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स्टेडियम में साल भर में बढ़ गए जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

खिलाड़ियों का भविष्य संवारने के लिए केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही है. यही नहीं राज्य भी अपने खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने के लिए अच्छी प्लानिंग कर रहे हैं. वाराणसी के डॉक्टर संपूर्णानंद स्टेडियम में इन दिनों हाथों में जैवलिन लेकर अपने भविष्य की तरफ निशाना लगाने वाले खिलाड़ियों की संख्या अच्छी खासी हो गई है.

जैवलिन थ्रो गेम
जैवलिन थ्रो गेम
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Published : Jan 26, 2022, 10:43 AM IST

Updated : Jan 26, 2022, 11:22 AM IST

वाराणसी: देश में खिलाड़ियों के भविष्य को संवारने के लिए सरकार तमाम योजनाएं चला रही हैं. खेलो इंडिया जैसी केंद्र सरकार की योजनाएं खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का काम भी कर रही हैं. कई राज्य खेलों को लेकर बेहतर तरीके से प्लानिंग कर रहे हैं जिसकी वजह से नए खेलों के प्रति भी लोगों का नजरिया बदलने लगा है, लेकिन इन सबसे ज्यादा खिलाड़ियों का ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन और जैवलिन थ्रो जैसे गेम में नीरज चोपड़ा का गोल्ड मेडल लाना युवा खिलाड़ियों को इस गेम की तरफ आकर्षित कर रहा है. शायद यही वजह है कि नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल लाने के बाद खेल के मैदान में जब मित्रों को लेकर खिलाड़ियों के संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है.

वाराणसी के डॉक्टर संपूर्णानंद स्टेडियम में इन दिनों हाथों में जैवलिन लेकर अपने भविष्य की तरफ निशाना लगाने वाले खिलाड़ियों की संख्या अच्छी खासी हो गई है. यह हालात अगस्त 2021 के बाद अचानक से बेहतर होते जा रहे हैं. यह हम नहीं कह रहे बल्कि स्टेडियम में जैवलिन थ्रो के खिलाड़ियों की बढ़ रही संख्या बयां कर रही है. यहां पर जैवलिन समेत अन्य खिलाड़ियों को तैयार करने वाले कोच भी यह मान रहे हैं कि नीरज चोपड़ा का जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल लाना इस खेल के प्रति युवाओं को तेजी से अपनी और आकर्षित कर रहा है.

डॉक्टर संपूर्णानंद स्टेडियम में जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी.
सबसे बड़ी बात यह है कि बनारस ही नहीं बल्कि बनारस के आसपास जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, भदोही समेत चंदौली और अन्य कई जनपदों के युवा तेजी से इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं.

यह भी पढ़ें: पाक की जीत पर जश्न मामले का मामला: कश्मीरी छात्रों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल

कोच समेत क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी का कहना है कि यह बड़ा परिवर्तन नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल लाने के बाद देखने को मिला है. कई खिलाड़ी तो ऐसे हैं जो कबड्डी और अन्य खेलों को खेल रहे थे, लेकिन जैवलिन थ्रो में अपना भविष्य अब तलाशने लगे हैं. वही इस तरफ आने वाले युवा खिलाड़ियों का भी यही मानना है कि अभी इस गेम में काफी स्कोप है. बहुत से लोग तेजी से इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं और जो शुरुआती दौर में इस से जुड़ेगा उसे बड़ा फायदा भी मिलेगा. भविष्य भी बेहतर होगा और देश के लिए कुछ कर दिखाने का जज्बा भी अंदर पैदा होता रहेगा. शायद यही वजह है कि 2021 के पहले जहां बनारस में जैवलिन थ्रो खेलने वाले या प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों की संख्या चार से पांच हुआ करती थी. वर्तमान परिदृश्य में वह संख्या 15 से ज्यादा हो गई है यानी तेजी से इस तरफ युवा आकर्षित हो रहे हैं मैदान में पसीना बहा कर अपने भविष्य के साथ देश के लिए मेडल लाने की जद्दोजहद में दिन रात पसीना बहा रहे हैं.

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वाराणसी: देश में खिलाड़ियों के भविष्य को संवारने के लिए सरकार तमाम योजनाएं चला रही हैं. खेलो इंडिया जैसी केंद्र सरकार की योजनाएं खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का काम भी कर रही हैं. कई राज्य खेलों को लेकर बेहतर तरीके से प्लानिंग कर रहे हैं जिसकी वजह से नए खेलों के प्रति भी लोगों का नजरिया बदलने लगा है, लेकिन इन सबसे ज्यादा खिलाड़ियों का ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन और जैवलिन थ्रो जैसे गेम में नीरज चोपड़ा का गोल्ड मेडल लाना युवा खिलाड़ियों को इस गेम की तरफ आकर्षित कर रहा है. शायद यही वजह है कि नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल लाने के बाद खेल के मैदान में जब मित्रों को लेकर खिलाड़ियों के संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है.

वाराणसी के डॉक्टर संपूर्णानंद स्टेडियम में इन दिनों हाथों में जैवलिन लेकर अपने भविष्य की तरफ निशाना लगाने वाले खिलाड़ियों की संख्या अच्छी खासी हो गई है. यह हालात अगस्त 2021 के बाद अचानक से बेहतर होते जा रहे हैं. यह हम नहीं कह रहे बल्कि स्टेडियम में जैवलिन थ्रो के खिलाड़ियों की बढ़ रही संख्या बयां कर रही है. यहां पर जैवलिन समेत अन्य खिलाड़ियों को तैयार करने वाले कोच भी यह मान रहे हैं कि नीरज चोपड़ा का जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल लाना इस खेल के प्रति युवाओं को तेजी से अपनी और आकर्षित कर रहा है.

डॉक्टर संपूर्णानंद स्टेडियम में जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी.
सबसे बड़ी बात यह है कि बनारस ही नहीं बल्कि बनारस के आसपास जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, भदोही समेत चंदौली और अन्य कई जनपदों के युवा तेजी से इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं.

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कोच समेत क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी का कहना है कि यह बड़ा परिवर्तन नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल लाने के बाद देखने को मिला है. कई खिलाड़ी तो ऐसे हैं जो कबड्डी और अन्य खेलों को खेल रहे थे, लेकिन जैवलिन थ्रो में अपना भविष्य अब तलाशने लगे हैं. वही इस तरफ आने वाले युवा खिलाड़ियों का भी यही मानना है कि अभी इस गेम में काफी स्कोप है. बहुत से लोग तेजी से इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं और जो शुरुआती दौर में इस से जुड़ेगा उसे बड़ा फायदा भी मिलेगा. भविष्य भी बेहतर होगा और देश के लिए कुछ कर दिखाने का जज्बा भी अंदर पैदा होता रहेगा. शायद यही वजह है कि 2021 के पहले जहां बनारस में जैवलिन थ्रो खेलने वाले या प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों की संख्या चार से पांच हुआ करती थी. वर्तमान परिदृश्य में वह संख्या 15 से ज्यादा हो गई है यानी तेजी से इस तरफ युवा आकर्षित हो रहे हैं मैदान में पसीना बहा कर अपने भविष्य के साथ देश के लिए मेडल लाने की जद्दोजहद में दिन रात पसीना बहा रहे हैं.

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Last Updated : Jan 26, 2022, 11:22 AM IST
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