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वाराणसी: बीएचयू में स्कंद गुप्त विक्रमादित्य पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन - काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहुंचे गृृह मंत्री

वाराणसी के बीएचयू में भारत अध्ययन केंद्र द्वारा वीर योद्धा स्कंद गुप्त विक्रमादित्य का पुण्य स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ. समापन सत्र में वक्ताओं ने अपनी अपनी बात रखी और स्कंद गुप्त के इस पुनः स्मरण को हर विश्वविद्यालय और कॉलेजों तक ले जाने का संकल्प लिया.

बीएचयू में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन.
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Published : Oct 19, 2019, 1:13 PM IST

वाराणसी: गुप्त वंश के वीर स्कंद गुप्त विक्रमादित्य के 1600 वर्ष बाद बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ था, जिसका शुक्रवार को समापन हो गया. देश विदेश से विद्वानों ने अपनी बात रखी और गुप्त वंश पर चर्चा की. संगोष्ठी का समापन सत्र के दौरान सभी ने इस बात को माना कि देश की आजादी के साथ हूणों के आक्रमण से स्कंद गुप्त ने देश को बचाया. हम भले ही उन्हें इतिहास में भूल गए, लेकिन अब स्वर्णिम युग है, उन्हें फिर से याद करने का. इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह सहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए थे.

बीएचयू में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन.

गुप्त साम्राज्य का दायरा दक्षिण एशिया में फैला था
विद्वानों का मानना है कि जो गुप्त साम्राज्य शासन भारत में चल रहा था, उसका दायरा दक्षिण एशिया में फैला था. इसका प्रभाव श्रीलंका और अनेक देशों तक विद्वानों ने माना है. कम से कम इन पूरे क्षेत्र में जो कला संस्कृति स्थापित्य है, मंदिर की वास्तु रचना है, इन सब पर स्कंद गुप्त के समय भी काफी काम हुआ है. विशेष करके जो बौद्ध शिक्षा के केंद्र हो गए थे, उनको भी पूरा राजकीय समर्थन गुप्त साम्राज्य ने दिया.

गुप्त साम्राज्य का जो दायरा था वह लगभग लगभग दक्षिण एशिया है. थाईलैंड, वियतनाम सहित मलेशिया और इंडोनेशिया इन सब देशों पर गुप्त साम्राज्य का बहुत गंभीर असर था. सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से तमाम जो द्विपक्षीय व्यापार संबंध चलते हैं इसकी बुनियाद भी उस समय से ही थी.
-प्रो राकेश उपाध्याय, भारत अध्ययन, केंद्र बीएचयू

वाराणसी: गुप्त वंश के वीर स्कंद गुप्त विक्रमादित्य के 1600 वर्ष बाद बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ था, जिसका शुक्रवार को समापन हो गया. देश विदेश से विद्वानों ने अपनी बात रखी और गुप्त वंश पर चर्चा की. संगोष्ठी का समापन सत्र के दौरान सभी ने इस बात को माना कि देश की आजादी के साथ हूणों के आक्रमण से स्कंद गुप्त ने देश को बचाया. हम भले ही उन्हें इतिहास में भूल गए, लेकिन अब स्वर्णिम युग है, उन्हें फिर से याद करने का. इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह सहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए थे.

बीएचयू में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन.

गुप्त साम्राज्य का दायरा दक्षिण एशिया में फैला था
विद्वानों का मानना है कि जो गुप्त साम्राज्य शासन भारत में चल रहा था, उसका दायरा दक्षिण एशिया में फैला था. इसका प्रभाव श्रीलंका और अनेक देशों तक विद्वानों ने माना है. कम से कम इन पूरे क्षेत्र में जो कला संस्कृति स्थापित्य है, मंदिर की वास्तु रचना है, इन सब पर स्कंद गुप्त के समय भी काफी काम हुआ है. विशेष करके जो बौद्ध शिक्षा के केंद्र हो गए थे, उनको भी पूरा राजकीय समर्थन गुप्त साम्राज्य ने दिया.

गुप्त साम्राज्य का जो दायरा था वह लगभग लगभग दक्षिण एशिया है. थाईलैंड, वियतनाम सहित मलेशिया और इंडोनेशिया इन सब देशों पर गुप्त साम्राज्य का बहुत गंभीर असर था. सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से तमाम जो द्विपक्षीय व्यापार संबंध चलते हैं इसकी बुनियाद भी उस समय से ही थी.
-प्रो राकेश उपाध्याय, भारत अध्ययन, केंद्र बीएचयू

Intro:वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में भारत अध्ययन केंद्र द्वारा वीर योद्धा स्कंद गुप्त विक्रमादित्य का पुण्य स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। समापन सत्र में वक्ताओं ने अपनी अपनी बात रखी और स्कंद गुप्त के इस स्वर्ण में पुनः स्मरण को हर विश्वविद्यालय और कॉलेजों में ले जाया जाएगा।


Body:गुप्त वंश वीर स्कंद गुप्त विक्रमादित्य के 1600 वर्ष बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें देश विदेश से विद्वानों ने अपनी बात रखी और गुप्त वंश पर चर्चा हुआ आज समापन सत्र के दौरान सभी ने इस बात को माना कि देश की आजादी के साथ हूणों के आक्रमण स्कंद गुप्त ने देश को बचाया हम भले ही उन्हें इतिहास में भूल गए लेकिन अब स्वर्णिमा युग है उन्हें फिर से याद करने का। आपको बताते चलें कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम में देश के गृह मंत्री अमित शाह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे शामिल हुए थे।

चर्चा में यह बात निकला और सब का मानना है कि एक तरह से ऐसा सब विद्वानों का मानना है जैसे एक ही शासन भारत में जो चल रहा था गुप्त साम्राज्य के समय वही शासन उन देशों में भी चल रहा था इसका प्रभाव श्रीलंका और अनेक देशों तक विद्वानों ने माना है। कम से कम इन पूरे क्षेत्र में जो कला है संस्कृति है स्थापत्य है मंदिर की वास्तु है रचना है इन सब पर स्कंद गुप्त के समय भी काफी काम हुआ है विशेष करके जो बौद्ध शिक्षा के केंद्र हो गए थे उनको भी पूरा राजकीय समर्थन दिया सहायता दिया। सब संप्रदायों के लिए बहुत सुंदर सम्मान एक स्थान सब के प्रति जो भारत की परंपरा रही उसी स्वभाव को स्कंद गुप्त के समय भी पूरा संरक्षण मिला है। राजनीतिक रूप से भारत एक राष्ट्र रहे एक सुरक्षित देश रहे इस पर भी गंभीर रूप से चर्चा हुआ क्योंकि जो मूल यहां है जो वैल्यूज है जो कल्चर है उन को सुरक्षित रखने के लिए राजनीतिक रूप से भारत की एकता है
उसके दिशा पर विद्वानों ने चर्चा किया।



Conclusion:प्रो राकेश उपाध्याय ने बातया स्कंद गुप्त विक्रमादित्य का पुनः स्मरण और भारत राष्ट्रीय राजनीति भविष्य इस विषय पर हमारा कार्यक्रम जो आज समाप्त हो रहा है। देश विदेश से आए वक्ताओं का कुल मिलाकर यह विचार है कि गुप्त साम्राज्य का जो दायरा था वह लगभग लगभग यह जो सारा दक्षिण एशिया है जिसको वह अपने व्यापक स्तर पर समाया हुआ था। थाईलैंड है वियतनाम है आपका मलेशिया इंडोनेशिया इन सब देशों पर गुप्त साम्राज्य का बहुत गंभीर असर था सांस्कृतिक असर था राजनीतिक रूप से और तमाम जो द्विपक्षीय व्यापार संबंध चलते हैं इसकी बुनियाद भी उस समय से ही थी। सबने यही माना विशेष रूप से जो घुसपैठ है जो सांस्कृतिक सीमाओं का अतिक्रमण करती है
घुसपैठ के विरुद्ध राजनीतिक रूप से एक काम होना चाहिए इस पर सहमति जताया अनेक प्रकार की बातें निकल कर सामने आई है । सब लोग एक संकल्प लेकर जा रहे हैं स्कंद गुप्त का जो हम लोगों ने पुनः स्मरण किया है इस यात्रा को हम आगे भी जारी रखेंगे विद्वानों की राय और जो भी पुरातात्विक स्रोत है उनको लेकर ओर भी ध्यान दें जो हमारे स्रोत हैं मुद्राएं है उनको एक बार दोबारा जाना चाहिए। पुरातत्विक आधार पर भी उन पर एक बार फिर रिसर्च होना चाहिए

बाईट :--- प्रो राकेश उपाध्याय, भारत अध्ययन, केंद्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय

अशुतोष उपाध्याय
9005099684
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