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टीबी मुक्त वाराणसी के लिए स्वास्थ्य विभाग का नया प्लान, मरीज लाओ और इनाम पाओ

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Published : Jun 26, 2021, 7:47 AM IST

वाराणसी को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा नया प्लान तैयार किया है. इसके तहत नया टीबी रोगी खोजने वालों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से 500 रुपये का नगद पुरस्कार दिया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग ने इसका पूरा खाका तैयार कर लिया है. 1 जुलाई से स्वास्थ्य विभाग इसके लिए विशेष अभियान शुरू कर रहा है.

टीबी मुक्त वाराणसी के लिए स्वास्थ्य विभाग का नया प्लान
टीबी मुक्त वाराणसी के लिए स्वास्थ्य विभाग का नया प्लान

वाराणसी: जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा नया प्लान तैयार किया है. इसके तहत नया टीबी रोगी खोजने वालों को स्वास्थ्य विभाग के ओर से 500 रुपये का नगद पुरस्कार दिया जाएगा. जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि अगले माह जुलाई में विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह एवं दस्तक अभियान के दौरान जो आशा कार्यकर्ता नए टीबी रोगी खोजेंगी. उन्हें सूचनादाता के तौर पर 500 रुपये उनके खाते में दिए जाएंगे. इसके साथ ही अगर कोई गैर सरकारी व्यक्ति भी टीबी का नया रोगी खोजता है, तो उसे सूचनादाता के तौर पर यही धनराशि देने का प्रावधान है.

चलाया जाएगा विशेष अभियान
डॉ. राहुल ने बताया कि एक जुलाई से 31 जुलाई तक के विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान और 12 जुलाई से 25 जुलाई तक दस्तक अभियान के दौरान क्षय रोगियों को खोजा जाएगा. इस दौरान जो आशा कार्यकर्ता लक्षण वाले संभावित क्षय रोगियों को ढूंढेंगी, ऐसे रोगियों की लिस्ट तैयार कर वह एएनएम को देंगी और ब्लॉक मुख्यालय को भी उपलब्ध कराएंगी. ऐसे संभावित रोगियों की टीबी जांच कराई जाएगी. जांच में अगर टीबी की पुष्टि ऐसे रोगी में होती है, जिसको पहली बार यह बीमारी हुई है और जो पहले से निक्षय पोर्टल पर दर्ज नहीं है तो रोगी को तुरंत पोर्टल पर पंजीकृत किया जाएगा. ऐसे रोगी को इलाज के दौरान 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण के लिए खाते में दिए जाएंगे.

लोगों से की अपील
जिला क्षय रोग अधिकारी ने जनपदवासियों से अपील की है कि अभियान के दौरान जब अंग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता उनके घर टीबी के लक्षणों के बारे में जानकारी मांगें तो सही जानकारी दें. बीमारी को छिपाएं नहीं. टीबी रोगियों के इलाज में गोपनीयता बरती जाती है. लक्षणों के बावजूद अगर कोई बीमारी को छिपा रहा है, तो इससे उसके परिवार में भी टीबी के प्रसार का खतरा रहता है. बीमारी छिपाने वालों का समय से इलाज शुरू नहीं हो पाता और टीबी खतरनाक रूप अख्तियार करने लगती है.

यह लक्षण दिखें तो जरूर जांच कराएं
डॉ राहुल ने बताया कि दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना टीबी के सामान्य लक्षण हैं. ऐसे में अगर खांसी का मरीज आता है, तो उसके सभी लक्षणों की गहनता से पड़ताल होनी चाहिए और संभावित टीबी मरीज दिखे तो टीबी जांच अवश्य करवाई जानी चाहिए.

टीबी के प्रकार
टीबी (tubercle bacillus) रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु के कारण होता है. इसको तपेदिक, क्षय रोग आदि नामों से भी जाना जाता है. टीबी के दो प्रकार हैं. पहला- पल्मोनरी टीबी और दूसरा- एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी. पल्मोनरी टीबी फेफड़ों में होती है. वहीं एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी शरीर के दूसरे अंगों में होती है.

इसे भी पढ़ें- आईआईटी कानपुर ने कोरोना की तीसरी लहर पर किया शोध, इस महीने में आ सकते हैं ज्यादा केस

ड्रग रेजिस्टेंस टीबी
दरअसल, जब टीबी मरीजों के इलाज में देरी हो जाती है और इलाज के दौरान नियमित दवाएं न लेने पर बैक्टीरिया में दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में दवाएं असरहीन हो जाती हैं. जिसके बाद अलग-अलग एंटीबायोटिक दवाएं लेने से भी जीवाणुओं पर दवा का असर नहीं होता. ऐसे में टीबी को ड्रग रेजिस्टेंस टीबी कहा जाता है.

टीबी के लक्षण
शारीरिक कमजोरी, थकान, दर्द, भूख न लगना और वजन में कमी, हल्का बुखार, लसिका ग्रंथियों में सूजन टीबी के सामान्य लक्षण हैं. फेफड़ों के टीबी में सांस लेने में मरीज को तकलीफ, सीने में दर्द, लगातार खांसी, इसके साथ बलगम व कभी कभार खून भी आता है. टीबी जिस अंग में होती है लक्षण उसी अनुसार होते हैं. जैसे रीढ़ की हड्डी में टीबी से कमरदर्द, किडनी की टीबी में यूरिन में रक्त आना, दिमाग की टीबी से टीबी का दौरा, मिर्गी, बेहोशी छाना और पेट की टीबी में पेटदर्द और दस्त आदि होता है.

इसे भी पढ़ें- इस एप से दूर होगी टीबी मरीजों की मुश्किलें, घर बैठे मिलेंगी जानकारियां

वाराणसी: जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा नया प्लान तैयार किया है. इसके तहत नया टीबी रोगी खोजने वालों को स्वास्थ्य विभाग के ओर से 500 रुपये का नगद पुरस्कार दिया जाएगा. जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि अगले माह जुलाई में विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह एवं दस्तक अभियान के दौरान जो आशा कार्यकर्ता नए टीबी रोगी खोजेंगी. उन्हें सूचनादाता के तौर पर 500 रुपये उनके खाते में दिए जाएंगे. इसके साथ ही अगर कोई गैर सरकारी व्यक्ति भी टीबी का नया रोगी खोजता है, तो उसे सूचनादाता के तौर पर यही धनराशि देने का प्रावधान है.

चलाया जाएगा विशेष अभियान
डॉ. राहुल ने बताया कि एक जुलाई से 31 जुलाई तक के विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान और 12 जुलाई से 25 जुलाई तक दस्तक अभियान के दौरान क्षय रोगियों को खोजा जाएगा. इस दौरान जो आशा कार्यकर्ता लक्षण वाले संभावित क्षय रोगियों को ढूंढेंगी, ऐसे रोगियों की लिस्ट तैयार कर वह एएनएम को देंगी और ब्लॉक मुख्यालय को भी उपलब्ध कराएंगी. ऐसे संभावित रोगियों की टीबी जांच कराई जाएगी. जांच में अगर टीबी की पुष्टि ऐसे रोगी में होती है, जिसको पहली बार यह बीमारी हुई है और जो पहले से निक्षय पोर्टल पर दर्ज नहीं है तो रोगी को तुरंत पोर्टल पर पंजीकृत किया जाएगा. ऐसे रोगी को इलाज के दौरान 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण के लिए खाते में दिए जाएंगे.

लोगों से की अपील
जिला क्षय रोग अधिकारी ने जनपदवासियों से अपील की है कि अभियान के दौरान जब अंग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता उनके घर टीबी के लक्षणों के बारे में जानकारी मांगें तो सही जानकारी दें. बीमारी को छिपाएं नहीं. टीबी रोगियों के इलाज में गोपनीयता बरती जाती है. लक्षणों के बावजूद अगर कोई बीमारी को छिपा रहा है, तो इससे उसके परिवार में भी टीबी के प्रसार का खतरा रहता है. बीमारी छिपाने वालों का समय से इलाज शुरू नहीं हो पाता और टीबी खतरनाक रूप अख्तियार करने लगती है.

यह लक्षण दिखें तो जरूर जांच कराएं
डॉ राहुल ने बताया कि दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना टीबी के सामान्य लक्षण हैं. ऐसे में अगर खांसी का मरीज आता है, तो उसके सभी लक्षणों की गहनता से पड़ताल होनी चाहिए और संभावित टीबी मरीज दिखे तो टीबी जांच अवश्य करवाई जानी चाहिए.

टीबी के प्रकार
टीबी (tubercle bacillus) रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु के कारण होता है. इसको तपेदिक, क्षय रोग आदि नामों से भी जाना जाता है. टीबी के दो प्रकार हैं. पहला- पल्मोनरी टीबी और दूसरा- एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी. पल्मोनरी टीबी फेफड़ों में होती है. वहीं एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी शरीर के दूसरे अंगों में होती है.

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ड्रग रेजिस्टेंस टीबी
दरअसल, जब टीबी मरीजों के इलाज में देरी हो जाती है और इलाज के दौरान नियमित दवाएं न लेने पर बैक्टीरिया में दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में दवाएं असरहीन हो जाती हैं. जिसके बाद अलग-अलग एंटीबायोटिक दवाएं लेने से भी जीवाणुओं पर दवा का असर नहीं होता. ऐसे में टीबी को ड्रग रेजिस्टेंस टीबी कहा जाता है.

टीबी के लक्षण
शारीरिक कमजोरी, थकान, दर्द, भूख न लगना और वजन में कमी, हल्का बुखार, लसिका ग्रंथियों में सूजन टीबी के सामान्य लक्षण हैं. फेफड़ों के टीबी में सांस लेने में मरीज को तकलीफ, सीने में दर्द, लगातार खांसी, इसके साथ बलगम व कभी कभार खून भी आता है. टीबी जिस अंग में होती है लक्षण उसी अनुसार होते हैं. जैसे रीढ़ की हड्डी में टीबी से कमरदर्द, किडनी की टीबी में यूरिन में रक्त आना, दिमाग की टीबी से टीबी का दौरा, मिर्गी, बेहोशी छाना और पेट की टीबी में पेटदर्द और दस्त आदि होता है.

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