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वाराणसीः अस्सी घाट पर कल से प्रारंभ होगा गांधर्व महोत्सव, देश-विदेश से आएंगे कलाकार

धर्म और संस्कृति की राजधानी काशी में 10 से 11 नवंबर तक गांधर्व महोत्सव का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम में 10 अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध कलाकार आएंगे. महोत्सव में मुख्य अतिथि के तौर पर सूबे के डिप्टी सीएम होंगे.

अस्सी घाट पर कल से प्रारंभ होगा गांधर्व महोत्सव
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Published : Nov 9, 2019, 2:45 PM IST

वाराणसीः गोयनका फाउंडेशन द्वारा अस्सी घाट पर गांधर्व महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा होंगे. यह कार्यक्रम वेद और संस्कृति पर आधारित होगा, जिसमें प्रचीनशास्त्र और संगीत को समावेशित किया जाएगा.

अस्सी घाट पर कल से प्रारंभ होगा गांधर्व महोत्सव.
कार्यक्रम में देश और विदेश में भी ख्याति प्राप्त कर चुके अंतरराष्ट्रीय कलाकार अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे. इसमें पं. राजेंद्र प्रसन्ना, पं. रोनू मजूमदार, पं. विश्वनाथ मिश्र, देवदत्त मिश्र, उस्ताद अकरम खान समेत देश के नामी-गिरामी कलाकारों की प्रस्तुति होगी.

पढे़ंः-अयोध्या भूमि विवाद फैसले से पहले वाराणसी के मठ-मंदिरों में किया जा रहा भजन-कीर्तन

गांधर्व कार्यक्रम का आयोजन शाम के समय में अस्सी घाट पर 10 और 11 नवंबर को आयोजित किया जाएगा. सितार वादक देवब्रत मिश्र ने बताया कि 10 अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार इस महोत्सव में आ रहे हैं. गांधर्व महोत्सव संगीत, साहित्य और वेदों को संरक्षित करने का एक तरह का अनूठा प्रयास है. इसमें युवा कलाकारों को एक मंच मिलेगा, उसके साथ ही संगीत, साहित्य और वेद के आपसी संबंध को हर व्यक्ति जानेगा.

गांधर्व महोत्सव काशी में पहली बार किया जा रहा है. प्राचीनशास्त्र और वेदों में जो निहित ज्ञान है, उस ज्ञान को आम जनमानस तक पहुंचाने का एक लघु प्रयास है. जो लोक परंपराएं हैं, उनको भी संरक्षित करने के लिए गांधर्व महोत्सव एक मंच प्रदान करेगा.
-डॉ. सुखदेव त्रिपाठी, गोयंका फाउंडेशन के सचिव

वाराणसीः गोयनका फाउंडेशन द्वारा अस्सी घाट पर गांधर्व महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा होंगे. यह कार्यक्रम वेद और संस्कृति पर आधारित होगा, जिसमें प्रचीनशास्त्र और संगीत को समावेशित किया जाएगा.

अस्सी घाट पर कल से प्रारंभ होगा गांधर्व महोत्सव.
कार्यक्रम में देश और विदेश में भी ख्याति प्राप्त कर चुके अंतरराष्ट्रीय कलाकार अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे. इसमें पं. राजेंद्र प्रसन्ना, पं. रोनू मजूमदार, पं. विश्वनाथ मिश्र, देवदत्त मिश्र, उस्ताद अकरम खान समेत देश के नामी-गिरामी कलाकारों की प्रस्तुति होगी.

पढे़ंः-अयोध्या भूमि विवाद फैसले से पहले वाराणसी के मठ-मंदिरों में किया जा रहा भजन-कीर्तन

गांधर्व कार्यक्रम का आयोजन शाम के समय में अस्सी घाट पर 10 और 11 नवंबर को आयोजित किया जाएगा. सितार वादक देवब्रत मिश्र ने बताया कि 10 अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार इस महोत्सव में आ रहे हैं. गांधर्व महोत्सव संगीत, साहित्य और वेदों को संरक्षित करने का एक तरह का अनूठा प्रयास है. इसमें युवा कलाकारों को एक मंच मिलेगा, उसके साथ ही संगीत, साहित्य और वेद के आपसी संबंध को हर व्यक्ति जानेगा.

गांधर्व महोत्सव काशी में पहली बार किया जा रहा है. प्राचीनशास्त्र और वेदों में जो निहित ज्ञान है, उस ज्ञान को आम जनमानस तक पहुंचाने का एक लघु प्रयास है. जो लोक परंपराएं हैं, उनको भी संरक्षित करने के लिए गांधर्व महोत्सव एक मंच प्रदान करेगा.
-डॉ. सुखदेव त्रिपाठी, गोयंका फाउंडेशन के सचिव

Intro:धर्म और संस्कृति की राजधानी काशी में 10 से 11 नवंबर तक गांधर्व महोत्सव का आयोजन किया गया है. मौसम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा होंगे। कार्यक्रम वेद और हमारे संस्कृति पर आधारित होगा। प्राच्यशास्त्र और साहित्य और संगीत के समावेश लोगों को बताया जाएगा इस पर चर्चा भी होगी।



Body:कार्यक्रम में देश सहित विदेशों में भी ख्याति प्राप्त कर चुके अंतरराष्ट्रीय कलाकार अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। इसमें पंडित राजेंद्र प्रसन्ना,पंडित रोनू मजूमदार, पंडित विश्वनाथ मिश्र, देवदत्त मिश्र,उस्ताद अकरम खान, समेत देश के नामी-गिरामी कलाकारों की प्रस्तुति होगी। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन शाम को होगा। वेद संगीत पर चर्चा होगी। हमारे वेदों में संगीत का क्या स्थान है यह भी एक आराधना का माध्यम है।


Conclusion:देवव्रत मिश्र ने बताया 10 अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार इस महोत्सव में आ रहे हैं। गांधर्व महोत्सव एक तरह से अनूठा प्रयास है काशी में संगीत साहित्य वेदों को संरक्षित करने का। दूसरे युवा कलाकारों को एक मंच मिलेगा उसके साथ थी संगीत साहित्य और वेद के आपसी संबंध को हर व्यक्ति जानेगा।

बाईट :-- देवब्रत मिश्रा, सितार वादक

डॉ सुखदेव त्रिपाठी ने बताया गंधर्व महोत्सव काशी में पहली बार किया जा रहा है इस परिकल्पना के साथ प्राचीशास्त्र और वेद में जो निहित ज्ञान है। इस ज्ञान को आम जनमानस तक पहुंचाने एक लघु प्रयास हमारी जो लोग परंपराएं हैं।उनको भी संरक्षण करने की गंधर्व महोत्सव एक मंच के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया गया।

बाईट :-- डॉ सुखदेव त्रिपाठी, सचिव गोयंका फाउंडेशन

आशुतोष उपाध्याय वाराणसी
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