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धर्म की नगरी काशी में हिंदू युवक ने रोजे रखकर मनाई ईद - eid celebrated in varanasi

काशी में रहने वाले हिंदू युवक ने 29 दिन के रोजे रखकर मुसलमान भाइयों के साथ ईद मनाई. इतना ही नहीं मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए शरबत भी बटवाए. हिंदू-मुस्लिम कौमी एकता की एक मिसाल पेश करते हुए हरीश पिछले 5 साल से इबादत का यह तरीका अपना रहे हैं.

गले मिलकर लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी.
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Published : Jun 5, 2019, 9:27 PM IST

वाराणसी: धर्म की नगरी काशी में ऊपर वाले की इबादत करने के हजारों रंग मिल जाएंगे. एक ऐसा ही वाकया ईद के दिन देखने को मिला, जहां एक हिंदू ने 29 दिन के रोजे रखकर मुसलमान भाइयों के साथ ईद भी मनाई और उनके लिए शरबत भी बटवाए.

गले मिलकर लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी.
  • वाराणसी में रहने वाले हरीश मिश्रा ने रमजान के महीने में अपने मुस्लिम भाइयों के जैसे ही 29 दिनों का रोजा रखा.
  • बुधवार को ईद के दिन रोजा तोड़ने के लिए हरीश ने अपने हाथों से शरबत पिलाकर रोजा खुलवाया.
  • हरीश मिश्रा का कहना है कि ऊपर वाले की इबादत का यह तरीका वह पिछले 5 साल से अपना रहे हैं.
  • जिस तरह वह नवरात्र के 9 दिनों में उपवास रखते हैं. उसी तरह वह रमजान के पूरे महीने रोजा भी रखते हैं.
  • ऊपर वाले की मदद करने का यह तरीका उन्होंने बनारस के इतिहास से सीखा है.
  • हरीश मिश्रा ने कहा कि यह वह जगह है जहां मिर्जा गालिब भी थे और तुलसीदास भी.
  • बनारस का रस इसी में है कि यहां गंगा जमुनी तहजीब हमेशा ही नजर आती रही है.
  • इसी तहजीब को जिंदा रखने के लिए बनारस में हिंदू-मुस्लिम कौमी एकता की एक मिसाल पिछले कई सालों से पेश की जा रही है और आगे भी की जाती रहेगी.

वाराणसी: धर्म की नगरी काशी में ऊपर वाले की इबादत करने के हजारों रंग मिल जाएंगे. एक ऐसा ही वाकया ईद के दिन देखने को मिला, जहां एक हिंदू ने 29 दिन के रोजे रखकर मुसलमान भाइयों के साथ ईद भी मनाई और उनके लिए शरबत भी बटवाए.

गले मिलकर लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी.
  • वाराणसी में रहने वाले हरीश मिश्रा ने रमजान के महीने में अपने मुस्लिम भाइयों के जैसे ही 29 दिनों का रोजा रखा.
  • बुधवार को ईद के दिन रोजा तोड़ने के लिए हरीश ने अपने हाथों से शरबत पिलाकर रोजा खुलवाया.
  • हरीश मिश्रा का कहना है कि ऊपर वाले की इबादत का यह तरीका वह पिछले 5 साल से अपना रहे हैं.
  • जिस तरह वह नवरात्र के 9 दिनों में उपवास रखते हैं. उसी तरह वह रमजान के पूरे महीने रोजा भी रखते हैं.
  • ऊपर वाले की मदद करने का यह तरीका उन्होंने बनारस के इतिहास से सीखा है.
  • हरीश मिश्रा ने कहा कि यह वह जगह है जहां मिर्जा गालिब भी थे और तुलसीदास भी.
  • बनारस का रस इसी में है कि यहां गंगा जमुनी तहजीब हमेशा ही नजर आती रही है.
  • इसी तहजीब को जिंदा रखने के लिए बनारस में हिंदू-मुस्लिम कौमी एकता की एक मिसाल पिछले कई सालों से पेश की जा रही है और आगे भी की जाती रहेगी.
Intro:वाराणसी। धर्म की नगरी काशी में ऊपर वाले की इबादत करने के हजारों रंग मिल जाएंगे। एक ऐसा ही वाक्या ईद के दिन देखने को मिला जब एक हिंदू ने 29 दिन के रोजे रखकर मुसलमान भाइयों के साथ ईद भी मनाई और उनके रोजे खत्म करवाने के लिए अपने हाथों से उन्हें शरबत भी पिलाया।


Body:VO1: वाराणसी में रहने वाले एक हिंदू हरीश मिश्रा ने रमजान के महीने में अपने मुस्लिम भाइयों के जैसे ही 29 दिनों का रोजा रखा और आज ईद के दिन रोजा तोड़ने के लिए उन्हें अपने हाथों से शरबत पिलाकर उनका रोजा खुलवाया। हरीश मिश्रा का कहना है कि ऊपर वाले की इबादत का यह तरीका वह पिछले 5 साल से अपना रहे हैं। जिस तरह वह नवरात्र के 9 दिनों में उपवास रखते हैं उसी तरह हो रमजान के पूरे महीने रोजा भी रखते हैं। ऊपर वाले की मदद करने का यह तरीका उन्होंने बनारस के इतिहास से सीखा है। हरीश मिश्रा का कहना है कि यह वह जगह है जहां मिर्जा गालिब भी थे और तुलसीदास भी, तो बनारस का रस इसी में है कि यहां गंगा जमुनी तहजीब हमेशा ही नजर आती रहे और इसी तहजीब को जिंदा रखने के लिए बनारस में हिंदू मुस्लिम कौमी एकता की एक मिसाल पिछले कई सालों से पेश की जा रही है और आगे भी की जाती रहेगी।

वॉक थ्रू: अर्निमा द्विवेदी

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236



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