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काशी में दिखा गुरु-शिष्य परंपरा का अनोखा दृश्य - वाराणसी समाचार

मंगलवार को जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती वाराणसी पहुंचे. वह यहां उपने गुरु और काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो रामयत्न शुक्ल से मिलने आए थे. बता दें कि प्रो रामयत्न शुक्ल को इस वर्ष गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है.

गुरु-शिष्य परंपरा का अनोखा दृश्य
गुरु-शिष्य परंपरा का अनोखा दृश्य
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Published : Feb 2, 2021, 7:05 PM IST

वाराणसी: प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली काशी को गुरु और शिष्य परंपरा का शहर भी कहा जाता है.मंगलवार को इसकी बेजोड़ मिसाल तब देखने को मिली जब जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती अपने गुरु और काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो रामयत्न शुक्ल के शंकुधारा पोखरा स्थित आवास पर पहुंचे. उन्होंने पद्मश्री सम्मान मिलने पर उनका अभिनंदन किया. इस दौरान उनके बीच श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण पर भी चर्चा हुई.

प्रो रामयत्न शुक्ल से मिलने पहुंचे उनके शिष्य जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती.
गौरवशाली पल
संस्कृत के ज्ञाता एवं व्याकरण के महाज्ञानी महामहोपाध्याय पुरस्कार से विभूषित प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल के शिष्य शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद ने अपने गुरु को अंगवस्त्रम एवं पुष्प की माला वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ पहनाई और अभिनंदन किया. इस पल को देखकर यह एहसास हुआ कि गुरु हमेशा गुरु रहता है. गुरु का शिष्य शंकराचार्य बनने पर भी अपने गुरु के पास आकर एक शिशु के भांति ही साधारण शिष्य ही रहता है. शंकराचार्य की पदवी संभालने वाले स्वामी वासुदेवानंद ने एक साधारण शिष्य की भांति अपने गुरु का अभिनंदन किया और खुद को और पूरे संस्कृत जगत को गौरवान्वित किया.
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने अपने गुरू को पहनाई माला.
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने अपने गुरु को पहनाई माला.
काशी के महान संतों को दिया ज्ञान
प्रो रामयत्न शुक्ल ने ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी गुरु शरणानंद, रामानंदाचार्य, स्वामी रामभद्राचार्य ऐसे संतो को विद्यादान देने का कार्य किया है. देश के लगभग 6 विश्वविद्यालयों में उनके द्वारा पढ़ाए गए शिष्य बतौर कुलपति कार्य कर रहे है.इस मौके पर शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा गुरु आचार्य रामयत्न शुक्ल की विद्वता का उनकी तपस्या का सरकार ने सम्मान किया. उनको पद्मश्री की पदवी प्रदान की. इससे संत समाज बहुत ही प्रसन्न है.

कौन-कौन से सम्मान से विभूषित हुए हैं प्रो रामयत्न शुक्ल
प्रो रामयत्न शुक्ल को राष्ट्रपति पुरस्कार, केशव पुरस्कार, महामहोपाध्याय पुरस्कार, वाचस्पति पुरस्कार, भाव भावेश्वर राष्ट्रीय पुरस्कार, अभिनव पालनी पुरस्कार, विशिष्ट पुरस्कार, कर पात्र रत्न पुरस्कार, सरस्वती पुत्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. अब उन्हें सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
और पहले मिलना चाहिए था सम्मान

शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा यह सम्मान और पहले ही होना चाहिए था, लेकिन जब बाबा विश्वनाथ की कृपा होती है तब ही कुछ होता है.उन्होंने कहा प्रो रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री सम्मान मिलना हम सब के लिए गौरव का विषय है. उन्होंने बताया कि प्रयागराज से चलकर वह अपने गुरु के दर्शन और बातचीत के लिए काशी आए हैं. उन्होंने बताया कि काशी में और कोई कार्यक्रम नहीं है. वह यहां से वापस प्रयाग लौट जाएंगे.

वाराणसी: प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली काशी को गुरु और शिष्य परंपरा का शहर भी कहा जाता है.मंगलवार को इसकी बेजोड़ मिसाल तब देखने को मिली जब जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती अपने गुरु और काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो रामयत्न शुक्ल के शंकुधारा पोखरा स्थित आवास पर पहुंचे. उन्होंने पद्मश्री सम्मान मिलने पर उनका अभिनंदन किया. इस दौरान उनके बीच श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण पर भी चर्चा हुई.

प्रो रामयत्न शुक्ल से मिलने पहुंचे उनके शिष्य जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती.
गौरवशाली पल
संस्कृत के ज्ञाता एवं व्याकरण के महाज्ञानी महामहोपाध्याय पुरस्कार से विभूषित प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल के शिष्य शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद ने अपने गुरु को अंगवस्त्रम एवं पुष्प की माला वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ पहनाई और अभिनंदन किया. इस पल को देखकर यह एहसास हुआ कि गुरु हमेशा गुरु रहता है. गुरु का शिष्य शंकराचार्य बनने पर भी अपने गुरु के पास आकर एक शिशु के भांति ही साधारण शिष्य ही रहता है. शंकराचार्य की पदवी संभालने वाले स्वामी वासुदेवानंद ने एक साधारण शिष्य की भांति अपने गुरु का अभिनंदन किया और खुद को और पूरे संस्कृत जगत को गौरवान्वित किया.
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने अपने गुरू को पहनाई माला.
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने अपने गुरु को पहनाई माला.
काशी के महान संतों को दिया ज्ञान
प्रो रामयत्न शुक्ल ने ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी गुरु शरणानंद, रामानंदाचार्य, स्वामी रामभद्राचार्य ऐसे संतो को विद्यादान देने का कार्य किया है. देश के लगभग 6 विश्वविद्यालयों में उनके द्वारा पढ़ाए गए शिष्य बतौर कुलपति कार्य कर रहे है.इस मौके पर शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा गुरु आचार्य रामयत्न शुक्ल की विद्वता का उनकी तपस्या का सरकार ने सम्मान किया. उनको पद्मश्री की पदवी प्रदान की. इससे संत समाज बहुत ही प्रसन्न है.

कौन-कौन से सम्मान से विभूषित हुए हैं प्रो रामयत्न शुक्ल
प्रो रामयत्न शुक्ल को राष्ट्रपति पुरस्कार, केशव पुरस्कार, महामहोपाध्याय पुरस्कार, वाचस्पति पुरस्कार, भाव भावेश्वर राष्ट्रीय पुरस्कार, अभिनव पालनी पुरस्कार, विशिष्ट पुरस्कार, कर पात्र रत्न पुरस्कार, सरस्वती पुत्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. अब उन्हें सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
और पहले मिलना चाहिए था सम्मान

शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा यह सम्मान और पहले ही होना चाहिए था, लेकिन जब बाबा विश्वनाथ की कृपा होती है तब ही कुछ होता है.उन्होंने कहा प्रो रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री सम्मान मिलना हम सब के लिए गौरव का विषय है. उन्होंने बताया कि प्रयागराज से चलकर वह अपने गुरु के दर्शन और बातचीत के लिए काशी आए हैं. उन्होंने बताया कि काशी में और कोई कार्यक्रम नहीं है. वह यहां से वापस प्रयाग लौट जाएंगे.

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