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वाराणसी में गंगा खतरे के निशान के ऊपर, कॉलोनियों में घुसा पानी - एनडीआरएफ टीमें तैनात

वाराणसी में गंगा खतरे के निशान के ऊपर पहुंच चुकी है. एनडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है. वहीं, गंगा की सहायक नदी वरुणा भी ज्यादा तबाही मचा रही है. वरुणा का पानी तटीय इलाकों से होता हुआ घरों में प्रवेश कर चुका है.

कॉलोनियों में घुसा पानी
कॉलोनियों में घुसा पानी
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Published : Aug 9, 2021, 9:03 AM IST

वाराणसी: गंगा अपने कदम तेजी से बढ़ाते हुए वाराणसी में खतरे के निशान के ऊपर पहुंच चुकी है. आज सुबह 6 बजे तक के वाटर लेवल की अगर बात की जाए तो वाराणसी में गंगा का वर्तमान जलस्तर 71.36 मीटर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान से 10 सेंटीमीटर ज्यादा है. गंगा में खतरे का निशान 71.26 मीटर है. अलर्ट की स्थिति में अधिकारी चप्पे-चप्पे की निगरानी कर रहे हैं. एनडीआरएफ की भी 10 से ज्यादा टीमों को तैनात किया गया है. कुल मिलाकर वाराणसी में अब गंगा गलियों का रुख कर रही है, जिसकी वजह से राहत और बचाव के लिए गलियों में नाव संचालित हो रही हैं.

वाराणसी में गंगा का जलस्तर तेजी से आगे बढ़ने की वजह से अब गंगा और यमुना से सटे तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों की मुसीबतें भी बढ़ती जा रही हैं. लंका क्षेत्र के मारुति नगर, रोहित नगर, सामने घाट समेत कई अन्य कॉलोनियों में पानी प्रवेश कर चुका है. इसकी वजह से यहां पर ढाई से तीन हजार घरों से लोग पलायन करने पर मजबूर हैं. कुछ लोग जो पलायन नहीं किए हैं वह अपने घरों की छत पर शरण ले चुके हैं. इन इलाकों की बिजली भी काट दी गई है, ताकि कोई खतरा न हो सके. वहीं, प्रशासनिक स्तर पर लगभग 16 नावों का प्रबंध किया गया है, जो बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को रेस्क्यू करने के साथ ही राहत सामग्री पहुंचाने में जुटी हुई हैं. बाढ़ चौकियों के निर्माण के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीमों को भी लगाया गया है. वहीं, एनडीआरएफ की टीमें भी लगातार अपनी स्पेशल नावों के जरिए बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रही हैं और रेस्क्यू करते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में जुटी हुई हैं.

कॉलोनियों में घुसा पानी

पढ़ें: गंगा और यमुना खतरे के निशान के ऊपर, मध्य प्रदेश जाने वाला रास्ता डूबा

एक तरफ जहां गंगा के बढ़ने की वजह से कॉलोनियों में लोगों की मुसीबतें बढ़ रही हैं तो वहीं गंगा की सहायक नदी वरुणा भी ज्यादा तबाही मचा रही है. वरुणा का पानी तटीय इलाकों से होता हुआ अब घरों में प्रवेश कर चुका है और बड़ी संख्या में लोग बाढ़ प्रभावित इलाकों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तरफ जाने पर मजबूर हो गए हैं. वरुणा का पानी अब तक लगभग 5000 से ज्यादा लोगों को बेघर कर चुका है और बहुत से लोग अपने घरों की छतों पर ही शरण लिए हुए हैं.

वाराणसी: गंगा अपने कदम तेजी से बढ़ाते हुए वाराणसी में खतरे के निशान के ऊपर पहुंच चुकी है. आज सुबह 6 बजे तक के वाटर लेवल की अगर बात की जाए तो वाराणसी में गंगा का वर्तमान जलस्तर 71.36 मीटर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान से 10 सेंटीमीटर ज्यादा है. गंगा में खतरे का निशान 71.26 मीटर है. अलर्ट की स्थिति में अधिकारी चप्पे-चप्पे की निगरानी कर रहे हैं. एनडीआरएफ की भी 10 से ज्यादा टीमों को तैनात किया गया है. कुल मिलाकर वाराणसी में अब गंगा गलियों का रुख कर रही है, जिसकी वजह से राहत और बचाव के लिए गलियों में नाव संचालित हो रही हैं.

वाराणसी में गंगा का जलस्तर तेजी से आगे बढ़ने की वजह से अब गंगा और यमुना से सटे तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों की मुसीबतें भी बढ़ती जा रही हैं. लंका क्षेत्र के मारुति नगर, रोहित नगर, सामने घाट समेत कई अन्य कॉलोनियों में पानी प्रवेश कर चुका है. इसकी वजह से यहां पर ढाई से तीन हजार घरों से लोग पलायन करने पर मजबूर हैं. कुछ लोग जो पलायन नहीं किए हैं वह अपने घरों की छत पर शरण ले चुके हैं. इन इलाकों की बिजली भी काट दी गई है, ताकि कोई खतरा न हो सके. वहीं, प्रशासनिक स्तर पर लगभग 16 नावों का प्रबंध किया गया है, जो बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को रेस्क्यू करने के साथ ही राहत सामग्री पहुंचाने में जुटी हुई हैं. बाढ़ चौकियों के निर्माण के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीमों को भी लगाया गया है. वहीं, एनडीआरएफ की टीमें भी लगातार अपनी स्पेशल नावों के जरिए बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रही हैं और रेस्क्यू करते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में जुटी हुई हैं.

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एक तरफ जहां गंगा के बढ़ने की वजह से कॉलोनियों में लोगों की मुसीबतें बढ़ रही हैं तो वहीं गंगा की सहायक नदी वरुणा भी ज्यादा तबाही मचा रही है. वरुणा का पानी तटीय इलाकों से होता हुआ अब घरों में प्रवेश कर चुका है और बड़ी संख्या में लोग बाढ़ प्रभावित इलाकों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तरफ जाने पर मजबूर हो गए हैं. वरुणा का पानी अब तक लगभग 5000 से ज्यादा लोगों को बेघर कर चुका है और बहुत से लोग अपने घरों की छतों पर ही शरण लिए हुए हैं.

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