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वाराणसी: अस्सी घाट पर हुआ गांधर्व महोत्सव का शुभारंभ, कलाकारों ने दी शानदार प्रस्तुति

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अस्सी घाट के पास प्राचीन वेद परंपरा के वाहक वैदिक विद्वानों द्वारा बसंत पूजा के साथ गांधर्व महोत्सव का शुभारंभ किया गया. इस महोत्सव में अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी.

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Published : Nov 11, 2019, 7:27 AM IST

Updated : Nov 11, 2019, 9:52 AM IST

अस्सी घाट पर हुआ गांधर्व महोत्सव का शुभांरभ

वाराणसी : जिले के अस्सी घाट के निकट काशी की प्राचीन वेद परंपरा के वाहक वैदिक विद्वानों द्वारा बसंत पूजा के साथ गांधर्व महोत्सव का शुभारंभ किया गया. वहीं देर शाम अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने समां बांध कर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया. दर्शको ने ताली बजाकर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया.

अस्सी घाट पर हुआ गांधर्व महोत्सव का शुभांरभ
मां गंगा के पवन तट पर कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी. इस प्रस्तुति ने वेद और संगीत के इस महासंगम गांधर्व महोत्सव के उद्देश्य को पूरा किया. जहां अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति की तो वहीं नए कलाकारों को पुराने कलाकारों के साथ प्रस्तुति देने का मौका मिला. दोनों की जुगलबंदी ने रविवार को इस भारतीय संगीत को जीवंत कर दिया. कार्यक्रम का शुभारंभ विशाल कृष्ण कथक नृत्य के साथ किया. उसके बाद पंडित राजेंद्र प्रसन्ना बांसुरी वादन किया वह देश के अंतरराष्ट्रीय कलाकारों में से एक हैं. यह आयोजन गंगा के पावन तट पर किया गया ताकि लोग वेद और संगीत के इस पावन मेल को समझ पाए. तबले पर प्रशांत मिश्र और अन्य कलाकारों के साथ जुगलबंदी ने सबका मन मोह लिया.

गांधर्व महोत्सव काशी में एक अनोखा प्रयास है. सांस्कृतिक नगरी में संगीत को आगे बढ़ाने का वेदों को आगे बढ़ाने का यहां पर राज्य प्रथम निशा का कार्यक्रम हुआ. इसमें विशाल कृष्ण का कत्थक नृत्य, पंडित राजेंद्र प्रसन्ना का बांसुरी वादन. पुराने कलाकारों के साथ नए बढ़ते कलाकारों का एक समन्वयक यहां देखने को मिला जो काशी की सांस्कृतिक परंपरा को आगे बढ़ा रहा है. इस कार्यक्रम का मात्र उद्देश्य है कि संगीत हमारे मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि एक साधना है जिसके द्वारा हम ईश्वर की प्राप्ति कर सकते हैं.
देवव्रत, सदस्य आयोजक

वाराणसी : जिले के अस्सी घाट के निकट काशी की प्राचीन वेद परंपरा के वाहक वैदिक विद्वानों द्वारा बसंत पूजा के साथ गांधर्व महोत्सव का शुभारंभ किया गया. वहीं देर शाम अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने समां बांध कर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया. दर्शको ने ताली बजाकर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया.

अस्सी घाट पर हुआ गांधर्व महोत्सव का शुभांरभ
मां गंगा के पवन तट पर कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी. इस प्रस्तुति ने वेद और संगीत के इस महासंगम गांधर्व महोत्सव के उद्देश्य को पूरा किया. जहां अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति की तो वहीं नए कलाकारों को पुराने कलाकारों के साथ प्रस्तुति देने का मौका मिला. दोनों की जुगलबंदी ने रविवार को इस भारतीय संगीत को जीवंत कर दिया. कार्यक्रम का शुभारंभ विशाल कृष्ण कथक नृत्य के साथ किया. उसके बाद पंडित राजेंद्र प्रसन्ना बांसुरी वादन किया वह देश के अंतरराष्ट्रीय कलाकारों में से एक हैं. यह आयोजन गंगा के पावन तट पर किया गया ताकि लोग वेद और संगीत के इस पावन मेल को समझ पाए. तबले पर प्रशांत मिश्र और अन्य कलाकारों के साथ जुगलबंदी ने सबका मन मोह लिया.

गांधर्व महोत्सव काशी में एक अनोखा प्रयास है. सांस्कृतिक नगरी में संगीत को आगे बढ़ाने का वेदों को आगे बढ़ाने का यहां पर राज्य प्रथम निशा का कार्यक्रम हुआ. इसमें विशाल कृष्ण का कत्थक नृत्य, पंडित राजेंद्र प्रसन्ना का बांसुरी वादन. पुराने कलाकारों के साथ नए बढ़ते कलाकारों का एक समन्वयक यहां देखने को मिला जो काशी की सांस्कृतिक परंपरा को आगे बढ़ा रहा है. इस कार्यक्रम का मात्र उद्देश्य है कि संगीत हमारे मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि एक साधना है जिसके द्वारा हम ईश्वर की प्राप्ति कर सकते हैं.
देवव्रत, सदस्य आयोजक

Intro:विश्व की सबसे प्राचीनतम और जीवंत शहर बनारस में जहां सुबह अस्सी घाट के निकट काशी की प्राचीन वेद परंपरा के वाहक वैदिक विद्वानों द्वारा बसंत पूजा के साथ गांधर्व महोत्सव का शुभारंभ किया गया। वहीं देर शाम अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने समां बांध दर्शकों को मंगदमुग्द कर दिया। दर्शक कोने ताली बजाकर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।


Body:मां गंगा के पवन तट पर देश रात तक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति किया और वेद और संगीत इसमहा संगम गांधर्व महोत्सव के उद्देश्य को पूरा किया। जहां अंतरराष्ट्रीय प्राप्त कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति की तो वही नए कलाकारों को पुराने कलाकारों के साथ प्रस्तुति करने का मौका मिला दोनों की जुगलबंदी ने आज भी इस भारतीय संगीत को जीवंत कर दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ विशाल कृष्ण कथक नृत्य के साथ किया उसके बाद पंडित राजेंद्र प्रसन्ना बांसुरी वादन देश के अंतरराष्ट्रीय कलाकारों में से एक हैं। अपनी बांसुरी की वादन मां गंगा के जल धारा के बीच विभिन्न प्रस्तुति किया। प जिससे लोग वेद और संगीत के इस पावन मेल को समझ पाए। तबले पर प्रशांत मिश्र और अन्य कलाकारों के साथ जुगलबंदी ने सबका मन मोह लिया।


Conclusion:देवव्रत ने बताया गांधर्व महोत्सव काशी में एक अनोखा प्रयास है सांस्कृतिक नगरी में संगीत को आगे बढ़ाने का वेदों को आगे बढ़ाने का यहां पर राज्य प्रथम निशा का कार्यक्रम हुआ जिसमें विशाल कृष्ण का कत्थक नृत्य, पंडित राजेंद्र प्रसन्ना का बांसुरी वादन। पुराने कलाकारों के साथ नए बढ़ते कलाकारों का एक समन्वयक यहां देखने को मिला जो काशी की सांस्कृतिक परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। इस कार्यक्रम का मात्रक उद्देश्य है कि संगीत हमारे मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि एक साधना है जिसके द्वारा हम ईश्वर की प्राप्ति कर सकते हैं।

बाईट :-- देवव्रत, सदस्य आयोजक

आशुतोष उपाध्याय
9005099684
Last Updated : Nov 11, 2019, 9:52 AM IST
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