वाराणसी: धर्म अध्यात्म और संस्कृति का शहर बनारस. इस नाम से ही प्रभावित होकर देश और दुनिया भर से सैलानी यहां शांति और आस्था की खोज में आते हैं. मां गंगा का पावन तट बाबा विश्वनाथ का धाम और गलियों के साथ यहां का कल्चर विदेशियों को सबसे ज्यादा अपनी तरफ खींचता है. यही वजह है कि साल दर साल बनारस में विदेशी सैलानियों के साथ देसी सैलानियों की संख्या भी बढ़ती गई, लेकिन जनवरी के बाद कोविड-19 का ऐसा कहर शुरू हुआ जिसने देखते ही देखते बनारस के पर्यटन उद्योग को अर्श से फर्श पर लाकर पटक दिया.
हर साल लाखों की संख्या में विदेशी सैलानियों का आंकड़ा पर्यटन विभाग को खुश कर रहा था, लेकिन इन 6 महीनों में यह आंकड़ा लाखों से घटकर हजारों पर पहुंचा गया, जिसने इस उद्योग से जुड़े होटल नाविक, गाइड और फोटोग्राफी करके अपना और परिवार का पेट पालने वाले लोगों को संकट में डाल दिया.
गंगा घाट पर फोटोग्राफी करके अपना और परिवार का पेट पालने वाले शिवानंद सहानी का कहना है कि वह 11 सालों से घाट पर फोटोग्राफी का काम कर रहा है. वह हर रोज 900 से 1000 रुपये कमा लेता था, लेकिन लॉकडाउन ने सब बर्बाद कर दिया. उसने बताया कि चार महीने तक तो वह घर पर कैद रहा और जब बाहर निकला तो कमाई खत्म हो चुकी थी. इस वक्त जब धीरे-धीरे चीजें खुल रही हैं तब भी कमाई 150 से 200 रुपये प्रति दिन हो रही है, जिससे परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है.
वहीं इस महामारी की वजह से होटल कारोबार पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. बनारस में लगभग 400 से ज्यादा होटल, गेस्ट हाउस संचालित होते हैं, जिनमें लगभग 4 महीने से एक भी सैलानी नहीं पहुंचे हैं. जून में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई तो धीरे-धीरे चीजें सुधरने की उम्मीद हुई, लेकिन हालात अभी वहीं के वहीं हैं. वहीं सैलानियों को बनारस दिखाने वाले गाइड भी परेशान हैं. उनका कहना है कि पेट पालना मुश्किल हो गया है. कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हालात ऐसे होंगे.
पर्यटकों का हाल 2019 में
विदेशी सैलानी | भारतीय सैलानी | |
जनवरी | 40462 | 345402 |
फरवरी | 40156 | 385626 |
मार्च | 46362 | 378851 |
अप्रैल | 35657 | 272284 |
मई | 32203 | 277209 |
जून | 34280 | 280407 |
जुलाई | 36320 | 285200 |
अगस्त | 34310 | 290292 |
2020 जनवरी से अगस्त तक सैलानियों का आंकड़े पर नजर
विदेशी सैलानी | भारतीय सैलानी | |
जनवरी | 30156 | 255015 |
फरवरी | 35202 | 268260 |
मार्च | 33603 | 293076 |
अप्रैल | 0 | 0 |
मई | 0 | 0 |
जून | 0 | 1384 |
जुलाई | 0 | 1926 |
अगस्त | 0 | 2859 |
पर्यटन उद्योग बनारस की रीड की हड्डी है. यहां की लगभग 80% जीडीपी इसी उद्योग से आती है. बहुत से लोग इस उद्योग से जुड़े हैं. लेकिन बीते कुछ महीने में सैलानियों का ना आना इस उद्योग की कमर तोड़ चुका है. हालात बुरे हैं. लेकिन उम्मीद है कि चीजें सुधर जाएंगी.
कीर्तिमान श्रीवास्तव, पर्यटन अधिकारी