वाराणसी: गंगा में राज्यमीन (स्टेट फिश) चिताला मछलियों छोड़ी गईं. देश में पहली बार वाराणसी में चिताला मछलियों की रिवर रैचिंग (River Ratching of Chitala fishes in Varanasi) हुई है. वाराणसी के रविदास घाट पर रिवर रैचिंग कार्यक्रम में मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के केंद्रीय मंत्री परशोत्तम भाई रुपाला व उत्तर प्रदेश के मत्स्य मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद ने एक लाख चिताला मछलियों की अंगुलिकाएं छोड़ीं. योगी सरकार की ओर से चिताला मछली की रिवर रैचिंग से नदियों की पारिस्थिति की तंत्र को मजबूत रखने, गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने और मत्स्य पालकों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी. राज्यमीन चिताला के रिवर रैचिंग से प्राकृतिक जल स्रोतों में इसकी संख्या में बढ़ोत्तरी होगी.
वाराणसी में चिताला मछलियों की रिवर रैचिंग देश में पहली बार प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चिताला मछलियों की रिवर रैचिंग की गई है. इस दौरान किसान क्रेडिट कार्ड के 5-5 लाभार्थियों को सांकेतिक चेक वितरित किये. साथ ही मछुआ दुर्घटना बीमा योजना के प्रमाण पत्र, सीड्स और फिश पार्लर वितरित किया गया. उन्होंने कहा कि चिताला मछली विलुप्ति की कगार पर है. इस मछली को राज्य की मुख्य नदियों में तथा मत्स्य पालकों द्वारा तालाबों में संवर्धन किये जाने को लेकर सरकार ने खास योजना शुरू की है. चिताला संवर्धन प्रोजेक्ट के तहत मत्स्य पालन विभाग ने इसकी वंश वृद्धि के लिए एनबीएफजीआर के साथ एमओयू किया है. इसके तहत ब्यूरो की मदद से चिताला मछली को रिवर रैचिंग (Chitala fishes released in Varanasi Ganga River) के जरिए जलाशयों में पुनर्स्थापित किया जा रहा है. मत्स्य मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद ने बताया कि निषाद राज बोट सब्सिडी योजना शुरू की गई है. उन्होंने मत्स्य महापुराण का जिक्र करते हुए करते कहा कि 18 पुराणों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है. भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार से सम्बन्ध होने के कारण यह मत्स्य पुराण कहलाता है. भगवान् मत्स्य के द्वारा राजा वैवस्वत मनु तथा सप्तर्षियों को जो अत्यन्त दिव्य एवं कल्याणकारी उपदेश दिये गये थे, वे ही मत्स्य पुराण में संगृहीत हैं.
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चिताला मछलियों की रिवर रैचिंग प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजनान्तर्गत अब तक 1000 करोड़ से अधिक की परियोजनायें उत्तर प्रदेश में निर्माणाधीन या क्रियाशील है. मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजनान्तर्गत किसानों की आय में वृद्धि एवं स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ग्राम सभा एवं अन्य पट्टे के तालाबों में निवेश एवं मत्स्य बीज बैंक की स्थापना हेतु राज्य सरकार द्वारा दो परियोजनायें संचालित की जा रही है. जिसमे सुधारे गये ग्राम सभा व अन्य पट्टे के तालाबों में प्रथम वर्ष निवेश व सुधारे गये ग्राम सभा व अन्य पट्टे के तालाबों में मत्स्य बीज बैंक की स्थापना प्रमुख हैं.निदेशक मत्स्य प्रशांत शर्मा ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि राज्यमीन (स्टेट फिश) चिताला को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने नियर थ्रीटेंड की श्रेणी में सम्मिलित किया है. इसके संवर्धन और संरक्षण के लिए सरकार ने रिवर रैचिंग का कार्यक्रम आयोजित किया है. उन्होंने बताया कि चिताला मछली की रिवर रैचिंग से नदियों में इनकी संख्या में वृद्धि होगी, जिससे नदियों में पारस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी. मत्स्य पालकों की आय में वृद्धि होगी. साथ ही मछली खाने वाले लोगो को प्रोटीन युक्त पौष्टिक आहार उपलब्धता भी बढ़ेगी.
देश में पहली बार वाराणसी में चिताला मछलियों की रिवर रैचिंग इस मौके पर लाभार्थियों को पीएम व सीएम मत्स्य सम्पदा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड और मछुआ दुर्घटना बीमा योजना के प्रमाण पत्र वितरित किये गये. इसके अलावा फिश पार्लर की चाभियां भी दी गईं. मत्स्य विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की बुकलेट का विमोचन किया गया. प्रदेश में मुख्य मंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत अब तक 650 मत्स्य पालकों को 555 हेक्टेयर के तालाबों हेतु रुपए 8.5 करोड़ का अनुदान वितरित किया जा चुका है. ग्राम समाज के तालाबों के मत्स्य पालकों को अनुदान देने के लिए मुख्य मंत्री मत्स्य संपदा योजना राज्य में किर्यांवित की गई.उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निषाद राज बोट योजना का भी क्रियान्वयन किया गया है. इस योजना के अंतर्गत मत्स्य पालकों एव मछुआरों को 1865 नाव देने का प्राविधान है. मत्स्य विभाग द्वारा इस वित्तीय वर्ष हेतु रुपए 25 करोड़ का मछुआ कल्याण कोष स्थापित किया गया है. जिसके अंतर्गत 12 परियोजनाओं में गरीब मछुआ समुदाय के लिए अनुदान का प्रावधान है.
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