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वाराणसी: बीएचयू में एकल प्रदर्शनी 'चेतना' का हुआ उद्घाटन

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन की गैलरी में एकल प्रदर्शनी लगाई गई. दृश्य कला संकाय के छात्र की बनाई गई प्रदर्शनी मानव संघर्षों, नारी व्यथा को समर्पित रही.

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बीएचयू में लगाई गई एकल प्रदर्शनी.
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Published : Mar 3, 2020, 8:44 AM IST

वाराणसी: जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन की गैलरी में एकल प्रदर्शनी 'चेतना' का उद्घाटन किया गया. इस गैलरी में दृश्य कला संकाय के छात्र की बनाई गई प्रदर्शनी मानव संघर्षों के साथ नारी व्यथा को समर्पित रही. दो मार्च से सात मार्च तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में लोगों को बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. दूर-दूर से लोग यहां प्रदर्शनी देखने आ रहे हैं.

बीएचयू में लगाई गई एकल प्रदर्शनी.

संवेदना और भावनाओं का स्मरण कराती प्रदर्शनी
चित्रकला प्रदर्शनी का जो विषय रहा वह संवेदना और भावनाओं का स्मरण करा रहा है. अपने आस-पास घटित हो चुके या हो रहे जीवन के संघर्ष, निरूपण वर्तमान और अतीत के बीच जूझता व्यक्ति इस प्रदर्शनी में दिखाया गया है. नारी की व्यथा, व्यक्ति के बुढ़ापे के चित्र में छिपा जीवन का सार, संत महात्माओं की आंखों में झलकती परमपिता परमेश्वर को पाने की लालसा को इन सब प्रदर्शनी में चित्रकारी के माध्यम से दिखाया गया है.

मैंने इसका टाइटल 'चेतना' दिया है. मस्तिक में जो विचार होते हैं, जो भाव होते हैं, उन सभी का समावेश इस पेंटिंग में किया है. इस प्रदर्शनी में कुल 22 पेंटिंग लगाई गई हैं. कोई पेंटिंग मजदूर के जीवन से जुड़ी है, जो जीवन में संघर्ष कर रहा है उस तरह की कहानियां हैं. मैंने कुछ सामाजिक बुराइयों पर भी काम किया है. यह मेरी प्रदर्शनी का मुख्य विषय है.
-पंकज वर्मा, चित्रकार, बीएचयू

पेंटिंग के माध्यम से जिन्होंने संदेश देने का काम किया है, वह दैनिक चीजें हैं जो हमारे आस-पास घटित हो रही हैं. पेंटिंग में दिखाया गया है कि हर व्यक्ति किस तरह से संघर्ष करता है, औरत को देखने में लगेगा कि यह तो फ्री हैं लेकिन वह किन बाधाओं से समाज की कुरीतियों में बंधी हुई हैं, इसको इस पेंटिंग में दर्शाया गया है.
-वंदना तोमर, दर्शक

वाराणसी: जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन की गैलरी में एकल प्रदर्शनी 'चेतना' का उद्घाटन किया गया. इस गैलरी में दृश्य कला संकाय के छात्र की बनाई गई प्रदर्शनी मानव संघर्षों के साथ नारी व्यथा को समर्पित रही. दो मार्च से सात मार्च तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में लोगों को बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. दूर-दूर से लोग यहां प्रदर्शनी देखने आ रहे हैं.

बीएचयू में लगाई गई एकल प्रदर्शनी.

संवेदना और भावनाओं का स्मरण कराती प्रदर्शनी
चित्रकला प्रदर्शनी का जो विषय रहा वह संवेदना और भावनाओं का स्मरण करा रहा है. अपने आस-पास घटित हो चुके या हो रहे जीवन के संघर्ष, निरूपण वर्तमान और अतीत के बीच जूझता व्यक्ति इस प्रदर्शनी में दिखाया गया है. नारी की व्यथा, व्यक्ति के बुढ़ापे के चित्र में छिपा जीवन का सार, संत महात्माओं की आंखों में झलकती परमपिता परमेश्वर को पाने की लालसा को इन सब प्रदर्शनी में चित्रकारी के माध्यम से दिखाया गया है.

मैंने इसका टाइटल 'चेतना' दिया है. मस्तिक में जो विचार होते हैं, जो भाव होते हैं, उन सभी का समावेश इस पेंटिंग में किया है. इस प्रदर्शनी में कुल 22 पेंटिंग लगाई गई हैं. कोई पेंटिंग मजदूर के जीवन से जुड़ी है, जो जीवन में संघर्ष कर रहा है उस तरह की कहानियां हैं. मैंने कुछ सामाजिक बुराइयों पर भी काम किया है. यह मेरी प्रदर्शनी का मुख्य विषय है.
-पंकज वर्मा, चित्रकार, बीएचयू

पेंटिंग के माध्यम से जिन्होंने संदेश देने का काम किया है, वह दैनिक चीजें हैं जो हमारे आस-पास घटित हो रही हैं. पेंटिंग में दिखाया गया है कि हर व्यक्ति किस तरह से संघर्ष करता है, औरत को देखने में लगेगा कि यह तो फ्री हैं लेकिन वह किन बाधाओं से समाज की कुरीतियों में बंधी हुई हैं, इसको इस पेंटिंग में दर्शाया गया है.
-वंदना तोमर, दर्शक

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