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वाराणसी: इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट सम्मेलन का हुआ समापन

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के 12वीं राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस कॉन्फ्रेंस में चिकित्सकों ने अपने अनुभव साझा किये.

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राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का समापन.
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Published : Feb 9, 2020, 12:34 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निश्चितना विभाग के तत्वावधान में इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के 12वीं राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. यह कॉन्फ्रेंस 7 फरवरी को शुरू हुआ था, जिसका रविवार को समापन हो गया.

राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का समापन.

चिकित्सकों ने किया बच्चों के ऑपरेशन को लेकर चर्चा
कार्यक्रम में देश-विदेश के ख्याति प्राप्त चिकित्सक शामिल हुए. उन्होंने नवजात शिशु और बच्चों में विभिन्न प्रकार के छोटे-बड़े ऑपरेशन में आने वाली समस्याओं और बीमारियों के प्रभाव के बारे में बताया. साथ ही उनसे उपजी परिस्थितियों और उनसे निराकरण में प्रयुक्त विधियों को समझने और उनके उचित इलाज करने के लिए आवश्यक तकनीक पर चर्चा की. चिकित्सकों को नवीन उपकरणों और तकनीकों के प्रयोग के लिए प्रशिक्षित भी किया गया. कार्यक्रम के पहले दिन बच्चों में मैकेनिकल वेंटीलेशन, अल्ट्रासाउंड ग्लाइडेड नर्व ब्लॉक, डिफिकल्ट पीडियाट्रिक एयर वे, पीडियाट्रिक पेरिऑपेरटिव लाइफ सपोर्ट जैसे चार प्रमुख विषयों पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें सभी मेडिकल के छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

300 चिकित्सकों ने साझा किया अनुभव
कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन के एन उड्डपा सभागार में हुआ. इसमें देश के ख्याति प्राप्त 300 चिकित्सकों ने अपने अनुभव साझा किये. इमसें बच्चों को दी जाने वाली निश्चेतना पर चर्चा की गई. पहले दिन नवजात शिशु को दी जाने वाली निश्चेतना, रिसकसिटेशन, प्री सिटी केयर जैसे विषयों पर व्याख्यान आयोजित किया गया. दूसरे दिन और वेब मैनेजमेंट और रीजनल एनेस्थेसिया जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुआ. रविवार को इस कार्यक्रम का समापन हुआ.

डॉ. संदीप लोहा ने बताया कि एनेस्थेसिया एक स्पेसिफिक विषय है, जिसमें बहुत चांस रहता है. कोई घटना न हो, इसके लिए प्रॉपर ट्रेनिंग बहुत जरूरी है. इसमें अगर बच्चों को एनेस्थेसिया दिया जाता है तो सावधानी की ज्यादा जरूरत होती है, क्योंकि वह और ज्यादा रिस्की होता है. विदाउट ट्रेनिंग के कभी भी किसी बच्चे के साथ अगर कोई कॉम्प्लिकेशन होती है तो संभालना बहुत मुश्किल होता है.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर: पत्नी को ठेले पर लाद 8 किमी दूर अस्पताल पहुंचा 66 साल का बुजुर्ग

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निश्चितना विभाग के तत्वावधान में इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के 12वीं राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. यह कॉन्फ्रेंस 7 फरवरी को शुरू हुआ था, जिसका रविवार को समापन हो गया.

राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का समापन.

चिकित्सकों ने किया बच्चों के ऑपरेशन को लेकर चर्चा
कार्यक्रम में देश-विदेश के ख्याति प्राप्त चिकित्सक शामिल हुए. उन्होंने नवजात शिशु और बच्चों में विभिन्न प्रकार के छोटे-बड़े ऑपरेशन में आने वाली समस्याओं और बीमारियों के प्रभाव के बारे में बताया. साथ ही उनसे उपजी परिस्थितियों और उनसे निराकरण में प्रयुक्त विधियों को समझने और उनके उचित इलाज करने के लिए आवश्यक तकनीक पर चर्चा की. चिकित्सकों को नवीन उपकरणों और तकनीकों के प्रयोग के लिए प्रशिक्षित भी किया गया. कार्यक्रम के पहले दिन बच्चों में मैकेनिकल वेंटीलेशन, अल्ट्रासाउंड ग्लाइडेड नर्व ब्लॉक, डिफिकल्ट पीडियाट्रिक एयर वे, पीडियाट्रिक पेरिऑपेरटिव लाइफ सपोर्ट जैसे चार प्रमुख विषयों पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें सभी मेडिकल के छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

300 चिकित्सकों ने साझा किया अनुभव
कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन के एन उड्डपा सभागार में हुआ. इसमें देश के ख्याति प्राप्त 300 चिकित्सकों ने अपने अनुभव साझा किये. इमसें बच्चों को दी जाने वाली निश्चेतना पर चर्चा की गई. पहले दिन नवजात शिशु को दी जाने वाली निश्चेतना, रिसकसिटेशन, प्री सिटी केयर जैसे विषयों पर व्याख्यान आयोजित किया गया. दूसरे दिन और वेब मैनेजमेंट और रीजनल एनेस्थेसिया जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुआ. रविवार को इस कार्यक्रम का समापन हुआ.

डॉ. संदीप लोहा ने बताया कि एनेस्थेसिया एक स्पेसिफिक विषय है, जिसमें बहुत चांस रहता है. कोई घटना न हो, इसके लिए प्रॉपर ट्रेनिंग बहुत जरूरी है. इसमें अगर बच्चों को एनेस्थेसिया दिया जाता है तो सावधानी की ज्यादा जरूरत होती है, क्योंकि वह और ज्यादा रिस्की होता है. विदाउट ट्रेनिंग के कभी भी किसी बच्चे के साथ अगर कोई कॉम्प्लिकेशन होती है तो संभालना बहुत मुश्किल होता है.

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Intro:वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निश्चितना विभाग के तत्वाधान में इंडियन एसोसिएशन ऑफ पेडिआट्रिक ऐनस्थेसिओलॉजिस्टस के 12 वीं राष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया।यह कॉन्फ्रेंस 7 फरवरी शुरू हुआ जिसका आज समापन हुआ।




Body:कार्यक्रम में देश विदेश के ख्याति प्राप्त चिकित्सकों के द्वारा नवजात शिशु व बच्चों में विभिन्न प्रकार के छोटे बड़े ऑपरेशन में आने वाली समस्याओं व बीमारियों के प्रभाव और उन से उपजी परिस्थितियों व उनसे निराकरण में प्रयुक्त विधियों को समझने व उनके उचित इलाज करने के लिए आवश्यक तकनीक पर चर्चा की हुआ। साथ ही चिकित्सकों को नवीन उपकरणों और तकनीकों के प्रयोग के लिए प्रशिक्षित भी किया गया। कार्यक्रम के पहले दिन बच्चों में मैकेनिकल वेंटीलेशन, अल्ट्रासाउंड ग्लाइडेड नर्व ब्लॉक, डिफिकल्ट पेडिआट्रिक एयर वे,पेडियेट्रिक पेरिओपेरटिव लाइफ सपोर्ट जैसे चार प्रमुख विषयों पर कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमें सभी मेडिकल के छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।



Conclusion:
कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन 8 फरवरी को के एन उड्डपा सभागार में किया हुआ। इसमें देश के ख्याति प्राप्त लोगों 300 चिकित्सक अपने अनुभव साझा किया। जिमसें बच्चों को दी जाने वाली निश्चेतना पर चर्चा किया गया। पहले दिन नवजात शिशु को दी जाने वाली निश्चेतना,रिसकसिटेशन, प्री सिटी केयर जैसे विषयों पर व्याख्यान आयोजित किया गया। दूसरे दिन एवं वेब मैनेजमेंट और रीजनल एनेस्थीसिया जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुआ। आज कार्यक्रम का समापन हुआ।

डॉ संदीप लोहा ने बताया एनेस्थीसिया एक स्पेसिफिक विषय है जिसमें बहुत चांस रहता है। कोई घटना ना हो जिसके लिए प्रॉपर ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। उसमें अगर खासकर बच्चों एनेस्थीसिया और ज्यादा रिस्की होता है। विदाउट ट्रेनिंग के कभी भी किसी बच्चे के साथ अगर कोई कॉम्प्लिकेशन होता है संभालना बहुत मुश्किल होता है जो ट्रेनिंग लिए रहते हैं इसी के लिए कॉन्फ्रेंस किया जा रहा है। कि किस तरह इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान दिया जाए। कि कोई किसी प्रकार की घटना ना हो।

बाईट :-- डॉ संदीप लोहा, असिस्टेंट प्रोफेसर, मेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बीएचयू

अशुतोष उपाध्याय
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