डीजीसी सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि आपके एप्लिकेशन से यह प्रतीत होता है कि आपको 16 मई को ही पता लग गया था कि ज्ञानवापी में शिवलिंग मिला है. ऐसे में आप 31 मई तक क्या कर रहे थे. इस प्रकरण में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो अर्जेंट नेचर का है. कोर्ट ने कहा कि गर्मी की छुट्टी के कारण सिविल कोर्ट बंद है. यह मामला फौजदारी का भी नहीं है. याचिका बलहीन है, ऐसे में आप सिविल कोर्ट खुलने के बाद जुलाई में आएं. आपको सुनवाई का उचित अवसर दिया जाएगा.
गौरतलब है कि वाराणसी के जिला जज की अदालत में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ से याचिका दायर की गई थी. याचिका में ज्ञानवापी शिवलिंग पर पूजा पाठ के अधिकार की मांग की गई थी. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से 4 जून 2022 को दायर याचिका में मांग की गई थी, कि जब भगवान प्राकट्य हुए हैं तो उनके राग भोग पूजा पाठ का अधिकार मिलना चाहिए.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी परिसर में पहुंचकर कथित शिवलिंग के जलाभिषेक करने का ऐलान किया था, लेकिन प्रशासन ने उन्हें रोक दिया था. इसके बाद वह अन्न-जल त्यागकर धरने पर बैठ गए थे. अपने आश्रम के मुख्य द्वार पर ही धरने पर बैठे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पूजा के अधिकार को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर तत्काल सुनवाई करने का निवेदन किया था. जिला जज ने आज कठोर टिप्पणी करते हुए इस पूरे मामले को खारिज कर दिया है. फिलहाल स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने 108 घंटे बाद अपना अनशन समाप्त कर दिया है. अब वह नई रणनीति के तहत संतो को एकजुट करके एक नई धर्म सेना बनाने की बात कर रहे हैं.
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