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पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय की एमसीएच विंग बनी वरदान, स्त्री रोगों का निदान

पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय का एमसीएच विंग (MCH Wing Pt Deen Dayal Upadhyay Hospital Varanasi) महिलाओं के लिए वरदान बना हुआ है. यहां महिलाओं से जुड़े रोगों का इलाज होता है. इस विंग ने बीते 6 महीनों में 80 से ज्यादा प्रसव ऑपरेशन कराए हैं.

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एमसीएच विंग पं. दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय
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Published : Aug 28, 2022, 7:06 PM IST

Updated : Aug 28, 2022, 10:40 PM IST

वाराणसी: पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय का मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विंग (MCH Wing Pt Deen Dayal Upadhyay Hospital Varanasi) महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां स्त्री रोगों के सम्पूर्ण निदान की सुविधा (gynecological diagnostics facility) एक ही छत के नीचे निःशुल्क उपलब्ध है. बीते छह माह के भीतर इस विंग ने 80 से अधिक जटिल प्रसव ऑपरेशन कराए हैं. साथ ही एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी के 16 और ‘ए’ निगेटिव ब्लड ग्रुप की गर्भवती के सफल ऑपरेशन जैसी उपलब्धियां अपने खाते में जोड़ चुका है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के सुदृढ़ीकरण के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इस क्रम में पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में नवनिर्मित एमसीएच विंग वरूणापार इलाके की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष 19 जुलाई को पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में नवनिर्मित 50 बेड के एमसीएच विंग का ऑनलाइन उद्घाटन किया था. तभी से एमसीएच विंग मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को लेकर हर पल मुस्तैद है. अस्पताल में सभी सुविधाएं निःशुल्क दी जाती हैं.

दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय के एमसीएच विंग की प्रभारी डॉ. प्रीति यादव ने बताया कि इस अस्पताल की ओपीडी उद्‌घाटन के बाद से ही चल रही है. यहां प्रसव भी सफलता पूर्वक कराए जा रहे हैं. फरवरी माह से यहां ऑपरेशन से भी प्रसव की सुविधा उपलब्ध है. अब तक यहां 80 से अधिक गर्भवतियों का ऑपरेशन से प्रसव कराया जा चुका है. साथ ही 70 से अधिक गर्भवतियों का सामान्य प्रसव भी हो चुका है.

उन्होंने बताया कि आने वाले समय में एमसीएच विंग को और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा. शिवपुर की रहने वाली सुषमा 24 वर्ष ने बताया कि उसे सात माह का गर्भ है. वह यहां से लगातार चिकित्सकीय सलाह ले रही है. उनका प्रसव इसी अस्पताल में होगा. अस्पताल में भर्ती चांदमारी की रेखा ने कहा कि दो दिन पूर्व उसे यहां प्रसव हुआ है. वह और उसका शिशु स्वस्थ हैं.

यह भी पढ़ें: बनारस में गंगा का कहर, छतों पर हो रहे शवों के अंतिम संस्कार, वरुणा नदी मचा रही तबाही

एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी के भी हो चुके है सफल ऑपरेशन

डॉ. प्रीति यादव ने बताया कि यहां एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी के भी कई सफल ऑपरेशन हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि एमसीएच विंग में एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी का पहला सफल ऑपरेशन गत फरवरी माह में पहड़िया की रहने वाली बदरुनिशा ( 45 वर्ष) का हुआ था. उसके बाद ऐसे 15 और मरीजों के ऑपरेशन कर उनका गर्भाशय निकाला गया और वह सभी स्वस्थ हैं.

‘ए’ निगेटिव ब्लड ग्रुप की गर्भवती का भी जटिल आपरेशन
डॉ. प्रीति यादव ने बताया कि हुकुलगंज की रहने ‘ए’ निगेटिव ब्लड ग्रुप की गर्भवती ऊषा सोनकर का भी यहां जटिल ऑपरेशन हो चुका है. ऊषा सोनकर को गत तीन अप्रैल को प्रसव पीड़ा के चलते यहां भर्ती कराया गया था. उसका यह दूसरा प्रसव था. जांच में पता चला कि वह ‘ए’ निगेटिव ब्लड ग्रुप की है. ऐसे में ऑपरेशन से उसका प्रसव कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था. ऐसा इसलिए कि इस ब्लड गुप्र की उपलब्धता काफी कम होती है. ऑपरेशन के दौरान रक्त की जरूरत पड़ने पर परेशानी होती है. लिहाजा ब्लड गुप्र का पहले से प्रबंध कर उसका जटिल ऑपरेशन किया गया. जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.

डॉ. प्रीति यादव बताती है कि गत मार्च माह में एक मरीज का जटिल ऑपरेशन कर उसके गर्भाशय से सिस्ट हटाया गया था. गर्भाशय में सिस्ट की वजह से यह महिला काफी परेशान थी. सफल ऑपरेशन ने उसे इस परेशानी से छुटकारा दिला दिया.

यह भी पढ़ें: बनारस में उफनाईं गंगा किसानों को ले डूबी, हजारों बीघा फसल बर्बाद



वाराणसी: पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय का मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विंग (MCH Wing Pt Deen Dayal Upadhyay Hospital Varanasi) महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां स्त्री रोगों के सम्पूर्ण निदान की सुविधा (gynecological diagnostics facility) एक ही छत के नीचे निःशुल्क उपलब्ध है. बीते छह माह के भीतर इस विंग ने 80 से अधिक जटिल प्रसव ऑपरेशन कराए हैं. साथ ही एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी के 16 और ‘ए’ निगेटिव ब्लड ग्रुप की गर्भवती के सफल ऑपरेशन जैसी उपलब्धियां अपने खाते में जोड़ चुका है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के सुदृढ़ीकरण के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इस क्रम में पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में नवनिर्मित एमसीएच विंग वरूणापार इलाके की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष 19 जुलाई को पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में नवनिर्मित 50 बेड के एमसीएच विंग का ऑनलाइन उद्घाटन किया था. तभी से एमसीएच विंग मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को लेकर हर पल मुस्तैद है. अस्पताल में सभी सुविधाएं निःशुल्क दी जाती हैं.

दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय के एमसीएच विंग की प्रभारी डॉ. प्रीति यादव ने बताया कि इस अस्पताल की ओपीडी उद्‌घाटन के बाद से ही चल रही है. यहां प्रसव भी सफलता पूर्वक कराए जा रहे हैं. फरवरी माह से यहां ऑपरेशन से भी प्रसव की सुविधा उपलब्ध है. अब तक यहां 80 से अधिक गर्भवतियों का ऑपरेशन से प्रसव कराया जा चुका है. साथ ही 70 से अधिक गर्भवतियों का सामान्य प्रसव भी हो चुका है.

उन्होंने बताया कि आने वाले समय में एमसीएच विंग को और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा. शिवपुर की रहने वाली सुषमा 24 वर्ष ने बताया कि उसे सात माह का गर्भ है. वह यहां से लगातार चिकित्सकीय सलाह ले रही है. उनका प्रसव इसी अस्पताल में होगा. अस्पताल में भर्ती चांदमारी की रेखा ने कहा कि दो दिन पूर्व उसे यहां प्रसव हुआ है. वह और उसका शिशु स्वस्थ हैं.

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एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी के भी हो चुके है सफल ऑपरेशन

डॉ. प्रीति यादव ने बताया कि यहां एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी के भी कई सफल ऑपरेशन हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि एमसीएच विंग में एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी का पहला सफल ऑपरेशन गत फरवरी माह में पहड़िया की रहने वाली बदरुनिशा ( 45 वर्ष) का हुआ था. उसके बाद ऐसे 15 और मरीजों के ऑपरेशन कर उनका गर्भाशय निकाला गया और वह सभी स्वस्थ हैं.

‘ए’ निगेटिव ब्लड ग्रुप की गर्भवती का भी जटिल आपरेशन
डॉ. प्रीति यादव ने बताया कि हुकुलगंज की रहने ‘ए’ निगेटिव ब्लड ग्रुप की गर्भवती ऊषा सोनकर का भी यहां जटिल ऑपरेशन हो चुका है. ऊषा सोनकर को गत तीन अप्रैल को प्रसव पीड़ा के चलते यहां भर्ती कराया गया था. उसका यह दूसरा प्रसव था. जांच में पता चला कि वह ‘ए’ निगेटिव ब्लड ग्रुप की है. ऐसे में ऑपरेशन से उसका प्रसव कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था. ऐसा इसलिए कि इस ब्लड गुप्र की उपलब्धता काफी कम होती है. ऑपरेशन के दौरान रक्त की जरूरत पड़ने पर परेशानी होती है. लिहाजा ब्लड गुप्र का पहले से प्रबंध कर उसका जटिल ऑपरेशन किया गया. जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.

डॉ. प्रीति यादव बताती है कि गत मार्च माह में एक मरीज का जटिल ऑपरेशन कर उसके गर्भाशय से सिस्ट हटाया गया था. गर्भाशय में सिस्ट की वजह से यह महिला काफी परेशान थी. सफल ऑपरेशन ने उसे इस परेशानी से छुटकारा दिला दिया.

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Last Updated : Aug 28, 2022, 10:40 PM IST

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