वाराणसी: गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. गंगा के बढ़ रहे कदमों की वजह से अब गंगा घाट किनारे रहने वाले लोग सहम चुके हैं, क्योंकि गंगा तेजी से सीढ़ियां चढ़ती हुई अब मंदिरों के अंदर प्रवेश कर रही है. बनारस का सुप्रसिद्ध माता शीतला का मंदिर भी आज मां गंगा की आगोश में आ गया. मंदिर के गर्भगृह में पानी आने के बाद पूजन-पाठ अब छत पर शुरू हुआ है, जबकि सिर्फ मंदिर के अंदर आरती हो रही है. वहीं, दशाश्वमेध घाट पर होने वाली नियमित गंगा आरती का स्थल आज चौथे दिन बदला और घाट छोड़कर गंगा आरती अब छत पर शुरू की गई है. तेजी से बढ़ रहे जलस्तर के बाद अब गंगा वाराणसी में खतरे के निशान से लगभग साढ़े 3 मीटर ही दूर रह गई है.
केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. लगभग 3 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गंगा में बढ़ाव जारी है. इस बहाव की वजह से गंगा घाटों की सीढ़ियां चढ़ते हुए अब सड़क पर आने को बेताब है, क्योंकि बनारस के प्रमुख घाट पहले से ही गंगा में समा चुके हैं और अब गंगा किनारे के बड़े मंदिर भी पानी में डूब गए हैं. केंद्रीय जल आयोग की मानें तो वाराणसी में मंगलवार को गंगा का जलस्तर 67.59 मीटर दर्ज किया गया है, जो वार्निंग लेवल 70.26 मीटर से महज 2.67 मीटर और खतरे के निशान 71.26 मीटर से 3.67 मीटर ही दूर है.
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गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह से घाट किनारे रहने वालों की मुसीबत भी बढ़ने लगी है. मणिकर्णिका घाट पर शब्दा छतों पर शुरू हो गया है, तो वहीं गंगा किनारे रहने वाले लोग अब सुरक्षित स्थानों की तरफ जा रहे हैं. गंगा में तेजी से हो रहे बढ़ाव का असर उसकी सहायक नदी वरुणा में भी देखने को मिल रहा है. वरुणा के तटीय इलाकों में पानी रिहायशी इलाकों में आने को बेताब है. क्योंकि वरुणा का पलक प्रवाह ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. पलट प्रवाह वरुणा से जुड़े नालों की वजह से ज्यादा मुसीबत पैदा करता है. इसकी वजह से बड़ी-बड़ी कॉलोनी और वरुणा से सटे इलाकों में बढ़ाव का असर तेजी से देखने को मिलता है.