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आर्थिक तंगी से लड़कर किसान का बेटा बना आईएएस, परिवार ही नहीं जिले का नाम भी किया रोशन - लखनऊ के नेशनल इंटर कॉलेज

संघ लोक सेवा आयो‍ग (UPSC) ने सिविल सर्विस एग्‍जाम (CSE) 2021 का फाइनल रिजल्‍ट जारी कर दिया है. इसमें आंनद सिंह ने 206 रैंक लाकर अपने परिवार का ही नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया है.

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आर्थिक तंगी से लड़कर किसान का बेटा बना आईएएस
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Published : May 31, 2022, 3:50 PM IST

वाराणसी: संघ लोक सेवा आयो‍ग (UPSC) ने सिविल सर्विस एग्‍जाम (CSE) 2021 का फाइनल रिजल्‍ट जारी कर दिया है. इसमें आंनद सिंह ने 206 रैंक लाकर अपने परिवार का ही नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया है. इसके पहले आनंद को 2019 में यूपी पीसीएस में 53 वा रैंक और वर्ष 2020 में यूपीएससी में 533 रैंक लाने पर इनकम टैक्स विभाग मिला था. इसके बाद भी आनंद आगे की तैयारियों में जुटे रहे. जिसके कारण 2021 में यूपीएससी, सीएसई में उन्होंने 206 रैंक हासिल किया है. रिजल्ट घोषित होने के बाद आनंद के परिजनों को बधाई देने का तांता लग गया है.

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के सिंहपुर निवासी मधुरेश सिंह के पुत्र आनंद सिंह यूपीएससी (सीएसई) परीक्षा 2021 में 206 रैंक लाकर अपने परिवार एवं जिले का नाम रोशन किया है. आनंद सिंह के पिता मधुरेश किसान है. जिनके दो पुत्रों में छोटे पुत्र आनंद के आईएएस बनने की खबर मिलते ही घर वालों को बधाई देने का तांता लगा रहा है. आनंद अपने परिवार व रिश्तेदार में पहले व्यक्ति है जो इस मुकाम पर पहुंचे है. आनंद के बड़े भाई अनुज सिंह फ़िल्म लाइन में जुड़े है, जो आनंद का आर्थिक मदद के साथ मार्गदर्शन करते हैं.

इसे भी पढ़े-श्रुति शर्मा ने मारी बाजी, पहले चार स्थानों पर महिलाओं का कब्जा, पीएम ने दी बधाई

आनंद सिंह की शिक्षा दीक्षा

आनंद की प्राथमिक शिक्षा दीक्षा गांव सिंहपुर के हुजूरपुर से हुई, इसके बाद इंटरमीडिएट लखनऊ के नेशनल इंटर कालेज से हुई. आगे की पढ़ाई उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से की, जहां पर उन्होंने बी.ए ऑनर्स इतिहास से किया. पढ़ाई के दौरान ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े. इसके बाद आनंद आगे की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए.

आर्थिक समस्या का सामना

आनंद ने बताया की किसान का बेटा होने के कारण कई बार मुझे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा. उस समय मेरे भैया ने मेरी मदद की. पहली दो अटेम्ट में नहीं निकलने पर मनोबल में कमी आई. जब मैंने दूसरे बच्चों को देखा की 6-6 अटेम्ट के बाद उन्हें सफलता मिली है तो मेरे अभी दो ही अटेम्ट हुए हैं. इसी प्रेरणा के साथ मैनें पढ़ाई की. जिससे आज मुझे सफलता प्राप्त हुई.

आनंद ने आगे बताया की गांव के पृष्ठ भूमि से जुड़े होने के कारण मुझे लगता है की प्रशासन को संवेदनशीलता और बढ़ना चाहिए. इसकी कमी के कारण विकास जिस गति से होना चाहिए उस गति से नहीं हो पा रहा है. सरकार की हर योजना गांव के हर व्यक्ति तक पहुंचना मेरी प्राथमिकता होगी. आनंद ने आगे कहा की फिलहाल अभी मुझे ट्रेनिंग में जाना है. जहां तैनाती मिलेगी वहां कार्य करना है.

वाराणसी: संघ लोक सेवा आयो‍ग (UPSC) ने सिविल सर्विस एग्‍जाम (CSE) 2021 का फाइनल रिजल्‍ट जारी कर दिया है. इसमें आंनद सिंह ने 206 रैंक लाकर अपने परिवार का ही नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया है. इसके पहले आनंद को 2019 में यूपी पीसीएस में 53 वा रैंक और वर्ष 2020 में यूपीएससी में 533 रैंक लाने पर इनकम टैक्स विभाग मिला था. इसके बाद भी आनंद आगे की तैयारियों में जुटे रहे. जिसके कारण 2021 में यूपीएससी, सीएसई में उन्होंने 206 रैंक हासिल किया है. रिजल्ट घोषित होने के बाद आनंद के परिजनों को बधाई देने का तांता लग गया है.

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के सिंहपुर निवासी मधुरेश सिंह के पुत्र आनंद सिंह यूपीएससी (सीएसई) परीक्षा 2021 में 206 रैंक लाकर अपने परिवार एवं जिले का नाम रोशन किया है. आनंद सिंह के पिता मधुरेश किसान है. जिनके दो पुत्रों में छोटे पुत्र आनंद के आईएएस बनने की खबर मिलते ही घर वालों को बधाई देने का तांता लगा रहा है. आनंद अपने परिवार व रिश्तेदार में पहले व्यक्ति है जो इस मुकाम पर पहुंचे है. आनंद के बड़े भाई अनुज सिंह फ़िल्म लाइन में जुड़े है, जो आनंद का आर्थिक मदद के साथ मार्गदर्शन करते हैं.

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आनंद सिंह की शिक्षा दीक्षा

आनंद की प्राथमिक शिक्षा दीक्षा गांव सिंहपुर के हुजूरपुर से हुई, इसके बाद इंटरमीडिएट लखनऊ के नेशनल इंटर कालेज से हुई. आगे की पढ़ाई उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से की, जहां पर उन्होंने बी.ए ऑनर्स इतिहास से किया. पढ़ाई के दौरान ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े. इसके बाद आनंद आगे की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए.

आर्थिक समस्या का सामना

आनंद ने बताया की किसान का बेटा होने के कारण कई बार मुझे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा. उस समय मेरे भैया ने मेरी मदद की. पहली दो अटेम्ट में नहीं निकलने पर मनोबल में कमी आई. जब मैंने दूसरे बच्चों को देखा की 6-6 अटेम्ट के बाद उन्हें सफलता मिली है तो मेरे अभी दो ही अटेम्ट हुए हैं. इसी प्रेरणा के साथ मैनें पढ़ाई की. जिससे आज मुझे सफलता प्राप्त हुई.

आनंद ने आगे बताया की गांव के पृष्ठ भूमि से जुड़े होने के कारण मुझे लगता है की प्रशासन को संवेदनशीलता और बढ़ना चाहिए. इसकी कमी के कारण विकास जिस गति से होना चाहिए उस गति से नहीं हो पा रहा है. सरकार की हर योजना गांव के हर व्यक्ति तक पहुंचना मेरी प्राथमिकता होगी. आनंद ने आगे कहा की फिलहाल अभी मुझे ट्रेनिंग में जाना है. जहां तैनाती मिलेगी वहां कार्य करना है.

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