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Dolphin Day: वाराणसी में गांगेय डाल्फिन जलज सफारी की शुरुआत

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में विश्व डॉल्फिन दिवस के अवसर पर सोमवार को मार्कण्डेय महादेव घाट पर डीएफओ महावीर कौजलगी द्वारा गांगेय डॉल्फिन जलज सफारी का उद्घाटन किया गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह सफारी राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन के सरंक्षण एवं संवर्धन में सहभागिता के साथ-साथ लोगों की आजीविका का भी साधन बनेगा.

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गांगेय डाल्फिन जलज सफारी की शुरूआत
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Published : Oct 5, 2020, 10:37 PM IST

वाराणसी: मार्कण्डेय घाट कैथी में विश्व डॉल्फिन दिवस के अवसर पर सोमवार को गांगेय डॉल्फिन जलज सफारी का उद्घाटन डीएफओ वाराणसी महावीर कौजलगी ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह सफारी राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन के सरंक्षण एवं संवर्धन में सहभागिता के साथ साथ लोगों की आजीविका का भी साधन बनेगा.

गांगेय डाल्फिन जलज सफारी की शुरूआत.

महावीर कौजलगी ने बताया कि जिला गंगा समिति, वन विभाग एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से घाट के नाविकों की एक रजिस्टर्ड समिति बनाई जाएगी, जिसके माध्यम से इस घाट पर डॉल्फिन सफारी का प्रबंधन किया जाएगा. यहां इसके साथ ही पर्यटक इंटरप्रिटेशन सेंटर, कैंटीन, पर्यटक हट का भी आनंद ले सकेंगे. गांगेय डॉल्फिन जलज सफारी क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगी एवं साथ ही साथ नाविकों एवं स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति में भी वृद्धि करेगी.

इसकी सम्पूर्ण योजना का क्रियान्वयन जिला गंगा समिति एवं वन विभाग वाराणसी के माध्यम से कराया जाएगा. भारतीय वन्यजीव संस्थान से जुड़ी सुनीता रावत ने बताया कि डॉल्फिन दो से तीन मिनट में सांस लेने के लिए पानी से ऊपर जंप करती है. ढंकवा से लेकर गंगा और गोमती के संगम तक डॉल्फिन की सक्रियता सबसे ज्यादा देखी जाती है, उन्होंने बताया कि जहां पर जलधाराएं आपस में टकराती हैं, वहां पर इनके पाए जाने की संभावना काफी रहती है. वहीं राजघाट से लेकर मणिकर्णिका तक पानी की गहराई लगभग 30 मीटर की है और डॉल्फिन हमेशा गहराई में रहती हैं. इसलिए इस ओर लगभग 60 से 70 डॉल्फिन सैर करती रहती हैं, जबकि डॉल्फिन प्वाइंट ढंकवा में ही है.

वाराणसी: मार्कण्डेय घाट कैथी में विश्व डॉल्फिन दिवस के अवसर पर सोमवार को गांगेय डॉल्फिन जलज सफारी का उद्घाटन डीएफओ वाराणसी महावीर कौजलगी ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह सफारी राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन के सरंक्षण एवं संवर्धन में सहभागिता के साथ साथ लोगों की आजीविका का भी साधन बनेगा.

गांगेय डाल्फिन जलज सफारी की शुरूआत.

महावीर कौजलगी ने बताया कि जिला गंगा समिति, वन विभाग एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से घाट के नाविकों की एक रजिस्टर्ड समिति बनाई जाएगी, जिसके माध्यम से इस घाट पर डॉल्फिन सफारी का प्रबंधन किया जाएगा. यहां इसके साथ ही पर्यटक इंटरप्रिटेशन सेंटर, कैंटीन, पर्यटक हट का भी आनंद ले सकेंगे. गांगेय डॉल्फिन जलज सफारी क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगी एवं साथ ही साथ नाविकों एवं स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति में भी वृद्धि करेगी.

इसकी सम्पूर्ण योजना का क्रियान्वयन जिला गंगा समिति एवं वन विभाग वाराणसी के माध्यम से कराया जाएगा. भारतीय वन्यजीव संस्थान से जुड़ी सुनीता रावत ने बताया कि डॉल्फिन दो से तीन मिनट में सांस लेने के लिए पानी से ऊपर जंप करती है. ढंकवा से लेकर गंगा और गोमती के संगम तक डॉल्फिन की सक्रियता सबसे ज्यादा देखी जाती है, उन्होंने बताया कि जहां पर जलधाराएं आपस में टकराती हैं, वहां पर इनके पाए जाने की संभावना काफी रहती है. वहीं राजघाट से लेकर मणिकर्णिका तक पानी की गहराई लगभग 30 मीटर की है और डॉल्फिन हमेशा गहराई में रहती हैं. इसलिए इस ओर लगभग 60 से 70 डॉल्फिन सैर करती रहती हैं, जबकि डॉल्फिन प्वाइंट ढंकवा में ही है.

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