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काशी में गुरु मंत्र लेकर फ्रांस के रोमैंस बने रामानंद नाथ

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Published : Jan 14, 2020, 9:13 PM IST

फ्रांस से काशी आए एक युवक ने अपना नाम बदला और फिर वह यहीं का होकर रह गया. दरअसल, रोमैंन फ्रांस से वाराणसी घूमने आया. यहां उसने वागीश आचार्य से दीक्षा ली. इसके बाद उसने अपना नाम और गोत्र भी बदल लिया.

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रामानंद नाथ बने फ्रांस के रोमैंस

वाराणसी: कहा जाता है कि काशी अद्भुत जगह है और यहां आने के बाद हर कोई बस यहीं का होकर रह जाता है. सनातन धर्म को हमेशा आगे रखने वाले इस शहर में देश-विदेश से आने वाले लोग भी काशी के महत्व और उसके आगे खुद को छोटा महसूस करते हैं. शायद यही वजह है कि विदेशियों को यह शहर काफी पसंद आता है.

रोमैंस से रामानंद नाथ बना फ्रांस का युवक.

ऐसा ही एक विदेशी के साथ उस वक्त हुआ, जब वह काशी घूमने आया लेकिन उसने एक गुरु से गुरु मंत्र लेकर अपना नाम ही बदल लिया. फ्रांस से आए रोमैंन ने काशी में आचार्य वागीश शास्त्री से गुरु मंत्र लेने के बाद अपना नाम बदल कर रामानंद नाथ कर लिया. दरअसल, वाग्योग चेतना पीठ शिवाला में रोमैंन ने आचार्य वागीश शास्त्री से शिव मंत्र की तांत्रिक दीक्षा ग्रहण की. मंत्र दीक्षा के बाद उसने अपना नाम रामानंद नाथ कर लिया और उनका गोत्र भी बदल गया.

इसे भी पढ़ें- ईटीवी भारत से खास बातचीत में जेएनयू कुलपति का इस्तीफा देने से इनकार

वागीश शास्त्री ने बताया कि शक्ति जागृत के लिए शिक्षा लेते हैं. प्रत्येक व्यक्ति की शक्ति प्रसुप्त रहती है. दीक्षा लेने से शक्ति जागृत होती है. कई लोगों से सुनने पर यह भाव उत्पन्न होता है कि हमें शक्ति जगानी है, इसलिए दीक्षा लेते हैं. पहले इनका नाम रोमैंन था, दीक्षा लेने के बाद अब रामानंद नाथ हो गया.

रामानंद नाथ ने बताया कि भारतीय धर्म और संस्कृति में उनकी गहरी आस्था रही. क्षमा पूर्व गुरुदेव से कुंडलिनी जागरण का प्रशिक्षण प्राप्त किया. पुनः काशी आने पर मैंने मंत्र दीक्षा लेने का अनुरोध किया, जिसे गुरुदेव ने स्वीकार कर लिया. दीक्षा ग्रहण करने के बाद मेरी भक्ति और बढ़ गई है और मैं खुद को पहले से शक्तिशाली महसूस कर रहा हूं. धर्म के प्रति मेरी आस्था और बढ़ी है और मैं धार्मिक होने लगा हूं.

वाराणसी: कहा जाता है कि काशी अद्भुत जगह है और यहां आने के बाद हर कोई बस यहीं का होकर रह जाता है. सनातन धर्म को हमेशा आगे रखने वाले इस शहर में देश-विदेश से आने वाले लोग भी काशी के महत्व और उसके आगे खुद को छोटा महसूस करते हैं. शायद यही वजह है कि विदेशियों को यह शहर काफी पसंद आता है.

रोमैंस से रामानंद नाथ बना फ्रांस का युवक.

ऐसा ही एक विदेशी के साथ उस वक्त हुआ, जब वह काशी घूमने आया लेकिन उसने एक गुरु से गुरु मंत्र लेकर अपना नाम ही बदल लिया. फ्रांस से आए रोमैंन ने काशी में आचार्य वागीश शास्त्री से गुरु मंत्र लेने के बाद अपना नाम बदल कर रामानंद नाथ कर लिया. दरअसल, वाग्योग चेतना पीठ शिवाला में रोमैंन ने आचार्य वागीश शास्त्री से शिव मंत्र की तांत्रिक दीक्षा ग्रहण की. मंत्र दीक्षा के बाद उसने अपना नाम रामानंद नाथ कर लिया और उनका गोत्र भी बदल गया.

इसे भी पढ़ें- ईटीवी भारत से खास बातचीत में जेएनयू कुलपति का इस्तीफा देने से इनकार

वागीश शास्त्री ने बताया कि शक्ति जागृत के लिए शिक्षा लेते हैं. प्रत्येक व्यक्ति की शक्ति प्रसुप्त रहती है. दीक्षा लेने से शक्ति जागृत होती है. कई लोगों से सुनने पर यह भाव उत्पन्न होता है कि हमें शक्ति जगानी है, इसलिए दीक्षा लेते हैं. पहले इनका नाम रोमैंन था, दीक्षा लेने के बाद अब रामानंद नाथ हो गया.

रामानंद नाथ ने बताया कि भारतीय धर्म और संस्कृति में उनकी गहरी आस्था रही. क्षमा पूर्व गुरुदेव से कुंडलिनी जागरण का प्रशिक्षण प्राप्त किया. पुनः काशी आने पर मैंने मंत्र दीक्षा लेने का अनुरोध किया, जिसे गुरुदेव ने स्वीकार कर लिया. दीक्षा ग्रहण करने के बाद मेरी भक्ति और बढ़ गई है और मैं खुद को पहले से शक्तिशाली महसूस कर रहा हूं. धर्म के प्रति मेरी आस्था और बढ़ी है और मैं धार्मिक होने लगा हूं.

Intro:स्पेशल

वाराणसी कहते हैं काशी अद्भुत जगह है और यहां आने के बाद हर कोई बस यहीं का होकर रह जाता है। सनातन धर्म को हमेशा आगे रखने वाले इस शहर में देश-विदेश से आगे आने वाले लोग भी काशी के महत्व व उसके आगे खुद को छोटा महसूस करते हैं। शायद यही वजह है कि विदेशियों को यह शहर काफी पसंद आता है।


Body:ऐसा ही एक विदेशी के साथ उस वक्त हुआ। जब वह काशी तो घूमने आया लेकिन उसने एक गुरु से गुरु मंत्र लेकर अपना नाम रोमैंन से बदलकर रामानंद नाथ कर लिया। दरअसल वाग्योग चेतना पीठ शिवाला में फ्रांस निवासी रोमैंन आचार्य वागीश शास्त्री से शिव मंत्र की तांत्रिक दीक्षा ग्रहण की मंत्र दीक्षा के बाद उनका नाम रामानंदनाथ हो गया। उनका गोत्र भी परिवर्तन हो गया।


Conclusion:वागीश शास्त्री ने बताया शक्ति जागृत के लिए शिक्षा लेते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की शक्ति प्रत्यूक्षिप्रं रहती है। दीक्षा लेने से शक्ति जागृत होती है। कई लोगों से सुनने पर या भाव उत्पन्न होता है। कि हमें शक्ति जगानी है। इसलिए दीक्षा लेते हैं। पहले इनका नाम रोमैंन था दीक्षा लेने के बाद अब रामनाथ हो गया।

बाईट :-- वागीश शास्त्री, आचार्य

रामनाथ(रोमैंन) ने बताया भारतीय धर्म और संस्कृति में उनकी गहरी आस्था रही क्षमा पूर्व गुरुदेव से कुंडलिनी जागरण का प्रशिक्षण प्राप्त किया पुनः काशी आने पर मैंने मंत्र दीक्षा लेने का अनुरोध किया जिसे गुरुदेव ने स्वीकार कर लिया। दीक्षा ग्रहण करने के बाद मेरी भक्ति और बढ़ गई हैं और मैं खुद को पहले से शक्तिशाली महसूस कर रहा हूं। धर्म के प्रति मेरी आस्था और बड़ी है और और धार्मिक होने लगा हूं।

बाईट :-- रामनाथ(रोमैंन), फ्रांस

आशुतोष उपाध्याय
7007459303

नोट :-- यह खबर पहले फोटो पर भेजा जा चुका है अब वीडियो और बाइट के साथ भेजी जा रही है। यह खबर करने के लिए ऑफिस से निर्देश दिया गया था।
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