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वाराणसी के सोने के कारोबार में हॉलमार्क कैसे बनी संजीवनी, पढ़िए इस रिपोर्ट में

पूर्वांचल का सबसे बड़ा बाजार बनारस है. बनारस का स्वर्ण बाजार खासा महत्व रखता है. यहां प्रत्येक महीने का व्यापार 200 करोड़ के ऊपर होता है. इस बाजार में इन दिनों फुटकर निवेशकों की आवाजाही तेज है. ऐसा मोदी सरकार की नई नीति के कारण है जो सोने के व्यापार में नया विश्वास लेकर आई है. सोने पर हॉलमार्क नीति से बनारस के स्वर्णकला बाजार में 35 प्रतिशत का इजाफा हो गया है.

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Published : Nov 2, 2022, 8:21 AM IST

Updated : Nov 2, 2022, 9:52 AM IST

वाराणसी : पूर्वांचल का सबसे बड़ा बाजार बनारस है. बनारस का स्वर्ण बाजार खासा महत्व रखता है. यहां प्रत्येक महीने का व्यापार 200 करोड़ के ऊपर होता है. इस बाजार में इन दिनों फुटकर निवेशकों की आवाजाही तेज है. ऐसा मोदी सरकार की नई नीति के कारण है जो सोने के व्यापार में नया विश्वास लेकर आई है. सोने पर हॉलमार्क नीति से बनारस के स्वर्णकला बाजार में 35 प्रतिशत का इजाफा हो गया है. इसका असर ग्राहक और दुकानदार दोनों पर दिख रहा है.

बनारस के स्वर्ण बाजार के गहने पूर्वांचल के साथ साथ पूरे बिहार में सप्लाई किए जाते हैं. यही वजह है कि पूर्वांचल व बिहार दोनों का व्यापारिक संबंध जेवरात के मामले में बनारस से बेहद घनिष्ट है. सरकार की हॉलमार्क नीति से इन बाजारों में फुटकर निवेशकों को और बढ़ाया है. वाराणसी में गहनों का बाजार पूरे माह लगभग 200 करोड़ से ज्यादा का होता है. फिलवक्त अब सोने के कारोबार में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इसका महत्वपूर्ण कारण हॉल मार्क नीति को माना जा रहा है. इस नीति से ग्राहकों की गहनों की विश्वसनीयता बढ़ी है. ऐसे में दुकानदारों को ग्राहकों को समझाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ रही है.

बनारस के स्वर्ण बाजार की जानकारी.




स्वर्ण व्यापारी शैलेश वर्मा (Gold trader Shailesh Verma) कहते हैं कि हाॅल मार्क नीति सोने के कारोबार में संजीवनी की तरह साबित हो रही है. इससे हम ग्राहकों को आसानी से किसी भी गहने के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाती है. हॉलमार्क पर बने कोड के जरिए ग्राहक BIS के एप पर जाकर सोने की गुणवत्ता, शुद्धता, डिजाइन आदि जानकारी आसानी से जा सकते हैं. यही वजह है कि कारोबारियों के साथ-साथ फुटकर में भी लोग अब इसमें निवेश कर रहे हैं. इससे व्यापार लगभग 35 फीसदी बढ़ा है.

स्वर्णकार अनिमेष गुप्ता (Goldsmith Animesh Gupta) का कहना है कि बीते समय में सोने की विश्वसनीयता पर सवाल होता था. इसलिए लोग बहुत कम जगह से सोने की खरीदारी करते थे, लेकिन हॉल मार्क के बाद से लोगों का सोने के प्रति रुझान बढ़ा है. पहले लोग धार्मिक रूप से विवाह के आयोजनों में सोना लेते थे. अब लोग निवेश के रूप में सोना खरीद रहे हैं.


यह भी पढ़ें : भाभा परमाणु केंद्र के निदेशक पहुंचे वाराणसी टाटा कैंसर संस्थान, कैंसर इंस्टिट्यूट के विस्तार का प्लान होगा तैयार


बता दें, सोने की शुद्धता और सुंदरता को प्रमाणित करने की प्रक्रिया को हॉल मार्किंग कहा जाता है. यह भारत का राष्ट्रीय मानक है. बीआईएस अधिनियम के तहत सोने के साथ ही चांदी के सभी आभूषणों की हॉलमार्किंग आवश्यक है. आभूषणों के बीच में एक नंबर लिखा रहता है, जिसे स्कैन करने पर उसकी सारी डिटेल आसानी से उपलब्ध हो जाती है. इस मार्क के जरिये आभूषणों की शुद्धता की गारंटी सरकार की ओर से दी जाती है.

यह भी पढ़ें : बीएचयू सीट वृद्धि मामला, छात्रों ने अपनी आवाज बुलंद करने के लिए शुरू की भूख हड़ताल

वाराणसी : पूर्वांचल का सबसे बड़ा बाजार बनारस है. बनारस का स्वर्ण बाजार खासा महत्व रखता है. यहां प्रत्येक महीने का व्यापार 200 करोड़ के ऊपर होता है. इस बाजार में इन दिनों फुटकर निवेशकों की आवाजाही तेज है. ऐसा मोदी सरकार की नई नीति के कारण है जो सोने के व्यापार में नया विश्वास लेकर आई है. सोने पर हॉलमार्क नीति से बनारस के स्वर्णकला बाजार में 35 प्रतिशत का इजाफा हो गया है. इसका असर ग्राहक और दुकानदार दोनों पर दिख रहा है.

बनारस के स्वर्ण बाजार के गहने पूर्वांचल के साथ साथ पूरे बिहार में सप्लाई किए जाते हैं. यही वजह है कि पूर्वांचल व बिहार दोनों का व्यापारिक संबंध जेवरात के मामले में बनारस से बेहद घनिष्ट है. सरकार की हॉलमार्क नीति से इन बाजारों में फुटकर निवेशकों को और बढ़ाया है. वाराणसी में गहनों का बाजार पूरे माह लगभग 200 करोड़ से ज्यादा का होता है. फिलवक्त अब सोने के कारोबार में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इसका महत्वपूर्ण कारण हॉल मार्क नीति को माना जा रहा है. इस नीति से ग्राहकों की गहनों की विश्वसनीयता बढ़ी है. ऐसे में दुकानदारों को ग्राहकों को समझाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ रही है.

बनारस के स्वर्ण बाजार की जानकारी.




स्वर्ण व्यापारी शैलेश वर्मा (Gold trader Shailesh Verma) कहते हैं कि हाॅल मार्क नीति सोने के कारोबार में संजीवनी की तरह साबित हो रही है. इससे हम ग्राहकों को आसानी से किसी भी गहने के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाती है. हॉलमार्क पर बने कोड के जरिए ग्राहक BIS के एप पर जाकर सोने की गुणवत्ता, शुद्धता, डिजाइन आदि जानकारी आसानी से जा सकते हैं. यही वजह है कि कारोबारियों के साथ-साथ फुटकर में भी लोग अब इसमें निवेश कर रहे हैं. इससे व्यापार लगभग 35 फीसदी बढ़ा है.

स्वर्णकार अनिमेष गुप्ता (Goldsmith Animesh Gupta) का कहना है कि बीते समय में सोने की विश्वसनीयता पर सवाल होता था. इसलिए लोग बहुत कम जगह से सोने की खरीदारी करते थे, लेकिन हॉल मार्क के बाद से लोगों का सोने के प्रति रुझान बढ़ा है. पहले लोग धार्मिक रूप से विवाह के आयोजनों में सोना लेते थे. अब लोग निवेश के रूप में सोना खरीद रहे हैं.


यह भी पढ़ें : भाभा परमाणु केंद्र के निदेशक पहुंचे वाराणसी टाटा कैंसर संस्थान, कैंसर इंस्टिट्यूट के विस्तार का प्लान होगा तैयार


बता दें, सोने की शुद्धता और सुंदरता को प्रमाणित करने की प्रक्रिया को हॉल मार्किंग कहा जाता है. यह भारत का राष्ट्रीय मानक है. बीआईएस अधिनियम के तहत सोने के साथ ही चांदी के सभी आभूषणों की हॉलमार्किंग आवश्यक है. आभूषणों के बीच में एक नंबर लिखा रहता है, जिसे स्कैन करने पर उसकी सारी डिटेल आसानी से उपलब्ध हो जाती है. इस मार्क के जरिये आभूषणों की शुद्धता की गारंटी सरकार की ओर से दी जाती है.

यह भी पढ़ें : बीएचयू सीट वृद्धि मामला, छात्रों ने अपनी आवाज बुलंद करने के लिए शुरू की भूख हड़ताल

Last Updated : Nov 2, 2022, 9:52 AM IST
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