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देश भर में मनाया जा रहा फादर्स डे, पिता के हौसलों ने बेटी को बना दिया अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज

चंदा ने पूछा तारों से, तारों ने पूछा हजारों से, सबसे प्यारा कौन है पापा मेरे पापा. पिता हमारी जिंदगी के एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके साथ अगर हमारा बॉन्ड स्ट्रॉन्ग हो तो लाइफ की आधी समस्याएं अपने आप ठीक हो जाती हैं. पिता के प्यार को समर्पित फादर्स डे आज 19 जून को देशभर में मनाया जा रहा है. इस खास मौके पर अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा ने अपने पापा के प्यार और साहस की मिशाल दी है.

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अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा पाठक
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Published : Jun 19, 2022, 3:41 PM IST

वाराणसी: आज 19 जून को फार्दस डे देश भर में मनाया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा (International Shooter Sumedha) ने अपने पापा के हौसलों की दाद देते हुए एक मैसेज दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें मोहब्बत है अपनी सभी उंगलियों से, मेरे पापा ने न जाने कौनसी उंगली को छूकर मुझे चलना सिखाया होगा. सुमेधा की यह लाइन पिता के हौसलों की उस कहानी को बयां करती हैं, जिसमें एक पिता का प्यार, दुलार और जिम्मेदारी झलकती है.

आज हम आपको एक ऐसे पिता के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी बेटी के हौसलों को ऐसे उड़ान दी, कि आज वह बेटी अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपना और देश का नाम रोशन कर रही हैं. इसमें खास बात यह है कि वह बेटी दिव्यांग की जिंदगी व्यतीत कर रही हैं. अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा पाठक (International Shooter Sumedha) अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं. बता दें, कि सुमेधा ने फ्रांस में आयोजित पैरा वर्ल्ड कप निशानेबाजी में रजत पदक हासिल किया. लेकिन सुमेधा की जीत के पीछे एक कहानी है. उनके पिता बृजेश पाठक ने कैसे उनको इस मुकाम तक पहुंचाया. देखिये यह खास रिपोर्ट.

अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा पाठक की कहानी

सुमेधा कैसे बनीं अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज: वाराणसी के साकेत नगर कॉलोनी निवासी बृजेश पाठक एक सामान्य व्यवसायी हैं. उन्होंने बताया कि उनकी एक बेटी और बेटा का खुशहाल परिवार है. अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा (International Shooter Sumedha) को देश भर में पहचान मिली है. सुमेधा अपनी पढ़ाई कर रहीं थी. तभी साल 2013 में वह एक बीमारी से पीड़ित हो गई. सुमेधा के पिता ने बताया कि उन्हें रीढ़ की हड्डी में इंफेक्शन हो गया था. इसलिए उसके शरीर का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था. सुमेधा के इलाज का लंबा सिलसिला शुरू हुआ. वहीं, उनका परिवार इस बीमारी के चलते हताश हो गया था. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.

यह भी पढ़ें: जेब ही नहीं गरीबों का निवाला भी छीन रहा है परिवहन विभाग का जुर्माना

गंभीर बीमारी से जूझ रही सुमेधा को पिता ने स्पोर्ट्समैन बनाने का संकल्प लिया और उसे शूटिंग सिखाना शुरू कर दिया. पिता ने घर में ही शूटिंग रेंज बनवाया, जिसका परिणाम हुआ कि साल 2018 में सुमेधा ने पहला पदक हासिल किया. पिता के हौसले और सुमेधा की हिम्मत ने आज उन्हें एक अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज बना दिया.

प्रधानमंत्री मोदी भी सुमेधा के फैन हैं: सुमेधा के फैन खुद पीएम मोदी भी हैं. साल 2019 में उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime minister narendra modi) से हुई. सुमेधा ने पीएम मोदी से शूटिंग रेंज बनाने की बात कही थी. पीएम मोदी ने भी उनका वादा पूरा किया और कैंटोमेंट में आधुनिक शूटिंग रेंज (modern shooting range) आज बनकर तैयार हो गया है. उनके पिता बृजेश आज भी सुमेधा के लिए एक पिता का पूरा फर्ज निभाते हैं. पिता ही सुमेधा को हरेक स्थान पर ले जाते हैं. साथ ही उन्हें एक नई मंजिल प्रत्येक दिन देते हैं. अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा पाठक ने बताया कि उनके पिता बृजेश पाठक ने ही उन्हें हिम्मत दी. उसी के कारण आज वह इस मुकाम पर पहुंची हैं. वह पिता के साथ अपनी लड़ाई जारी रखेंगी. देश के लिए और मेडल लेकर आएंगी.

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वाराणसी: आज 19 जून को फार्दस डे देश भर में मनाया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा (International Shooter Sumedha) ने अपने पापा के हौसलों की दाद देते हुए एक मैसेज दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें मोहब्बत है अपनी सभी उंगलियों से, मेरे पापा ने न जाने कौनसी उंगली को छूकर मुझे चलना सिखाया होगा. सुमेधा की यह लाइन पिता के हौसलों की उस कहानी को बयां करती हैं, जिसमें एक पिता का प्यार, दुलार और जिम्मेदारी झलकती है.

आज हम आपको एक ऐसे पिता के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी बेटी के हौसलों को ऐसे उड़ान दी, कि आज वह बेटी अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपना और देश का नाम रोशन कर रही हैं. इसमें खास बात यह है कि वह बेटी दिव्यांग की जिंदगी व्यतीत कर रही हैं. अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा पाठक (International Shooter Sumedha) अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं. बता दें, कि सुमेधा ने फ्रांस में आयोजित पैरा वर्ल्ड कप निशानेबाजी में रजत पदक हासिल किया. लेकिन सुमेधा की जीत के पीछे एक कहानी है. उनके पिता बृजेश पाठक ने कैसे उनको इस मुकाम तक पहुंचाया. देखिये यह खास रिपोर्ट.

अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा पाठक की कहानी

सुमेधा कैसे बनीं अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज: वाराणसी के साकेत नगर कॉलोनी निवासी बृजेश पाठक एक सामान्य व्यवसायी हैं. उन्होंने बताया कि उनकी एक बेटी और बेटा का खुशहाल परिवार है. अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा (International Shooter Sumedha) को देश भर में पहचान मिली है. सुमेधा अपनी पढ़ाई कर रहीं थी. तभी साल 2013 में वह एक बीमारी से पीड़ित हो गई. सुमेधा के पिता ने बताया कि उन्हें रीढ़ की हड्डी में इंफेक्शन हो गया था. इसलिए उसके शरीर का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था. सुमेधा के इलाज का लंबा सिलसिला शुरू हुआ. वहीं, उनका परिवार इस बीमारी के चलते हताश हो गया था. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.

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गंभीर बीमारी से जूझ रही सुमेधा को पिता ने स्पोर्ट्समैन बनाने का संकल्प लिया और उसे शूटिंग सिखाना शुरू कर दिया. पिता ने घर में ही शूटिंग रेंज बनवाया, जिसका परिणाम हुआ कि साल 2018 में सुमेधा ने पहला पदक हासिल किया. पिता के हौसले और सुमेधा की हिम्मत ने आज उन्हें एक अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज बना दिया.

प्रधानमंत्री मोदी भी सुमेधा के फैन हैं: सुमेधा के फैन खुद पीएम मोदी भी हैं. साल 2019 में उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime minister narendra modi) से हुई. सुमेधा ने पीएम मोदी से शूटिंग रेंज बनाने की बात कही थी. पीएम मोदी ने भी उनका वादा पूरा किया और कैंटोमेंट में आधुनिक शूटिंग रेंज (modern shooting range) आज बनकर तैयार हो गया है. उनके पिता बृजेश आज भी सुमेधा के लिए एक पिता का पूरा फर्ज निभाते हैं. पिता ही सुमेधा को हरेक स्थान पर ले जाते हैं. साथ ही उन्हें एक नई मंजिल प्रत्येक दिन देते हैं. अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा पाठक ने बताया कि उनके पिता बृजेश पाठक ने ही उन्हें हिम्मत दी. उसी के कारण आज वह इस मुकाम पर पहुंची हैं. वह पिता के साथ अपनी लड़ाई जारी रखेंगी. देश के लिए और मेडल लेकर आएंगी.

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