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यूपी एक खोजः ऐसे हुई थी काशी की गंगा आरती की शुरुआत, पीएम मोदी को भी है खास लगाव - Kashi Ganga Aarti

वाराणसी की प्रसिद्ध गंगा आरती देश ही नहीं दुनिया में अपनी भव्यता के लिए जानी जाती है. आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई और कैसे यह आस्था का बड़ा केंद्र बन गई, चलिए जानते हैं इस खास खबर के जरिए.

बनारस के दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती का है रोचक इतिहास.
बनारस के दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती का है रोचक इतिहास.
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Published : May 13, 2022, 3:53 PM IST

Updated : May 13, 2022, 10:27 PM IST

वाराणसीः दीपों की जगमगाहट, घंटे-घड़ियाल की आवाज और मंत्रोंचार की गूंज के बीच मां गंगा की भव्य आरती अब बनारस की पहचान बन चुकी है. दशाश्वमेध घाट पर होने वाली यह गंगा आरती देश ही नहीं दुनिया में आस्थावानों को आकर्षित करती है. आपको यह जानकर हैरत होगी कि बनारस की गंगा आरती की यह परंपरा सदियों पुरानी नहीं है. यह महज कुछ वर्ष पहले शुरू की गई एक सार्थक पहल है जो अब बड़ा रूप ले चुकी है.

बनारस के दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती हर हिंदू आस्थावान के लिए बड़ा महत्व रखती है. आम आदमी से लेकर वीवीआईपी तक इसमें शामिल होते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी तक गंगा की इस भव्य आरती के साक्षी बन चुके हैं. इसके अलावा कई अभिनेता, उद्यमी समेत देश की बड़ी हस्तियां यहां आती रहतीं हैं. विदेश में भी इस गंगा आरती के कई मुरीद हैं. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे से लेकर नेपाल, मॉरीशस व अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष व राजदूत यहां अपनी हाजिरी दर्ज कराने आते रहते हैं.

देश और दुनिया की आस्था का बड़ा केंद्र बन चुकी है वाराणसी की गंगा आरती.

इस बारे में गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा बताते हैं कि दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती समय के साथ अपने स्वरूप को और भव्य कर रही है. 2007 में इसे भारत की इनक्रेडिबल धरोहर में शामिल किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार बार यहां अपनी हाजिरी लगा चुके हैं. विश्वनाथ कॉरीडोर के निर्माण के बाद गंगा आरती और अद्भुत हो गई है. यहां पर्यटकों का जमावड़ा दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है.

काशी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती की शुरुआत 1991 में पंडित सतेंद्र मिश्र मुंडन महाराज के नेतृत्व में हुई थी. पहले यह आरती देव दीपावली और गंगा दशहरा पर होती थी. धीरे-धीरे इसे नियमित कर दिया गया. यहीं नहीं पहले एक अर्चक मां की आरती उतारता था, अब इनकी भी संख्या बढ़कर सात हो गई है.

गंगा सेवा निधि के कोषाध्यक्ष आशीष पांडेय बताते हैं कि शुरुआती दौर में बेहद कठिनाइयों के साथ इस आरती की शुरुआत की गई थी परंतु समय के साथ लोगों का प्रेम मिलता गया और गंगा आरती को विश्व पटल पर एक नई पहचान मिल गई.

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वाराणसीः दीपों की जगमगाहट, घंटे-घड़ियाल की आवाज और मंत्रोंचार की गूंज के बीच मां गंगा की भव्य आरती अब बनारस की पहचान बन चुकी है. दशाश्वमेध घाट पर होने वाली यह गंगा आरती देश ही नहीं दुनिया में आस्थावानों को आकर्षित करती है. आपको यह जानकर हैरत होगी कि बनारस की गंगा आरती की यह परंपरा सदियों पुरानी नहीं है. यह महज कुछ वर्ष पहले शुरू की गई एक सार्थक पहल है जो अब बड़ा रूप ले चुकी है.

बनारस के दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती हर हिंदू आस्थावान के लिए बड़ा महत्व रखती है. आम आदमी से लेकर वीवीआईपी तक इसमें शामिल होते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी तक गंगा की इस भव्य आरती के साक्षी बन चुके हैं. इसके अलावा कई अभिनेता, उद्यमी समेत देश की बड़ी हस्तियां यहां आती रहतीं हैं. विदेश में भी इस गंगा आरती के कई मुरीद हैं. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे से लेकर नेपाल, मॉरीशस व अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष व राजदूत यहां अपनी हाजिरी दर्ज कराने आते रहते हैं.

देश और दुनिया की आस्था का बड़ा केंद्र बन चुकी है वाराणसी की गंगा आरती.

इस बारे में गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा बताते हैं कि दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती समय के साथ अपने स्वरूप को और भव्य कर रही है. 2007 में इसे भारत की इनक्रेडिबल धरोहर में शामिल किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार बार यहां अपनी हाजिरी लगा चुके हैं. विश्वनाथ कॉरीडोर के निर्माण के बाद गंगा आरती और अद्भुत हो गई है. यहां पर्यटकों का जमावड़ा दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है.

काशी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती की शुरुआत 1991 में पंडित सतेंद्र मिश्र मुंडन महाराज के नेतृत्व में हुई थी. पहले यह आरती देव दीपावली और गंगा दशहरा पर होती थी. धीरे-धीरे इसे नियमित कर दिया गया. यहीं नहीं पहले एक अर्चक मां की आरती उतारता था, अब इनकी भी संख्या बढ़कर सात हो गई है.

गंगा सेवा निधि के कोषाध्यक्ष आशीष पांडेय बताते हैं कि शुरुआती दौर में बेहद कठिनाइयों के साथ इस आरती की शुरुआत की गई थी परंतु समय के साथ लोगों का प्रेम मिलता गया और गंगा आरती को विश्व पटल पर एक नई पहचान मिल गई.

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Last Updated : May 13, 2022, 10:27 PM IST
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