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बाढ़ में भी टिका रहा पीएम मोदी का आइडिया, ज्यों का त्यों बना रहा फ्लोटिंग CNG स्टेशन

काशी में बना दुनिया का पहला फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन बाढ़ में भी पूरी तरह सुरक्षित रहा. जी हां पीएम की मंशा के अनुरूप सीएम के निर्देश पर बने इस फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन पर गंगा के खतरे के निशान के ऊपर जाने के बावजूद कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.

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फ्लोटिंग CNG स्टेशन
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Published : Sep 15, 2022, 8:54 PM IST

वाराणसी: प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में बना दुनिया का पहला फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन ( Floating CNG station ) बाढ़ में भी पूरी तरह सुरक्षित रहा. प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के निर्देश पर बने इस फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन पर गंगा के खतरे के निशान के ऊपर जाने के बावजूद कोई प्रभाव नहीं पड़ा. इस सीएनजी स्टेशन को डिजाइन करने वाले गेल इंडिया ने भी दावा किया था कि दुनिया के पहले पानी में तैरते सीएनजी स्टेशन पर बाढ़ का भी प्रभाव नहीं पड़ेगा. मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर जिला प्रशासन ने न सिर्फ बाढ़ की निगरानी की, बल्कि फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन को सुरक्षित रखने के लिए विशेषज्ञों ने रात-दिन निगरानी रख रही थी. इसके लिए कई तरह के एंकर (लंगर) और आधुनिक तरीको का उपयोग किया गया था.

दरअसल, देव दीपावली पर क्रूज से जल विहार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीजल बोट से जहरीला धुआं निकलते देखा तो उन्हें गंगा में सीएनजी आधारित बोट चलाने की सूझी थी. यह न सिर्फ मां गंगा के लिए आवश्यक था, बल्कि जलीय जंतु और पर्यावरण के लिए भी जरूरी था. पीएम के इस विजन को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री योगी ने पहल की. गेल इंडिया ने इसके लिए डीजल बोट में सीएनजी लगाना शुरू किया. जरूरत थी ऐसे सीएनजी स्टेशन की जो इस बोट में आसानी से सीएनजी भर सके. तब दुनिया के पहले फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन का निर्माण हुआ, लेकिन गंगा में आने वाली हर वर्ष की बाढ़ इसके लिए चुनौती थी, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन और गेल इंडिया के लोगों को सतर्क रहने और पहले से तैयारी के निर्देश दिए थे.

यह भी पढ़ें- वाराणसी में शुरू हुआ मदरसों का सर्वे, 65 साल पुराने मदरसे में पहुंची टीम

गेल इंडिया के महाप्रबंधक सुशील कुमार ने बताया कि इस फ्लोटिंग स्टेशन को डिजाइन करते वक्त बाढ़, गंगा का तेज प्रवाह और आंधी तूफान को ध्यान में रखा गया था. सामान्य बाढ़ के दौरान गंगा नदी में जेट्टी को नियंत्रित करने के लिए कुल 3 डैनफोर्थ एंकर (370 किग्रा) और 4 आरसीसी एंकर (5.5 टन) का उपयोग किया गया था. एक मेरिनर और एक साइट इंजीनियर को 24 घंटे के लिए जेट्टी की निगरानी के लिए साइट पर नियुक्त किया गया था.

यह भी पढ़ें- बिजनौर के दौरे पर तीन मंत्री, अस्पताल समेत कई जगह किया निरीक्षण

गेल इंडिया के महाप्रबंधक ने बताया कि आपातकाल स्थिति में बाढ़ से निपटने के लिए पूरी तैयारी थी. स्टॉकलेस एंकर की तरह कई अतिरिक्त एंकरेज प्रदान किए गए थे, जिनमें से प्रत्येक की न्यूनतम होल्डिंग कैपिसिटी 500 किलोग्राम थी और ट्री पॉइंट्स का उपयोग करते हुए पांच शोर एंकर थे. जल स्तर में अचानक परिवर्तन के मामले में गैंगवे को + - 5 मीटर की क्षैतिज गति के लिए डिज़ाइन किया गया था और पूरे जेट्टी को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए अत्यधिक बाढ़ के दौरान गैंगवे को पानी में उतार दिया गया था. पूर्ण बाढ़ की स्थिति के दौरान लंगर का उपयोग करके जेट्टी को जल मे स्थिर किया गया था. पुल और जेट्टी से विद्युत आपूर्ति और उसके केबल को डिस्कनेक्ट करने का प्रावधान पहले से था और आवश्यकता के अनुसार विधुत आपूर्ति और उसके केबल को डिस्कनेक्ट कर दिया गया. चौबीसों घंटे एक्सपर्ट की शिफ्ट ड्यूटी लगाई गई थी.

वाराणसी: प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में बना दुनिया का पहला फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन ( Floating CNG station ) बाढ़ में भी पूरी तरह सुरक्षित रहा. प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के निर्देश पर बने इस फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन पर गंगा के खतरे के निशान के ऊपर जाने के बावजूद कोई प्रभाव नहीं पड़ा. इस सीएनजी स्टेशन को डिजाइन करने वाले गेल इंडिया ने भी दावा किया था कि दुनिया के पहले पानी में तैरते सीएनजी स्टेशन पर बाढ़ का भी प्रभाव नहीं पड़ेगा. मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर जिला प्रशासन ने न सिर्फ बाढ़ की निगरानी की, बल्कि फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन को सुरक्षित रखने के लिए विशेषज्ञों ने रात-दिन निगरानी रख रही थी. इसके लिए कई तरह के एंकर (लंगर) और आधुनिक तरीको का उपयोग किया गया था.

दरअसल, देव दीपावली पर क्रूज से जल विहार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीजल बोट से जहरीला धुआं निकलते देखा तो उन्हें गंगा में सीएनजी आधारित बोट चलाने की सूझी थी. यह न सिर्फ मां गंगा के लिए आवश्यक था, बल्कि जलीय जंतु और पर्यावरण के लिए भी जरूरी था. पीएम के इस विजन को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री योगी ने पहल की. गेल इंडिया ने इसके लिए डीजल बोट में सीएनजी लगाना शुरू किया. जरूरत थी ऐसे सीएनजी स्टेशन की जो इस बोट में आसानी से सीएनजी भर सके. तब दुनिया के पहले फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन का निर्माण हुआ, लेकिन गंगा में आने वाली हर वर्ष की बाढ़ इसके लिए चुनौती थी, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन और गेल इंडिया के लोगों को सतर्क रहने और पहले से तैयारी के निर्देश दिए थे.

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गेल इंडिया के महाप्रबंधक सुशील कुमार ने बताया कि इस फ्लोटिंग स्टेशन को डिजाइन करते वक्त बाढ़, गंगा का तेज प्रवाह और आंधी तूफान को ध्यान में रखा गया था. सामान्य बाढ़ के दौरान गंगा नदी में जेट्टी को नियंत्रित करने के लिए कुल 3 डैनफोर्थ एंकर (370 किग्रा) और 4 आरसीसी एंकर (5.5 टन) का उपयोग किया गया था. एक मेरिनर और एक साइट इंजीनियर को 24 घंटे के लिए जेट्टी की निगरानी के लिए साइट पर नियुक्त किया गया था.

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गेल इंडिया के महाप्रबंधक ने बताया कि आपातकाल स्थिति में बाढ़ से निपटने के लिए पूरी तैयारी थी. स्टॉकलेस एंकर की तरह कई अतिरिक्त एंकरेज प्रदान किए गए थे, जिनमें से प्रत्येक की न्यूनतम होल्डिंग कैपिसिटी 500 किलोग्राम थी और ट्री पॉइंट्स का उपयोग करते हुए पांच शोर एंकर थे. जल स्तर में अचानक परिवर्तन के मामले में गैंगवे को + - 5 मीटर की क्षैतिज गति के लिए डिज़ाइन किया गया था और पूरे जेट्टी को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए अत्यधिक बाढ़ के दौरान गैंगवे को पानी में उतार दिया गया था. पूर्ण बाढ़ की स्थिति के दौरान लंगर का उपयोग करके जेट्टी को जल मे स्थिर किया गया था. पुल और जेट्टी से विद्युत आपूर्ति और उसके केबल को डिस्कनेक्ट करने का प्रावधान पहले से था और आवश्यकता के अनुसार विधुत आपूर्ति और उसके केबल को डिस्कनेक्ट कर दिया गया. चौबीसों घंटे एक्सपर्ट की शिफ्ट ड्यूटी लगाई गई थी.

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