वाराणसी: कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक नए-नए शोध कर रहे हैं. इसी के तहत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में आर्टिमिसिया एनुआ पौधे की पत्ती से हर्बल टेबलेट बनाई जा रही है. आर्टिमिसिया एनुआ पर चीन भी शोध कर रहा है. वहीं कुछ लोग तो इस पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने की सलाह भी देते हैं. हालांकि उबालने से इसके यौगिक तुरंत विघटित हो जाते हैं, जिससे लाभ नहीं मिलता है.
क्या है आर्टिमिसिया एनुआ
आर्टिमिसिया एनुआ एशियाई और यूरोपीय मूल के शीतोष्ण क्षेत्र में व्यापक रूप में पाया जाने वाला एक जंगली पौधा है, जो आमतौर पर 2 मीटर तक की ऊंचाई का होता है. आर्टिमिसिया का चीन की पुस्तक में सर्वप्रथम बुखार की आपातकालीन औषधि के रूप में वर्णन किया गया है. आर्टिमिसिया से प्राप्त आर्टिमिसिनिन मलेरिया की मुख्य दवा है. इसके अतिरिक्त यह कैंसर में भी प्रयोग होने वाला एक महत्वपूर्ण औषधि है.
आर्टेिमिसिया का प्रयोग जीवाणुओं और कवकों से होने वाले संक्रमण के उपचार में होता है. साथ ही ये अफ्रीका में नेत्र हीनता के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है. आर्टिमिसिनिन अफ्रीकन निद्रा रोग में भी औषधीय भूमिका निभाता है, जोकि सीसी मक्खी से संचालित होता है. इसका प्रयोग अस्थमा में भी किया जाता है.
बीएचयू की प्रोफेसर शशि पांडेय ने बताया कि कंप्यूटर सिम्युलेशन से हमको यह पता चला है कि आर्टिमिसिया एनुआ के हर्बल कंपाउंड कोरोना से लड़ने में मदद कर सकते हैं. मुख्य बात यह है कि आर्टिमिसिया में पाए जाने वाले बहुत से ऐसे कंपाउंड हैं, जो हम चाह रहे हैं. उन्होंने कहा कि आर्टिमिसिया के जो लीव्स हैं, जो हर्बल कंपाउंड हैं, उनका पाउडर बनाकर टेबलेट बनाया जा सकता है.
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प्रोफेसर ने बताया कि आर्टिमिसिया को पहले मलेरिया के लिए यूज किया जाता था. इसका उपयोग अर्थराइटिस और मस्तिष्क ज्वर में भी किया जाता है. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि रीप्रपोजिंग ड्रग की तरह इसे कोरोना के इलाज में भी यूज कर सकते हैं.