वाराणसीः कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी उत्सव बड़े धूमधाम से पूरे देश भर में मनाया जा रहा है. जिले के दुर्गाकुंड स्थित धर्म संघ में गोपाष्टमी का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गोपाष्टमी की शाम को जब गायें घास चरकर वापस आने पर उनका पंचोपचार पूजन करके भोजन देने और उनकी चरण रज को माथे पर धारण करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है.
गो माता में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास
गो माता को सुबह स्नान कराने के बाद उन्हें श्वेत वस्त्रों से सजाया गया. उसके साथ ही वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ पांच ब्राह्मणों ने गोपाष्टमी का पूजन कराया, जिसमें गो माता को अक्षत, चंदन, रोली, घी, शहद, दूध, मीठा, फल चढ़ाया गया. सनातन धर्म में गो माता के अंदर 33 कोटि देवी-देवताओं का वास माना जाता है. ऐसे में लोगों ने गो माता की पूजा के साथ 33 कोटि देवी देवताओं का पूजन-पाठ किया. पूरा धर्मसंघ प्रांगण महादेव के उद्घोष से गूंज उठा.
गोपाष्टमी के अवसर पर हम लोगों ने पूरे विधि-विधान से मंत्रोच्चारण के बीच गो माता की पूजा की. सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि गो माता में 33 कोटि देवी-देवता निवास करते हैं.
- मनोरमा देवी,श्रद्धालु