वाराणसी: मानसून ने दस्तक दे दी है, जिसके कारण उत्तर प्रदेश में भारी बारिश देखी जा रही है. वहीं इस मौसम में कई प्रकार के बैक्टीरिया भी पनपते पाए जाते हैं. ऐसे में ज्यादा सचेत रहने की जरूरत होती है क्योंकि 70 से अधिक प्रतिशत आद्रता में हमारे आसपास फफूंद में भी भारी मात्रा में आती है जो हमें बीमार करती है. इस मौसम में फ्लू से लेकर डेंगू तक कई ऐसी बीमारियां हैं जो मानसून के समय ही अपना असर बढ़ा देती है. इसी को ध्यान में रखते हुए हमें सनातन पद्धति और आयुर्वेद की पद्धति पर दिनचर्या का पालन करना होगा.
भारत शुरू से आयुर्वेद को मानने वाला देश रहा है. यही कारण है कि वैश्विक महामारी के दौर में आयुष मंत्रालय भी काढ़ा पीने की सलाह दे रहा है. आयुर्वेद के अनुसार जुलाई मध्य से लेकर सितंबर मध्य तक वर्षा ऋतु के दौरान हमारा संपूर्ण पाचन तंत्र धीमा और कमजोर हो जाता है. वर्षा के दिनों में केवल ताजा भोजन ग्रहण करना चाहिए. भोजन की मात्रा पर नियंत्रण रखना चाहिए. तले और अधिक मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
इन चीजों का करें इस्तेमाल
सेहत के लिए फायदेमंद चीजें जैसे शुद्ध दाल, मूंग, चावल, गेहूं, अदरक का सेवन करना चाहिए. अदरक एक औषधि है जो इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करता है. इसके साथ ही काढ़ा का सेवन करना चाहिए जो इस समय बहुत ज्यादा प्रचलित है. अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए. पानी की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए. घर में या आसपास लोबान का धूप करना चाहिए.
इस काल में करना चाहिए व्यायाम
डॉक्टर वाचस्पति त्रिपाठी ने बताया बारिश का मौसम शुरू हो गया है. सावन भाद्रपद में बहुत सी चीजें वर्जित होती हैं. व्यक्ति को व्यायाम करना चाहिए. सनातनी जीवन शैली जीना चाहिए. इस मौसम में कम सोना चाहिए. अगर व्यक्ति इन तीन चार महीनों में अपने पर ध्यान नहीं देगा तो वात व्याधि से ग्रसित हो जाएगा.
चार महीनों में ये चीजें करें नजरअंदाज
जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, गठिया. इन बारिश के मौसम में योगा करना चाहिए. कम खाना चाहिए. बाहर की और तली हुई चीजें को नजर अंदाज करना चाहिए. इन चार महीनों को हम लोग चतुर्मास भी कहते हैं. यही वजह है कि हमारे सारे मांगलिक कार्यक्रम इस 4 महीने में बंद रहते हैं कि व्यक्ति अपनी सेहत पर ध्यान दें.