वाराणसी: मुंबई में हुए आतंकी हमले (26 नवंबर 2008) को गुरुवार को 12 साल पूरे हो गए हैं. इस आतंकी घटना को अब तक देश भूल नहीं सका है. हमले की रात आतंकी कसाब और उसके साथियों की गोलियों से शिवाजी टर्मिनल स्टेशन लहूलुहान हो चुका था. इसी बीच एक शख्स ने बहादुरी दिखाते हुए कसाब से टक्कर ली थी और साथी की बंदूक छीनकर उस पर फायर किया था. अजमल कसाब को खदेड़ने वाला कोई और नहीं, बल्कि वाराणसी के मोहाव गांव का आरपीएफ जवान जिल्लू यादव था. वह उस वक्त स्टेशन पर आतंकी अजमल कसाब से मोर्चा ले रहा था.
निहत्थे ही संभाल लिया था मोर्चा
जिल्लू यादव ने 26/11 की पूरी घटना बयां की. उन्होंने बताया कि आतंकी स्टेशन को मानो कब्रिस्तान बना देना चाहते थे. उनकी तैनाती उस समय वहीं थी. इस दौरान उन्हें अचानक गोलियों की आवाज के साथ लोगों की चीख गूंजने लगी. हर तरफ लाशें बिखरने लगीं. इस दौरान दो आतंकियों से उनका सामना हुआ. आतंकी कसाब मासूमों पर अंधाधुंध फायर कर रहा था. निहत्था होने के कारण उसने कसाब पर कुर्सी खींचकर मारी. इससे वह कुछ पलों के लिए भाग खड़ा हुआ था. इसके बाद कसाब ने उन पर एके 47 से 15 राउंड से ज्यादा फायर किए. तब तक वह आसानी से दीवार की आड़ में हो गए थे. उन्होंने तुरंत अपने साथी से फायर के लिए बोला, लेकिन वे डर की वजह से फायर नहीं कर पा रहे थे. जिल्लू ने साथी से 303 बोर की राइफल छीन ली और संभलकर कसाब पर फायर झोंकना शुरू कर दिया. इससे वह पीछे हट गया.
बराक ओबामा ने भी किया था सम्मानित
भारत के राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के द्वारा वीरता मेडल पुरस्कार भी दिया गया था. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी जिल्लू यादव को सम्मानित किया था. तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा दस लाख रुपये का पुरस्कार भी दिया गया था. वहीं जिल्लू यादव ने बताया कि घटना के बाद पहली बार जब वह गांव आए थे, उस समय तत्कालीन विधायक सहित पूरे गांव के लोगों ने मोहाव चौराहे पर एकत्रित होकर सम्मानित किया था.
आरपीएफ में हवलदार थे जिल्लू यादव
घटना के बाद प्रमोशन देकर जिल्लू यादव को एसआई की पोस्ट दे दी गई थी. अप्रैल, 2017 तक सब इंस्पेक्टर के पद पर रहने के बाद जिल्लू यादव रिटायर होकर गांव आ गए. गांव आने के बाद जिल्लू यादव अपने बेटों और पत्नी के साथ घर पर ही रहकर किसानी कर रहे हैं.