वाराणसी : पिछले साल 2 अक्टूबर से बीएचयू ने पूरे वर्ष भर निरंतर गांधी को लेकर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पूरे देश में बापू के विचारों को प्रसारित करने के उद्देश्य से 'गांधी 150' कार्यक्रम श्रृंखला का आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम के समापन समारोह पर बीएचयू में तीन दिवसीय 'गांधी पर्व' कार्यक्रम की शुरूआत की गई. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इसका आयोजन किया गया. विचार संवाद, गीत-संगीत एवं चित्रकला जैसे आयामों को समेटे इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर दिनेश सिंह, पूर्व कुलपति प्रोफेसर संजय द्विवेदी एवं बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर मौजूद रहे.
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर दिनेश सिंह ने कहा कि बनारस का होने के नाते बचपन से ही मैं बीएचयू से जुड़ा हूं. गांधी को उनके विचारों को आज के संदर्भ में याद करने की जरूरत है. यदि हम सोचें कि आज कोरोना में गांधी होते तो उनका कदम क्या होता. 1905 में दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में प्लेग का प्रकोप था. महामारी के उस दौर में 35 वर्षीय गांधी सपरिवार चार बच्चों के साथ वहीं रहते थे. उस क्षेत्र में और भी भारतीय रहते थे. गांधीजी ने उस प्रकोप से लड़ने के लिए स्वयंसेवक दल का निर्माण किया.
बीएचयू कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि गांधी ने तमाम प्रताड़ना के बावजूद भी सत्य और अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े लड़ाके के रूप में जाने जाने वाले गांधी ने अपने जीवन को ही एक संदेश बना दिया. बीएचयू के छात्र अधिष्ठाता महेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जीवन का ऐसा कोई पक्ष नहीं जिस पर गांधी के विचार प्रासंगिक न हों. आज भी जब हम पर्यावरण सुरक्षा की बात कर रहे हैं तो अस्पृश्यता की बात कर रहे हैं. शिक्षा के मूल्य आधारित शिक्षा की चर्चा करें तो गांधी एवं उनके विचारों की प्रासंगिकता भी समझ में आती है. इस अवसर पर तमाम विद्वानों ने गांधी के विचारों और गांधी की दूरदर्शिता पर अपनी बात एक-एक कर सबके सामने रखा.