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अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2021: मरीजों की सेवा और कोरोना से जंग के लिए हर मोर्चे पर तैयार हैं नर्सें

'कर्म ही प्रधान है, सेवा ही पहचान है', विश्वभर में आज (12 मई) अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जा रहा है. इस महामारी के दौर में ये नर्स ही जो कोरोना के खिलाफ जंग में मुस्तैदी से खड़ीं हैं. अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर देखें ETV भारत की ये खास रिपोर्ट...

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अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2021
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Published : May 12, 2021, 12:51 PM IST

वाराणसी: नर्स जिन्हें हम और आप अक्सर सिस्टर कह कर पुकारते हैं. जो हर मुश्किल घड़ी में मरीजों के साथ हर समय खड़ी रहती है. आम दिन हो या कोरोना के खिलाफ जंग, ये नर्स बिना किसी डर के सहजता और उत्साह से अपने कर्तव्य का पालन कर रही है. इसलिए नहीं कि यह उनका काम है और उसके लिए उन्हें पैसे मिलते हैं. इसलिए कि वह अपनी जान की परवाह किए बिना, सबसे पहले दूसरों के स्वस्थ होने और उनकी जान की फिक्र करती हैं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में मां के स्वरूप में स्नेहपूर्ण और फिक्र के साथ हर किसी की देखभाल और परवाह करने के शब्द को ही नर्स कहा जाता है. इसी उत्साह को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस हर वर्ष 12 मई को मनाया जाता है. दुनिया की सबसे प्रसिद्ध नर्स, फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन पर इस दिवस को मनाया जाता है. इस वर्ष इसकी थीम 'अ वॉइस टू लीड' रखी गई हैं.

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2021

मरीजों की सेवा कर मनाते हैं नर्स दिवस

एसएसपीजी चिकित्सालय में तैनात स्टाफ नर्स किरण ने अपनी बातों को सांझा किया. उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस वह मरीजों की सेवा करके ही मनाती हैं. उन्होंने कहा कि यह उनका धर्म है. वह बीते दिनों से लगातार ड्यूटी कर रही हैं. कोरोना संक्रमण के दौर में वे लोगों को वैक्सीन लगा रही है. वे बताती हैं कि जब ड्यूटी के बाद घर जाती हूं तो सभी से बिल्कुल अलग हो जाती हूं. खुद को सैनिटाइज करने के बाद ही परिजनों से बातचीत करती हूं. घरवालों से बातचीत के दौरान वह कोरोना को बीच में नहीं आने देती हैं, क्योंकि वह अस्पताल तक ही सीमित है.

कोविड दौर में भी 24घंटे ड्यूटी कर रहीं नर्स.
कोविड दौर में भी 24घंटे ड्यूटी कर रहीं नर्स.
न रिश्ता न नाता, सेवा और स्नेह ही है एक नर्स का वादा

नर्सिंग ऑफिसर बीनू सैनी ने बताया कि कभी-कभी बहुत चैलेंजिंग हो जाता है. एक नर्स को एक साथ कई जिम्मेदारियों का निर्वहन करना पड़ता है. अस्पताल में हम एक नर्स के रूप में मरीजों की देखभाल करते हैं, तो परिवार में एक मां के रूप में अपने बच्चों का लालन-पालन करते हैं. इन दिनों मुश्किलें बढ़ गई हैं. कोविड 19 के चलते बच्चे घर पर हैं. ऐसे में बच्चों की देखरेख के साथ ड्यूटी करना थोड़ा चैलेंजिंग है. मरीजों की देखरेख को लेकर उन्होंने कहा कि मरीज गंभीर बीमारी से ग्रसित और कुछ तो बहुत ही नाजुक स्थिति में होते हैं. ऐसी स्थिति में मरीज की देखभाल बहुत ही चुनौती पूर्ण होती है. जरा सी लापरवाही होने पर जनहानि हो सकती है. मरीज की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ नर्स पर ही होती है.

मरीजों की सेवा में जुटी नर्स स्टॉफ.
मरीजों की सेवा में जुटी नर्स स्टॉफ.

'मरीज की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि'

उन्होंने बताया कि मरीज की जांच के लिए वक्त पर खून निकालना. वक्त पर दवा देना. मरीज को कितनी मात्रा में दवा देना है, इसके लिए नर्स को रात-दिन देखभाल करनी पड़ती है. नर्स हताश तब होती हैं, जब आम जनमानस से उन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि सभी में थोड़ी बहुत खामियां होती हैं. हमारे भी प्रोफेशन में कभी थोड़ी खामियां हो जाती हैं, उस दरमियां हमें लोगों के सहयोग की अपेक्षा होती है, ना कि उनके तिरस्कार की. क्योंकि मरीज की सुरक्षा हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है.



'मरीजों के मुस्कुराते हुए चेहरे हैं हमारी हिम्मत'

अस्पताल की एक अन्य नर्स ने बताया कि हमारा बस एक ही उद्देश्य होता है कि हमारी देखभाल में आया हुआ मरीज ठीक होकर हंसते हुए घर जाए. मरीज जब ठीक होकर मुस्कुराते हुए अपने परिवार वालों के साथ घर जाता है, तो वह खुशी हमें और भी हिम्मत देती है. उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान हमारे और मरीज के बीच पारिवारिक रिश्ता हो जाता है. हम दवा के साथ उन्हें मानसिक तौर पर मजबूत करते हैं और रोगों से लड़ने की प्रेरणा भी देते हैं. उन्होंने कहा कि 'मेरी लोगों से ये अपील हैं कि मुश्किल घड़ी में सरकार का साथ दें. कोरोना से बचाव और दिशा-निर्देशों का पालन करें. सभी के सहयोग से इस आपदा से निपटा जा सकता है. साथ ही सरकार से अनुरोध है कि हमारे वेतन को बढ़ाएं और समान व्यवहार किया जाए.'

इसे भी पढ़ें- जानें 12 मई को क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस



नर्सें निःस्वार्थ भाव से निभा रही अपना धर्म

एसएसपीजी अस्पताल के एमएस डॉ. प्रसन्ना कुमार ने कहा कि इस आपदा में सभी नर्सों का कार्य सराहनीय और प्रशंसनीय है. कोरोना संक्रमण के लिए पूरा नर्सिंग स्टाफ हमेशा तैयार रहता है. अक्सर रात में ही मरीजों को तकलीफ ज्यादा महसूस होती है, इसलिए रातभर जागकर देखभाल करना जरूरी होता है. कोविड 19 के दौरान नर्स निःस्वार्थ भाव से अपना धर्म निभा रहीं हैं.

नर्स दिवस पर ईटीवी भारत सभी नर्सों के हौसलें और जज्बे को सलाम करता है.

वाराणसी: नर्स जिन्हें हम और आप अक्सर सिस्टर कह कर पुकारते हैं. जो हर मुश्किल घड़ी में मरीजों के साथ हर समय खड़ी रहती है. आम दिन हो या कोरोना के खिलाफ जंग, ये नर्स बिना किसी डर के सहजता और उत्साह से अपने कर्तव्य का पालन कर रही है. इसलिए नहीं कि यह उनका काम है और उसके लिए उन्हें पैसे मिलते हैं. इसलिए कि वह अपनी जान की परवाह किए बिना, सबसे पहले दूसरों के स्वस्थ होने और उनकी जान की फिक्र करती हैं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में मां के स्वरूप में स्नेहपूर्ण और फिक्र के साथ हर किसी की देखभाल और परवाह करने के शब्द को ही नर्स कहा जाता है. इसी उत्साह को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस हर वर्ष 12 मई को मनाया जाता है. दुनिया की सबसे प्रसिद्ध नर्स, फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन पर इस दिवस को मनाया जाता है. इस वर्ष इसकी थीम 'अ वॉइस टू लीड' रखी गई हैं.

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2021

मरीजों की सेवा कर मनाते हैं नर्स दिवस

एसएसपीजी चिकित्सालय में तैनात स्टाफ नर्स किरण ने अपनी बातों को सांझा किया. उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस वह मरीजों की सेवा करके ही मनाती हैं. उन्होंने कहा कि यह उनका धर्म है. वह बीते दिनों से लगातार ड्यूटी कर रही हैं. कोरोना संक्रमण के दौर में वे लोगों को वैक्सीन लगा रही है. वे बताती हैं कि जब ड्यूटी के बाद घर जाती हूं तो सभी से बिल्कुल अलग हो जाती हूं. खुद को सैनिटाइज करने के बाद ही परिजनों से बातचीत करती हूं. घरवालों से बातचीत के दौरान वह कोरोना को बीच में नहीं आने देती हैं, क्योंकि वह अस्पताल तक ही सीमित है.

कोविड दौर में भी 24घंटे ड्यूटी कर रहीं नर्स.
कोविड दौर में भी 24घंटे ड्यूटी कर रहीं नर्स.
न रिश्ता न नाता, सेवा और स्नेह ही है एक नर्स का वादा

नर्सिंग ऑफिसर बीनू सैनी ने बताया कि कभी-कभी बहुत चैलेंजिंग हो जाता है. एक नर्स को एक साथ कई जिम्मेदारियों का निर्वहन करना पड़ता है. अस्पताल में हम एक नर्स के रूप में मरीजों की देखभाल करते हैं, तो परिवार में एक मां के रूप में अपने बच्चों का लालन-पालन करते हैं. इन दिनों मुश्किलें बढ़ गई हैं. कोविड 19 के चलते बच्चे घर पर हैं. ऐसे में बच्चों की देखरेख के साथ ड्यूटी करना थोड़ा चैलेंजिंग है. मरीजों की देखरेख को लेकर उन्होंने कहा कि मरीज गंभीर बीमारी से ग्रसित और कुछ तो बहुत ही नाजुक स्थिति में होते हैं. ऐसी स्थिति में मरीज की देखभाल बहुत ही चुनौती पूर्ण होती है. जरा सी लापरवाही होने पर जनहानि हो सकती है. मरीज की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ नर्स पर ही होती है.

मरीजों की सेवा में जुटी नर्स स्टॉफ.
मरीजों की सेवा में जुटी नर्स स्टॉफ.

'मरीज की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि'

उन्होंने बताया कि मरीज की जांच के लिए वक्त पर खून निकालना. वक्त पर दवा देना. मरीज को कितनी मात्रा में दवा देना है, इसके लिए नर्स को रात-दिन देखभाल करनी पड़ती है. नर्स हताश तब होती हैं, जब आम जनमानस से उन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि सभी में थोड़ी बहुत खामियां होती हैं. हमारे भी प्रोफेशन में कभी थोड़ी खामियां हो जाती हैं, उस दरमियां हमें लोगों के सहयोग की अपेक्षा होती है, ना कि उनके तिरस्कार की. क्योंकि मरीज की सुरक्षा हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है.



'मरीजों के मुस्कुराते हुए चेहरे हैं हमारी हिम्मत'

अस्पताल की एक अन्य नर्स ने बताया कि हमारा बस एक ही उद्देश्य होता है कि हमारी देखभाल में आया हुआ मरीज ठीक होकर हंसते हुए घर जाए. मरीज जब ठीक होकर मुस्कुराते हुए अपने परिवार वालों के साथ घर जाता है, तो वह खुशी हमें और भी हिम्मत देती है. उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान हमारे और मरीज के बीच पारिवारिक रिश्ता हो जाता है. हम दवा के साथ उन्हें मानसिक तौर पर मजबूत करते हैं और रोगों से लड़ने की प्रेरणा भी देते हैं. उन्होंने कहा कि 'मेरी लोगों से ये अपील हैं कि मुश्किल घड़ी में सरकार का साथ दें. कोरोना से बचाव और दिशा-निर्देशों का पालन करें. सभी के सहयोग से इस आपदा से निपटा जा सकता है. साथ ही सरकार से अनुरोध है कि हमारे वेतन को बढ़ाएं और समान व्यवहार किया जाए.'

इसे भी पढ़ें- जानें 12 मई को क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस



नर्सें निःस्वार्थ भाव से निभा रही अपना धर्म

एसएसपीजी अस्पताल के एमएस डॉ. प्रसन्ना कुमार ने कहा कि इस आपदा में सभी नर्सों का कार्य सराहनीय और प्रशंसनीय है. कोरोना संक्रमण के लिए पूरा नर्सिंग स्टाफ हमेशा तैयार रहता है. अक्सर रात में ही मरीजों को तकलीफ ज्यादा महसूस होती है, इसलिए रातभर जागकर देखभाल करना जरूरी होता है. कोविड 19 के दौरान नर्स निःस्वार्थ भाव से अपना धर्म निभा रहीं हैं.

नर्स दिवस पर ईटीवी भारत सभी नर्सों के हौसलें और जज्बे को सलाम करता है.

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