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IIT BHU गैंगरेप के आरोपी रोज रात 12 बजे कैंपस में घूमते थे, पुलिस ने ऐसे जुटाए सबूत

IIT BHU गैंगरेप के आरोपी रोज रात को कैंपस में घूमते थे. इसकी पुष्टि आरोपियों की मोबाइल लोकेशन से मिली है. पुलिस ने यह लोकेशन ट्रेस की है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 4, 2024, 8:39 AM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय आईआईटी की छात्रा के साथ गैंगरेप के आरोपी और बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं जिनमे कुणाल पांडेय संयोजक भाजपा आईटी सेल वाराणसी महानगर, सक्षम पटेल सहसंयोजक बीजेपी आईटी सेल वाराणसी महानगर और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान कार्य समिति सदस्य भाजपा आईटी से वाराणसी महानगर को घटना के 60 दिन बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया. इसके लिए पुलिस ने बड़ी मशक्कत की है. पुलिस के अधिकारियों का कहना है की इन तीनों की गिरफ्तारी आसान नहीं थी क्योंकि क्लू तो मिल रहे थे, लेकिन उनकी पहचान होना थोड़ा मुश्किल हो रही थी. इसके लिए 40 टीमों ने शहर के 750 सीसीटीवी कैमरा को देखने के लिए वाराणसी के कमांड सेंटर त्रिनेत्र में बैठकर हर रोज कम से कम 6 से 7 घंटा मेहनत की. लगभग 10000 से ज्यादा मोबाइल नंबरों को काशी हिंदू विश्वविद्यालय से लेकर शहर के कैंट और चेतगंज एरिया में लोकेशन के लिए ट्रेस किया. 1000 से ज्यादा नंबरों को सर्विलांस पर लगाया और 200 संदिग्ध नंबर की कॉल डिटेल को खंगाला. इसके बाद यह कंफर्म हुआ कि तीनों आरोपी कौन है और उनकी गिरफ्तारी संभव हो सकी.


पुलिस के आला अधिकारियों के मुताबिक इन तीनों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की चार टीमें लगी हुई थी और जांच पड़ताल में तीन दर्जन से ज्यादा टीमों को अलग से लगाया गया था, क्योंकि मामला तूल पकड़ रहा था. आसपास के जिलों की पुलिस भी इस पूरे प्रकरण में अपने जिलों में भी उनकी तलाश कर रही थी, क्लू थे लेकिन मजबूत नहीं थे. कार्रवाई के दौरान दसवें दिन आरोपियों के पुलिस करीब पहुंच गई थी लेकिन तब तक यह मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए गए हुए थे. पुलिस टीम ने मध्य प्रदेश में जाकर डेरा डाला लेकिन इनको नहीं पकड़ सकी. हालांकि बाद में और पुलिस ने 15 दिन दोनों का इंतजार करके उनके वापस लौटते हैं प्लानिंग के साथ इन्हें पकड़ा.

इस गैंगरेप के मामले में पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद उनके मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच की जा रही है. हालांकि पुलिस का कहना है कि उनके मोबाइल फोन से कोई भी डाटा डिलीट नहीं मिला है, न ही कोई वीडियो डिलीट है, लेकिन उनके मोबाइल की लोकेशन लगातार काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हर रोज रात 12:00 के बाद मिलती थी. पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि यह लोग बीएचयू में लगभग रोज जाया करते थे. पुलिस इलेक्ट्रॉनिक सबूत को आधार बनाकर कोर्ट में पेश करने की तैयारी में है. कॉल डिटेल रिपोर्ट आरोपियों के मोबाइल उनकी बातचीत की रिकॉर्डिंग व्हाट्सएप चैटिंग पीड़िता का बयान और अन्य गवाहों की गवाही के अलावा पुलिस के पास जो भी सबूत है. उनको मजबूती के साथ कोर्ट में रखने की तैयारी करते हुए पुलिस चार्जसीट फाइल करेगी.


बता दें कि बीएचयू में 1 नवंबर को आईआईटी की छात्रा के साथ छेड़खानी की वारदात सामने आई थी, लेकिन वारदात के 7 दिन बाद 8 नवंबर को पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान में अपने साथ गैंगरेप की बात बताई. इसके बाद धारा छेड़खानी से बदलकर गैंगरेप में कन्वर्ट की गई और उसके बाद हड़कंप मच गया. बीएचयू परिसर में लगातार छात्राओं का धरना पुलिस को भी दबाव में डाल रहा था. इसके बाद पुलिस लगातार कार्रवाई के लिए तेजी से प्लानिंग बना रही थी. लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन से प्रेशर में आई पुलिस ने सर्विलांस और मुखबिरों पर भी भरोसा किया, लगभग दो दर्जन से ज्यादा मुखबिरों की मदद से इन तीनों की लोकेशन ट्रेस करने में पुलिस को कामयाबी मिल रही थी, लेकिन यह यह तो निकल जा रहे थे या फिर किसी अन्य कारण से इनकी गिरफ्तारी संभव नहीं हो पा रही थी. हालांकि 30 दिसंबर को पुलिस ने नए साल से पहले इनको धर दबोचा और अब इन्हें कोर्ट में पेश करके जेल भेजा जा चुका है और पुलिस अपने सबूत के आधार पर इनको कड़ी सजा दिलवाने की तैयारी कर रही है.

ये भी पढ़ेंः गुरुद्वारा सेवादार को विदेश से खालिस्तान समर्थक की धमकी, सीएम योगी से शिकायत करना पड़ेगा जान पर भारी

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय आईआईटी की छात्रा के साथ गैंगरेप के आरोपी और बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं जिनमे कुणाल पांडेय संयोजक भाजपा आईटी सेल वाराणसी महानगर, सक्षम पटेल सहसंयोजक बीजेपी आईटी सेल वाराणसी महानगर और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान कार्य समिति सदस्य भाजपा आईटी से वाराणसी महानगर को घटना के 60 दिन बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया. इसके लिए पुलिस ने बड़ी मशक्कत की है. पुलिस के अधिकारियों का कहना है की इन तीनों की गिरफ्तारी आसान नहीं थी क्योंकि क्लू तो मिल रहे थे, लेकिन उनकी पहचान होना थोड़ा मुश्किल हो रही थी. इसके लिए 40 टीमों ने शहर के 750 सीसीटीवी कैमरा को देखने के लिए वाराणसी के कमांड सेंटर त्रिनेत्र में बैठकर हर रोज कम से कम 6 से 7 घंटा मेहनत की. लगभग 10000 से ज्यादा मोबाइल नंबरों को काशी हिंदू विश्वविद्यालय से लेकर शहर के कैंट और चेतगंज एरिया में लोकेशन के लिए ट्रेस किया. 1000 से ज्यादा नंबरों को सर्विलांस पर लगाया और 200 संदिग्ध नंबर की कॉल डिटेल को खंगाला. इसके बाद यह कंफर्म हुआ कि तीनों आरोपी कौन है और उनकी गिरफ्तारी संभव हो सकी.


पुलिस के आला अधिकारियों के मुताबिक इन तीनों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की चार टीमें लगी हुई थी और जांच पड़ताल में तीन दर्जन से ज्यादा टीमों को अलग से लगाया गया था, क्योंकि मामला तूल पकड़ रहा था. आसपास के जिलों की पुलिस भी इस पूरे प्रकरण में अपने जिलों में भी उनकी तलाश कर रही थी, क्लू थे लेकिन मजबूत नहीं थे. कार्रवाई के दौरान दसवें दिन आरोपियों के पुलिस करीब पहुंच गई थी लेकिन तब तक यह मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए गए हुए थे. पुलिस टीम ने मध्य प्रदेश में जाकर डेरा डाला लेकिन इनको नहीं पकड़ सकी. हालांकि बाद में और पुलिस ने 15 दिन दोनों का इंतजार करके उनके वापस लौटते हैं प्लानिंग के साथ इन्हें पकड़ा.

इस गैंगरेप के मामले में पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद उनके मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच की जा रही है. हालांकि पुलिस का कहना है कि उनके मोबाइल फोन से कोई भी डाटा डिलीट नहीं मिला है, न ही कोई वीडियो डिलीट है, लेकिन उनके मोबाइल की लोकेशन लगातार काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हर रोज रात 12:00 के बाद मिलती थी. पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि यह लोग बीएचयू में लगभग रोज जाया करते थे. पुलिस इलेक्ट्रॉनिक सबूत को आधार बनाकर कोर्ट में पेश करने की तैयारी में है. कॉल डिटेल रिपोर्ट आरोपियों के मोबाइल उनकी बातचीत की रिकॉर्डिंग व्हाट्सएप चैटिंग पीड़िता का बयान और अन्य गवाहों की गवाही के अलावा पुलिस के पास जो भी सबूत है. उनको मजबूती के साथ कोर्ट में रखने की तैयारी करते हुए पुलिस चार्जसीट फाइल करेगी.


बता दें कि बीएचयू में 1 नवंबर को आईआईटी की छात्रा के साथ छेड़खानी की वारदात सामने आई थी, लेकिन वारदात के 7 दिन बाद 8 नवंबर को पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान में अपने साथ गैंगरेप की बात बताई. इसके बाद धारा छेड़खानी से बदलकर गैंगरेप में कन्वर्ट की गई और उसके बाद हड़कंप मच गया. बीएचयू परिसर में लगातार छात्राओं का धरना पुलिस को भी दबाव में डाल रहा था. इसके बाद पुलिस लगातार कार्रवाई के लिए तेजी से प्लानिंग बना रही थी. लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन से प्रेशर में आई पुलिस ने सर्विलांस और मुखबिरों पर भी भरोसा किया, लगभग दो दर्जन से ज्यादा मुखबिरों की मदद से इन तीनों की लोकेशन ट्रेस करने में पुलिस को कामयाबी मिल रही थी, लेकिन यह यह तो निकल जा रहे थे या फिर किसी अन्य कारण से इनकी गिरफ्तारी संभव नहीं हो पा रही थी. हालांकि 30 दिसंबर को पुलिस ने नए साल से पहले इनको धर दबोचा और अब इन्हें कोर्ट में पेश करके जेल भेजा जा चुका है और पुलिस अपने सबूत के आधार पर इनको कड़ी सजा दिलवाने की तैयारी कर रही है.

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