ETV Bharat / state

5 जून को चंद्र ग्रहण नहीं, इसे कहते हैं उपछाया - चंद्रग्रहण

5 जून को पड़ रहे चंद्रग्रहण की काफी चर्चा है. इस ग्रहण की क्या सच्चाई है, इसके बारे में ईटीवी भारत ने बीएचयू के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडेय से बातचीत की.

dr vinay kumar pandey head of astrology department of bhu
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडेय.
author img

By

Published : Jun 4, 2020, 8:57 PM IST

वाराणसी: बीते वर्ष में पड़े ग्रहण के बाद लगातार पूरी पृथ्वी महामारी से जूझ रही है. ग्रहों की बिगड़ी चाल और ग्रहण का असर कितना है, यह समय-समय पर ज्योतिष के जानकार भी बता रहे हैं, लेकिन एक बार फिर से पड़ने वाले छह अलग-अलग ग्रहण को लेकर काफी चर्चा है. इनमें 5 जून को पड़ रहे चंद्रग्रहण की चर्चा भी खासी हो रखी है, लेकिन इस ग्रहण की क्या सच्चाई है, इसकी असलियत जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की.

जानकारी देते बीएचयू के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष.

ईटीवी भारत ने वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत धर्म शिक्षा एवं ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडेय से बातचीत की. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि 5 जून को जिसे ग्रहण के रूप में प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है, वह दरअसल सिर्फ एक आकाशीय घटना है, जिसे ज्योतिष और धर्मशास्त्र में ग्रहण नहीं कहा जा सकता.

धर्म और आस्था के नाम पर झूठ किया जा रहा प्रचारित
ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडेय का कहना है कि जब भी पृथ्वी की बनने वाली छाया के आसपास चंद्रमा हो तो इसे ज्योतिषीय भाषा में ग्रहण नहीं कहते. आधुनिक भाषा में भले ही इसे ग्रहण का नाम दिया जाए, लेकिन धर्म और आस्था के नाम पर इसे गलत तरीके से प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है. ग्रहण तभी मान्य है, जब वह दिखाई दे. यानी यदि सूर्य या चंद्र पर ग्रहण लगता है तो उन पर ग्रहण का असर साफ तौर पर दिखाई देता है या वह साइज में छोटे होते हैं या पूर्णतया गायब हो जाते हैं, लेकिन छाया या उपछाया में ऐसा नहीं होता है.

आकाशीय घटना को ग्रहण का नाम देना गलत
डॉ. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि 5 जून को जो आकाशीय घटना होने जा रही है, इसमें पृथ्वी की छाया के थोड़ा सा आसपास चंद्रमा होगा, जिसे उपछाया के नाम से जाना जाएगा. इस दौरान चंद्रमा पर हल्की धुंध दिखाई देगी. आसमान में चंद्रमा पूर्णतया दिखाई देगा, गायब नहीं होगा. इसलिए इसे ग्रहण का नाम देना ही गलत है. हालांकि यह आकाशीय घटना 5 जून की रात 11 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और 2 बजकर 32 मिनट पर इसका असर खत्म हो जाएगा.

आकाशीय घटना का नहीं होगा धार्मिक महत्व
उन्होंने बताया कि लगभग 3 घंटे 15 मिनट 47 सेकंड की यह उपछाया चंद्रमा को प्रभावित करेगी, लेकिन इसे ग्रहण के नाम से नहीं जाना जाएगा. इसका न ही कोई धार्मिक असर होगा. यानी न सूतक काल मान्य होगा और न ही ग्रहण काल में की जाने वाली गतिविधियों का इस दौरान किया जाना आवश्यक होगा. कुल मिलाकर इसे सिर्फ आकाशीय घटना कहा जा सकता है न कि ग्रहण.

वाराणसी: कोरोना के दौर में डिजिटल प्लेटफॉर्म बना सहारा, लगी ऑनलाइन पेंटिंग प्रदर्शनी

21 जून को होगा साल का पहला सूर्यग्रहण
डॉक्टर विनय पांडेय का कहना है कि इस वर्ष जिन आकाशीय घटना को ग्रहण के रूप में बताया जा रहा है, उनमें एक 10 जनवरी 2020 को पड़ चुका है. जबकि दूसरा कल 5 जून को उपछाया के रूप में होगा. 21 जून को पहला सूर्य ग्रहण इस साल का पड़ेगा, जबकि 5 जुलाई को भी एक आकाशीय घटना चंद्रमा के ऊपर होगी, जिसे ग्रहण नहीं कहा जाएगा. इसके अतिरिक्त 30 नवंबर को एक अन्य आकाशीय घटना होगी और इसके बाद 15 जनवरी 2021 को सूर्य ग्रहण होगा. यानी ज्योतिष और सनातन धर्म के मुताबिक इस संवत्सर में कुल 6 आकाशीय घटना हैं, जिनमें से दो सूर्य ग्रहण होंगे. इसे पूर्णतया ग्रहण कहा जाएगा जबकि बाकी चंद्रमा पर छाया और उपछाया का ही प्रभाव होगा, इसलिए इसे ग्रहण नहीं कहा जा सकता.

वाराणसी: बीते वर्ष में पड़े ग्रहण के बाद लगातार पूरी पृथ्वी महामारी से जूझ रही है. ग्रहों की बिगड़ी चाल और ग्रहण का असर कितना है, यह समय-समय पर ज्योतिष के जानकार भी बता रहे हैं, लेकिन एक बार फिर से पड़ने वाले छह अलग-अलग ग्रहण को लेकर काफी चर्चा है. इनमें 5 जून को पड़ रहे चंद्रग्रहण की चर्चा भी खासी हो रखी है, लेकिन इस ग्रहण की क्या सच्चाई है, इसकी असलियत जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की.

जानकारी देते बीएचयू के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष.

ईटीवी भारत ने वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत धर्म शिक्षा एवं ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडेय से बातचीत की. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि 5 जून को जिसे ग्रहण के रूप में प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है, वह दरअसल सिर्फ एक आकाशीय घटना है, जिसे ज्योतिष और धर्मशास्त्र में ग्रहण नहीं कहा जा सकता.

धर्म और आस्था के नाम पर झूठ किया जा रहा प्रचारित
ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडेय का कहना है कि जब भी पृथ्वी की बनने वाली छाया के आसपास चंद्रमा हो तो इसे ज्योतिषीय भाषा में ग्रहण नहीं कहते. आधुनिक भाषा में भले ही इसे ग्रहण का नाम दिया जाए, लेकिन धर्म और आस्था के नाम पर इसे गलत तरीके से प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है. ग्रहण तभी मान्य है, जब वह दिखाई दे. यानी यदि सूर्य या चंद्र पर ग्रहण लगता है तो उन पर ग्रहण का असर साफ तौर पर दिखाई देता है या वह साइज में छोटे होते हैं या पूर्णतया गायब हो जाते हैं, लेकिन छाया या उपछाया में ऐसा नहीं होता है.

आकाशीय घटना को ग्रहण का नाम देना गलत
डॉ. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि 5 जून को जो आकाशीय घटना होने जा रही है, इसमें पृथ्वी की छाया के थोड़ा सा आसपास चंद्रमा होगा, जिसे उपछाया के नाम से जाना जाएगा. इस दौरान चंद्रमा पर हल्की धुंध दिखाई देगी. आसमान में चंद्रमा पूर्णतया दिखाई देगा, गायब नहीं होगा. इसलिए इसे ग्रहण का नाम देना ही गलत है. हालांकि यह आकाशीय घटना 5 जून की रात 11 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और 2 बजकर 32 मिनट पर इसका असर खत्म हो जाएगा.

आकाशीय घटना का नहीं होगा धार्मिक महत्व
उन्होंने बताया कि लगभग 3 घंटे 15 मिनट 47 सेकंड की यह उपछाया चंद्रमा को प्रभावित करेगी, लेकिन इसे ग्रहण के नाम से नहीं जाना जाएगा. इसका न ही कोई धार्मिक असर होगा. यानी न सूतक काल मान्य होगा और न ही ग्रहण काल में की जाने वाली गतिविधियों का इस दौरान किया जाना आवश्यक होगा. कुल मिलाकर इसे सिर्फ आकाशीय घटना कहा जा सकता है न कि ग्रहण.

वाराणसी: कोरोना के दौर में डिजिटल प्लेटफॉर्म बना सहारा, लगी ऑनलाइन पेंटिंग प्रदर्शनी

21 जून को होगा साल का पहला सूर्यग्रहण
डॉक्टर विनय पांडेय का कहना है कि इस वर्ष जिन आकाशीय घटना को ग्रहण के रूप में बताया जा रहा है, उनमें एक 10 जनवरी 2020 को पड़ चुका है. जबकि दूसरा कल 5 जून को उपछाया के रूप में होगा. 21 जून को पहला सूर्य ग्रहण इस साल का पड़ेगा, जबकि 5 जुलाई को भी एक आकाशीय घटना चंद्रमा के ऊपर होगी, जिसे ग्रहण नहीं कहा जाएगा. इसके अतिरिक्त 30 नवंबर को एक अन्य आकाशीय घटना होगी और इसके बाद 15 जनवरी 2021 को सूर्य ग्रहण होगा. यानी ज्योतिष और सनातन धर्म के मुताबिक इस संवत्सर में कुल 6 आकाशीय घटना हैं, जिनमें से दो सूर्य ग्रहण होंगे. इसे पूर्णतया ग्रहण कहा जाएगा जबकि बाकी चंद्रमा पर छाया और उपछाया का ही प्रभाव होगा, इसलिए इसे ग्रहण नहीं कहा जा सकता.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.