वाराणसीः भारतीय सेना में धर्म शिक्षक (Dharam Sikshak in indian army) बनने की लड़ाई लड़ रहे विद्यार्थियों का अब विश्वविद्यालयों के कुलपति भी साथ देंगे. भारतीय सेना द्वारा शास्त्री डिग्री अमान्य घोषित किए जाने से क्षुब्ध विद्यार्थी लगातार लामबंद हैं और अब इन विद्यार्थियों का साथ 17 विश्वविद्यालय के कुलपति देंगे. यह सभी लोग एक साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) को पत्र लिखेंगे. इसके साथ ही कुलपति विद्यार्थियों की डिग्री को मान्यता देने की गुहार भी लगाएंगे.
बीते दिनों भारतीय सेना में आए जेसीओ पद की भर्ती के लिए वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय (Sampurnanand Sanskrit University) के शास्त्री के विद्यार्थियों के साथ ही अन्य संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने आवेदन किया था. जहां सभी चरणों में सफल होने के बाद लिखित परीक्षा के लिए इन सभी के पास कॉल लेटर भी आया था. परंतु सेना के द्वारा इनके शास्त्रीय डिग्री को स्नातक के समकक्ष मानने से इनकार कर दिया गया.
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इसके बाद इन्हें परीक्षा से बाहर होना पड़ा. यह विद्यार्थी लगातार विरोध कर रहे हैं. संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरे राम त्रिपाठी ने बीते दिन रक्षा मंत्री से मुलाकात कर इस पर विचार करने की अपील भी की थी. जहां रक्षा मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि जल्द ही छात्र हित में स्थायी समाधान किया जाएगा.
वीसी प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी (VC Professor Hare Ram Tripathi) ने बताया कि गत दिनों सेना में धर्म गुरु के चयन में आये तकनीकी व्यवधान को दूर करने के लिये रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद मिले आश्वासन के बाद सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति से स्थाई समाधान समाधान में सहयोग देने की अपील भी की थी. इसके बाद 17 संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपतियों ने इस पर अपनी सहमति जताते हुए रक्षा मंत्री को पत्र लिखने का निर्णय लिया है, ताकि इस समस्या का स्थाई समाधान हो सके और शास्त्री डिग्री धारियों के भविष्य को पुनः कोई खतरा ना हो.
उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के लिये है. यहां का सारा तंत्र उन्ही के लिये कार्य कर रहा है यदि वे दुखी या कष्ट में हैं तो हम सबको कार्यों मे कोई न कोई कमी अवश्य है. इसलिये सभी लोग मिलकर सुचिता पूर्ण अपनी नैतिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करें. इस संबंध में हम देश के अन्य 17 संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के द्वारा भी रक्षा मंत्री को पत्र लिखने व स्थायी समाधान या अध्यादेश जारी करने का सहयोग लेंगे. पूर्व में भी धर्म गुरु के पद पर यहां से शास्त्री उपाधि धारकों का चयन सेना में किया गया है. जिसमें जून 2021 में आये इस व्यवधान के निराकरण पर भी वार्ता हुई.
देश भर के संस्कृत विद्वान उतरे समर्थन में
बता दें कि कुलपतियों के पत्र लिखने के साथ देशभर के संस्कृत विद्वानों औऱ संगठनों ने इस पर अपनी चिंता भी जाहिर की है. इसी को देखते हुए योग गुरु बाबा रामदेव ने ट्वीट भी किया है. उन्होंने कहा है कि संस्कृत दुनिया की सर्वाधिक प्राचीन व वैज्ञानिक भाषा है और भारत का पुरातन ज्ञान विज्ञान संस्कृत में है. देश में संस्कृत को समुचित सम्मान मिलना चाहिए क्योंकि आज विदेशों में भी लोग संस्कृत पढ़ रहे हैं.
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