वाराणसी: पंचकोसी यात्रा के दौरान पांडव वाराणसी स्थित शिवपुरी में चौथे पड़ाव पर रुके थे. बताया जाता है कि द्वापर युग में अज्ञातवास के समय पाण्डवों ने द्रौपदी के साथ यह यात्रा की थी. वो चौथे पड़ाव शिवपुर में आकर ठहरे थे. यहां पर 5 शिवलिंग हैं, जिन्हें पांडवों ने स्थापित किया था. इस मंदिर के किनारे द्रौपदी कुंड भी स्थित है. यह बड़े धार्मिक स्थलों में गिना जाता है. मान्यता है कि पंचकोसी यात्रा के दौरान श्रद्धालु यहां ठहरते हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा के कारण चौथे पड़ाव के नजदीक स्थित धर्मशालाओं पर स्थानीय दुकानदार और कुछ महंतों का अवैध कब्जा है.
धर्म व आध्यात्मिक नगरी कही जाने वाली काशी में पंचकोसी यात्रा शुरू हो चुकी है. पापों से मुक्ति पाने के लिए पवित्र परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु पांच पड़ावों से होकर गुजरते हैं. इनमें से वाराणसी स्थित शिवपुर चौथा पड़ाव है. मान्यता है कि पांचों पांडव भी पंचकोसी यात्रा के दौरान इस चौथे पड़ाव पर ठहरे थे, लेकिन अब उस स्थान के आसपास की जमीन और धर्मशालाओं पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है.
महन्त मनोज कुमार मिश्ना का कहना है कि यहां का अवैध कब्जा हट जाए तो मन्दिर की तकदीर बदल जाए. आरोप है कि धर्मशालाओं पर अवैध कब्जा कर चुके कब्जेदारों से महीना वसूला जाता है. इसलिए अवैध कब्जा नहीं हट पा रहा है, जिसके चलते मन्दिर का मुख्य गेट संकरा हो गया है. ऐसे में श्रद्धालुओं को प्रवेश करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि कोरोना काल में श्रद्धालुओं की संख्या कम है, लेकिन समस्या जस की तस है, जिसकी वजह से रात्रि विश्राम करने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी होती है. हालांकि पंचकोसी यात्रा शुरु होने से पूर्व अधिकारियों का दौरा तो होता है, लेकिन जब कब्जा हटाने की बात सामने आती है, तो वो चुप्पी साध लेते हैं.
मान्यता ये भी है कि पंचकोश यात्रा के दौरान भगवान शिव ने पांडवों को यहीं पर दर्शन दिए थे. जब द्रौपदी को प्यास लगी थी, तब अर्जुन ने एक कुण्ड का निर्माण भी यहां कराया था, जो द्रौपदी कुण्ड के नाम से जाना जाता है. यहां चार धर्मशाला हैं, लेकिन सभी पर अवैध कब्जा है, जिसको कब्जामुक्त कराने के लिए प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे.