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काशी में विराजते हैं मुंबई के सिद्धिविनायक के प्रतिरुप

देशभर में गणपति उत्सव की धूम है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी के अगस्त कुंडम में पूजे जाने वाले विनायक मुंबई के सिद्धिविनायक के प्रतिरूप होते हैं. यहां पर 7 दिवसीय गणेश महोत्सव में पूजा-पाठ और आरती भी मुंबई के सिद्धिविनायक के तर्ज पर होती है.

गणेश उत्सव
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Published : Sep 6, 2019, 10:52 AM IST

वाराणसी : देशभर में गणपति उत्सव की धूम है मुंबई से लेकर बनारस तक 10 दिवसीय गणेश महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है. काशी के जिन गलियों में हर-हर महादेव की गूंज सुनाई देती थी.,वहां अब 'गणपति बप्पा मोरया' का उद्घोष हो रहा है. काशी के अगस्त कुंडम शारदा भवन में पिछले 91 सालों से गणेश उत्सव मनाया जा रहा है. यहां पर पूजे जाने वाले गणपति मुंबई के सिद्धिविनायक के प्रतिरूप होते हैं.

वाराणसी में गणेश उत्सव.

काशी में सिद्धिविनायक के प्रतिरुप -

काशी में शारदा भवन में लगभग 91 वर्ष से गणेश उत्सव मनाया जाता है. यहां विराजमान गणपति पूरी तरह से मुंबई के सिद्धिविनायक के प्रतिरुप होते हैं. यहां पर 7 दिवसीय गणेश महोत्सव में पूजा-पाठ और आरती भी मुंबई की सिद्धिविनायक के तर्ज पर होती है. गणपति के दर्शन को यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

इसे भी पढें - जानिये क्या है 'गणपति बप्पा मोरया' जयकारे के पीछे की कहानी

गणेश उत्सव के आयोजक बताते हैं कि -

गणेश उत्सव के आयोजक विनोद राव पाठक बताते हैं कि हमारा यही प्रयास रहता है कि प्रतिवर्ष सिद्धिविनायक के स्वरूप की ही मूर्ति बनाया जाए. प्रतिवर्ष हम लोग सिद्धिविनायक के मूर्ति के रूप में ही इस मूर्ति का निर्माण करवाते हैं. यह मूर्ति शुद्ध रूप से मिट्टी से बनी होती है और जैसे सिद्धिविनायक में बैठे हुए गणेश जी का हम दर्शन करते हैं वैसे यहां गणेश जी को उन्हीं की मुद्रा में बैठाया जाता है.

यहां भगवान की प्रतिमा सिद्धिविनायक का रूप है तो यहीं पर हम पूजा-पाठ करते हैं. आज 91 साल से मिट्टी की मूर्ति बनती आ रही है यह सिद्धिविनायक के प्रतिरूप है. सिद्धिविनायक की तरह ही हम मूर्ति यहां पर बनाते हैं.

- राघव, श्रद्धालु

वाराणसी : देशभर में गणपति उत्सव की धूम है मुंबई से लेकर बनारस तक 10 दिवसीय गणेश महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है. काशी के जिन गलियों में हर-हर महादेव की गूंज सुनाई देती थी.,वहां अब 'गणपति बप्पा मोरया' का उद्घोष हो रहा है. काशी के अगस्त कुंडम शारदा भवन में पिछले 91 सालों से गणेश उत्सव मनाया जा रहा है. यहां पर पूजे जाने वाले गणपति मुंबई के सिद्धिविनायक के प्रतिरूप होते हैं.

वाराणसी में गणेश उत्सव.

काशी में सिद्धिविनायक के प्रतिरुप -

काशी में शारदा भवन में लगभग 91 वर्ष से गणेश उत्सव मनाया जाता है. यहां विराजमान गणपति पूरी तरह से मुंबई के सिद्धिविनायक के प्रतिरुप होते हैं. यहां पर 7 दिवसीय गणेश महोत्सव में पूजा-पाठ और आरती भी मुंबई की सिद्धिविनायक के तर्ज पर होती है. गणपति के दर्शन को यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

इसे भी पढें - जानिये क्या है 'गणपति बप्पा मोरया' जयकारे के पीछे की कहानी

गणेश उत्सव के आयोजक बताते हैं कि -

गणेश उत्सव के आयोजक विनोद राव पाठक बताते हैं कि हमारा यही प्रयास रहता है कि प्रतिवर्ष सिद्धिविनायक के स्वरूप की ही मूर्ति बनाया जाए. प्रतिवर्ष हम लोग सिद्धिविनायक के मूर्ति के रूप में ही इस मूर्ति का निर्माण करवाते हैं. यह मूर्ति शुद्ध रूप से मिट्टी से बनी होती है और जैसे सिद्धिविनायक में बैठे हुए गणेश जी का हम दर्शन करते हैं वैसे यहां गणेश जी को उन्हीं की मुद्रा में बैठाया जाता है.

यहां भगवान की प्रतिमा सिद्धिविनायक का रूप है तो यहीं पर हम पूजा-पाठ करते हैं. आज 91 साल से मिट्टी की मूर्ति बनती आ रही है यह सिद्धिविनायक के प्रतिरूप है. सिद्धिविनायक की तरह ही हम मूर्ति यहां पर बनाते हैं.

- राघव, श्रद्धालु

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देशभर में गणपति उत्सव की धूम है मुंबई से लेकर बनारस तक 10 दिवसीय गणेश महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है काशी के जिन गलियों में हर हर महादेव की गूंज सुनाई देती थी अब वहां गणपति बप्पा मोरया का उद्घोष हो रहा है ऐसे में मुंबई के सिद्धिविनायक के दर्शन को देश भर से भक्त मुंबई पहुंचते हैं लेकिन यदि आप गणेश उत्सव पर मुंबई जाकर सिद्धिविनायक के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं और काशी या उसके आसपास रहते हैं तो आप सिद्धिविनायक के दर्शन कर सकते हैं।


Body:काशी के अगस्त कुंडम शारदा भवन में पिछले 91 सालों से गणेश उत्सव मनाया जा रहा है खास बात यह है कि यहां पूजे जाने वाले विनायक मुंबई के सिद्धिविनायक के प्रतिरूप होते हैं यही नहीं 7 दिवसीय इस गणेश महोत्सव में पूजा-पाठ और आरती भी मुंबई की सिद्धिविनायक के तर्ज पर होती है गणपति बप्पा के दर्शन को इन दिनों शारदा फोन में भक्तों की भीड़ लगी है।


Conclusion:गणेश उत्सव के आयोजक विनोद राव पाठक ने बताया हमारा यही प्रयास रहता है कि प्रतिवर्ष सिद्धिविनायक के स्वरूप का ही मूर्ति बनाया जाए थोड़े-थोड़े अंतर से प्रतिवर्ष हम लोग सिद्धिविनायक के मूर्ति के रूप का ही इस मूर्ति का निर्माण करवाते हैं शुद्ध रूप से मिट्टी से बनी हुई होती है और जैसे सिद्धिविनायक में बैठे हुए गणेश जी का हम दर्शन करते हैं वैसे यह गणेश जी को उन्हें मुद्रा में बैठाया जाता है जैसे मुंबई में हम सिद्धिविनायक के दर्शन पाते हैं वैसे ही शारदा भवन के विनायक का भी हम उसी रूप में दर्शन करते हैं।

बाईट:-- विनोद राव पाठक,आयोजक

श्रद्धालु राघव ने बताया यह भगवान की प्रतिमा सिद्धिविनायक का रूप है तो यहीं पर हम पूजा-पाठ करते हैं।आज 91 साल से मिट्टी की मूर्ति बनती आ रही है यह सिद्धिविनायक के प्रतिरूप है. सिद्धिविनायक की तरह ही हम मूर्ति यहां पर बनाते हैं।

बाईट:-- राघव,श्रद्धालु


अशुतोष उपध्याय
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