जाए. जिस पर अपर जिला जज ने दोनों पक्षों की बहस सुनी. बहस सुनने के बाद सिविल जज की अदालत से तलब की गई, संपूर्ण पत्रावलियों के अवलोकन के बाद सिविल रिविजन के एडमिशन पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. माना जा रहा है कि बुधवार को फैसला सुनाया जा सकता है.
कोर्ट पहले ही लगा चुका है जुर्माना
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर मंगलवार को अदालत में सुनवाई लंच के बाद में शुरू हुई. इस बाबत जिला कोर्ट तय करेगा कि केस सिविल कोर्ट या वक्फ ट्रिब्यूनल लखनऊ में चलेगा. इससे पूर्व हुई सुनवाई के दौरान ज्ञानवापी मामले में पक्षकार उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता की ओर से दाखिल विलंब माफी के प्रार्थना पत्र को जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत ने 3 हजार रुपए जुर्माने के साथ मंजूर कर लिया था. अदालत ने एक सप्ताह के भीतर जुर्माना जमा करने का आदेश देते हुए निगरानी याचिका पर सुनवाई के लिए 13 अक्टूबर की तिथि नियत की थी. मंगलवार को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जुर्माने की रकम भी अदा की.
वादमित्र ने जताई आपत्ति
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) के निर्णय के खिलाफ निगरानी याचिका दायर करने में हुए विलंब के लिए क्षमा मांगते हुए जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था. इस प्रार्थना पत्र पर प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र ने निर्धारित समयावधि के बाद याचिका दायर करने पर आपत्ति जतायी थी. फिलहाल अब बुधवार को आने वाले फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.