वाराणसी: सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के टारगेट को अचीव करने में भारत ने यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इटली को भी पीछे छोड़ दिया है. भारत ने 5 सालों में 17 फीसदी की सबसे तेज वृद्धि की है. बता दें कि, एसडीजी टारगेट को 1 जनवरी 2016 को लागू किया गया था. जिसके बाद बीते 5 सालों में भारत ने 17 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है.
दरअसल, एसडीजी गोल में भारत से रूस जहां 29.96 फीसदी से आगे है तो चीन की ग्रोथ 23.31 फीसदी ज्यादा है. जबकि इटली, यूएसए, कनाडा, जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया ने 9 से 10 फीसदी ही ग्रोथ रेट हासिल की है. भारत के इस आंकड़े को वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कंप्यूटर सेंटर में प्रोफेसर विवेक कुमार सिंह ने अपनी स्टडी के जरिए प्रस्तुत किया है. उन्होंने 2016 से 2020 के बीच दुनिया भर के एसडीजी गोल को लेकर रिसर्च किया है. जिस पर उन्होंने बताया है कि भारत में 5 साल में 17 फीसदी की सबसे तेज वृद्धि हुई है.
6 लाख रिसर्च पेपर को लेकर हुआ शोध
प्रोफेसर विवेक कुमार सिंह बताते हैं कि, उन्होंने इंटरनेशनल जर्नल में पब्लिक रिसर्च पेपर के आधार पर एक पेपर स्टडी की है. जिसमें इस बात को प्रस्तुत किया गया है कि, भारत ने 5 सालों में एक बेहतर टारगेट को अचीव किया है. उन्होंने बताया कि, 5 साल में लगभग 6 लाख से ज्यादा रिसर्च पेपर पब्लिश किए गए, जिनमें 77 हजार रिसर्च पेपर यूएन के सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर आधारित है. उन्होंने बताया कि स्टडी के जरिए पता चला कि भारत 17 टारगेट में तीन बिंदुओं पर बेहतर काम कर रहा है, जिससे उसके वृद्धि तेजी से हुई हैं. उन्होंने बताया कि, इन तीन बेहतर कामों में किफायती और क्लीन एनर्जी गुड हेल्थ और लाइफस्टाइल साथ ही क्लाइमेट चेंज शामिल है.
भारत मे महिलाएं जेंडर समानता पर कर रही शोध
उन्होंने बताया कि इस शोध में एक और बात सामने आई. जिसके तहत ये पता चला कि, एसडीजी गोल में जेंडर इक्वलिटी पर भी सबसे ज्यादा रिसर्च हुआ है. जिनमें भारत में पुरुषों के सापेक्ष 57 फीसदी महिलाएं शोध कर रही हैं. वहीं, यदि यूएन के एसडीजी की बात करें तो इसमें कुल 30 फीसदी महिलाओं की भागीदारी है, और यह अनवरत बढ़ रही है.
2016 से शुरू हुआ ये गोल
उन्होंने बताया कि 2015 में यूएन ने 193 देशों के साथ मिलकर के 17 टारगेट के एक एजेंडे को पास किया था, जिसे जनवरी 2016 से लागू किया गया. जिसके तहत इस टारगेट को 2016 से 2030 के बीच अचीव करना है. जिसमें गरीबी को समाप्त करना, हंगर को खत्म करना, खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाना, स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ाना, जेंडर इक्वलिटी को प्रदान करना, आधुनिक ऊर्जा की पहुंच बढ़ाना, औद्योगिकरण को बढ़ावा देना जैसे अन्य तमाम बिंदु शामिल है.