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जुगाड़ पर चल रहा ये सरकारी अस्पताल, न डॉक्टर हैं, न सुविधाएं

काशी के एक चमचमाती इमारत वाले सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है. इसके चलते यहां आने वाले मरीजों को काफी परेशान होना पड़ता है. पेश है यह खास रिपोर्ट.

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इस चमचमाते सरकारी अस्पताल में न डॉक्टर हैं, न सुविधाएं, मरीज भगवान भरोसे
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Published : Jul 10, 2022, 3:56 PM IST

वाराणसीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में एक चमचमाती इमारत वाला सरकारी अस्पताल उधार के सामानों पर चल रहा है. यह सुविधाओं का टोटा है. डॉक्टरों की कमी के चलते यहां मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है. इस अस्पताल का यह हाल तब है जब प्रदेश के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक निरीक्षण के जरिए अस्पतालों की अव्यवस्थाओं को दूर करने में जुटे हैं. पेश है यह खास रिपोर्ट.

जिला मुख्यालय से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पंडित दीनदयाल अस्पताल. यहां का जिला महिला अस्पताल जुगाड़ पर या फिर यूं कहें कि वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर संचालित हो रहा है. कहने को यहां एमसीएच विंग के लिए चमचमाती बिल्डिंग जरूर बना दी गई हैं लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति ही है.

काशी के सरकारी अस्पताल में सुविधाओं का टोटा.

गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान आनन-फानन में जनपद में महिला के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को लेकर के अलग-अलग एमसीएच विंग बनाए गए. इसके तहत पंडित दीनदयाल अस्पताल में भी लगभग 19 करोड़ रुपये की लागत से महिला चिकित्सालय बनाया गया. बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी वासियों को यह सौगात दी थी.

अब हैरान करने वाली बात यह है कि आज तक इस अस्पताल में कोई भी कर्मी नियुक्त नहीं किया गया बल्कि पंडित दीनदयाल अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों से ही यहाँ के मरीजों का इलाज़ किया जाता है या फिर एडहॉक पर डॉक्टर रखे जाते हैं. इस बारे में वाराणसी सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि अस्पताल में सभी तरीके की मूलभूत सुविधाएं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अस्पताल की सौगात काशी वासियों को दी गई थी, यहां पर सिजेरियन प्रसव की भी शुरुआत कर दी गई है. हालांकि शासन स्तर से अभी तक कोई नियुक्ति नहीं कराई गई है परंतु वैकल्पिक व्यवस्थाओं से अस्पताल का संचालन किया जा रहा है.

इस बारे में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सीएमएस डॉ. आरके सिंह ने बताया कि इस अस्पताल की लगभग सभी सुविधाएं पंडित दीनदयाल अस्पताल के जरिए मुहैया कराई जाती हैं. यहां 5 डॉक्टर तैनात है. कुछ को अटैच किया गया है. इसके साथ ही डीडीयू अस्पताल से स्टाफ नर्स, वार्ड बॉय, सिजेरियन का सामान, दवा इत्यादि मरीजों के लिए उपलब्ध कराई जाती हैं. जब भी महिला अस्पताल में सिजेरियन प्रसव की जरूरत होती है अस्पताल से सारी सुविधाएं व सारे सामान वहां के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं. बताया कि निश्चित तौर पर कभी-कभी स्वास्थ्य कर्मियों के जाने से पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल की व्यवस्थाएं प्रभावित होती है उसको लेकर हमने शासन को पत्र भी लिखा है,अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. हम उम्मीद करते हैं कि आगामी आने वाले दिनों में शासन स्तर के जरिए इस पर उचित ध्यान देते हुए नियुक्तियां की जाएंगी.

बड़ी बात यह है कि बीते कुछ दिनों पहले स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने इस अस्पताल का निरीक्षण किया था और बारीकी से जांच करने के बाद कई सारी सुविधाओं को बेहतर बनाने का निर्देश दिया था. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री की नजर पास के महिला अस्पताल पर नहीं पड़ी जो उधारी या फिर यूं कहें कि वैकल्पिक व्यवस्थाओं के जरिए संचालित किया जा रहा है. निश्चित तौर पर यहां पर चल रही वैकल्पिक व्यवस्था मरीजों को मिल रही सुविधाओं के ऊपर बड़ा सवाल खड़ा करती है क्योंकि यदि अस्पताल में डॉक्टर व स्टाफ नर्स व अन्य सुविधाएं ही नहीं मौजूद है तो ऐसे चमचमाते बिल्डिंग का आम जनमानस के लिए क्या फायदा.

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वाराणसीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में एक चमचमाती इमारत वाला सरकारी अस्पताल उधार के सामानों पर चल रहा है. यह सुविधाओं का टोटा है. डॉक्टरों की कमी के चलते यहां मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है. इस अस्पताल का यह हाल तब है जब प्रदेश के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक निरीक्षण के जरिए अस्पतालों की अव्यवस्थाओं को दूर करने में जुटे हैं. पेश है यह खास रिपोर्ट.

जिला मुख्यालय से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पंडित दीनदयाल अस्पताल. यहां का जिला महिला अस्पताल जुगाड़ पर या फिर यूं कहें कि वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर संचालित हो रहा है. कहने को यहां एमसीएच विंग के लिए चमचमाती बिल्डिंग जरूर बना दी गई हैं लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति ही है.

काशी के सरकारी अस्पताल में सुविधाओं का टोटा.

गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान आनन-फानन में जनपद में महिला के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को लेकर के अलग-अलग एमसीएच विंग बनाए गए. इसके तहत पंडित दीनदयाल अस्पताल में भी लगभग 19 करोड़ रुपये की लागत से महिला चिकित्सालय बनाया गया. बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी वासियों को यह सौगात दी थी.

अब हैरान करने वाली बात यह है कि आज तक इस अस्पताल में कोई भी कर्मी नियुक्त नहीं किया गया बल्कि पंडित दीनदयाल अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों से ही यहाँ के मरीजों का इलाज़ किया जाता है या फिर एडहॉक पर डॉक्टर रखे जाते हैं. इस बारे में वाराणसी सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि अस्पताल में सभी तरीके की मूलभूत सुविधाएं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अस्पताल की सौगात काशी वासियों को दी गई थी, यहां पर सिजेरियन प्रसव की भी शुरुआत कर दी गई है. हालांकि शासन स्तर से अभी तक कोई नियुक्ति नहीं कराई गई है परंतु वैकल्पिक व्यवस्थाओं से अस्पताल का संचालन किया जा रहा है.

इस बारे में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सीएमएस डॉ. आरके सिंह ने बताया कि इस अस्पताल की लगभग सभी सुविधाएं पंडित दीनदयाल अस्पताल के जरिए मुहैया कराई जाती हैं. यहां 5 डॉक्टर तैनात है. कुछ को अटैच किया गया है. इसके साथ ही डीडीयू अस्पताल से स्टाफ नर्स, वार्ड बॉय, सिजेरियन का सामान, दवा इत्यादि मरीजों के लिए उपलब्ध कराई जाती हैं. जब भी महिला अस्पताल में सिजेरियन प्रसव की जरूरत होती है अस्पताल से सारी सुविधाएं व सारे सामान वहां के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं. बताया कि निश्चित तौर पर कभी-कभी स्वास्थ्य कर्मियों के जाने से पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल की व्यवस्थाएं प्रभावित होती है उसको लेकर हमने शासन को पत्र भी लिखा है,अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. हम उम्मीद करते हैं कि आगामी आने वाले दिनों में शासन स्तर के जरिए इस पर उचित ध्यान देते हुए नियुक्तियां की जाएंगी.

बड़ी बात यह है कि बीते कुछ दिनों पहले स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने इस अस्पताल का निरीक्षण किया था और बारीकी से जांच करने के बाद कई सारी सुविधाओं को बेहतर बनाने का निर्देश दिया था. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री की नजर पास के महिला अस्पताल पर नहीं पड़ी जो उधारी या फिर यूं कहें कि वैकल्पिक व्यवस्थाओं के जरिए संचालित किया जा रहा है. निश्चित तौर पर यहां पर चल रही वैकल्पिक व्यवस्था मरीजों को मिल रही सुविधाओं के ऊपर बड़ा सवाल खड़ा करती है क्योंकि यदि अस्पताल में डॉक्टर व स्टाफ नर्स व अन्य सुविधाएं ही नहीं मौजूद है तो ऐसे चमचमाते बिल्डिंग का आम जनमानस के लिए क्या फायदा.

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