वाराणसी : देशभर में गणपति उत्सव की धूम है मुंबई से लेकर बनारस तक 10 दिवसीय गणेश महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है. काशी के जिन गलियों में हर-हर महादेव की गूंज सुनाई देती थी.,वहां अब 'गणपति बप्पा मोरया' का उद्घोष हो रहा है. काशी के अगस्त कुंडम शारदा भवन में पिछले 91 सालों से गणेश उत्सव मनाया जा रहा है. यहां पर पूजे जाने वाले गणपति मुंबई के सिद्धिविनायक के प्रतिरूप होते हैं.
काशी में सिद्धिविनायक के प्रतिरुप -
काशी में शारदा भवन में लगभग 91 वर्ष से गणेश उत्सव मनाया जाता है. यहां विराजमान गणपति पूरी तरह से मुंबई के सिद्धिविनायक के प्रतिरुप होते हैं. यहां पर 7 दिवसीय गणेश महोत्सव में पूजा-पाठ और आरती भी मुंबई की सिद्धिविनायक के तर्ज पर होती है. गणपति के दर्शन को यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
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गणेश उत्सव के आयोजक बताते हैं कि -
गणेश उत्सव के आयोजक विनोद राव पाठक बताते हैं कि हमारा यही प्रयास रहता है कि प्रतिवर्ष सिद्धिविनायक के स्वरूप की ही मूर्ति बनाया जाए. प्रतिवर्ष हम लोग सिद्धिविनायक के मूर्ति के रूप में ही इस मूर्ति का निर्माण करवाते हैं. यह मूर्ति शुद्ध रूप से मिट्टी से बनी होती है और जैसे सिद्धिविनायक में बैठे हुए गणेश जी का हम दर्शन करते हैं वैसे यहां गणेश जी को उन्हीं की मुद्रा में बैठाया जाता है.
यहां भगवान की प्रतिमा सिद्धिविनायक का रूप है तो यहीं पर हम पूजा-पाठ करते हैं. आज 91 साल से मिट्टी की मूर्ति बनती आ रही है यह सिद्धिविनायक के प्रतिरूप है. सिद्धिविनायक की तरह ही हम मूर्ति यहां पर बनाते हैं.
- राघव, श्रद्धालु