वाराणसी: भागीरथ के पूर्वजों को तारने के लिए मां गंगा लंबा सफर तय करते हुए जेष्ठ शुक्ल प्रतिपदा से लेकर जेष्ठ शुक्ल दशमी यानि 10 दिनों में हिमालय से होते हुए गंगा सागर तक पहुंचीं थी. इस कारण गंगा दशहरा के मौके को गंगा के पृथ्वी पर आने के दिवस के रूप में मनाया जाता है.
घाट पड़े सूने
सोमवार को गंगा दशहरा का पावन पर्व है और मां गंगा का उत्पत्ति दिवस भी. वैसे तो इस दिन को हर साल भक्त बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं. धर्म नगरी काशी में इस दिन हर साल लाखों की भीड़ घाटों पर देखने को मिलती है, लेकिन सोमवार को हर तरफ सन्नाटा पसरा रहा. सन्नाटा ऐसा कि मानो जैसे कर्फ्यू लगा हो.
पुलिस कर रही गस्त
हाल ये है कि गंगा घाटों को आने वाली सड़कों पर भारी भरकम फोर्स तैनात है ताकि घाट की तरफ कोई आ न सके. घाटों पर लगातार माइक से अनाउंसमेंट भी किया जा रहा है. यह सब सिर्फ लॉकडाउन के बाद गंगा स्नान के लिए घाटों पर जुटने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए है. दरअसल, गंगा दशहरा के मौके पर गंगा नदी या अन्य किसी भी सरोवर या तालाब में स्नान करने को लेकर जिलाधिकारी ने पहले ही रोक लगा रखी है. इसके बाद पुलिस गंगा से लेकर सड़कों तक लगातार गश्त कर गंगा स्नान करने पहुंचने वालों या फिर बेवजह गंगा घाट पर टहलने वालों पर सख्ती करती दिखाई दे रही है.
लोग पर्व पर घरों में कैद
इसकी वजह से वाराणसी के विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर, जहां आज के दिन लाखों की भीड़ देखने को मिलती थी वहां बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ है. शाम के वक्त नियमित गंगा आरती करवाने वाली संस्था गंगा सेवा निधि परंपराओं का निर्वहन करते हुए एक अर्चक के ओर से मां गंगा की आरती करवाने के बाद आज के दिन को मना रही है. वहीं गंगा स्नान करने वाले पतित पावन दिन पर भी अपने घरों में ही कैद हैं.