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मिसाल: बेटी हुई तो नहीं लेती हैं फीस, उलटे देती हैं पढ़ाई की सुविधा

काशी में डॉक्टर शिप्रा श्रीवास्तव 2014 से समाज सेवा कर बेटियों के जीवन को उजागर कर रही हैं. डॉक्टर शिप्रा अपने नर्सिंग होम में पैदा होने वाली लड़कियों के माता पिता से किसी भी प्रकार की कोई फीस नहीं लेती हैं. इतना ही नहीं बल्कि वह जन्म लेने वाली बेटियों को पढ़ाने की सुविधा भी देती हैं.

डॉक्टर शिप्रा बेटियों के जन्म पर नहीं लेती हैं फीस
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Published : Mar 10, 2019, 7:23 PM IST

वाराणसी: बेटी होना सिर्फ पहले ही नहीं आज भी कई जगहों पर शाप ही माना जाता है, लेकिन महादेव की नगरी काशी हर अभिशाप को वरदान में बदलने की हिम्मत रखती है. एक ऐसी ही बेटी शिप्रा धर श्रीवास्तव जो पेशे से डॉक्टर हैं और काशी में पल कर बड़ी हुईं. इन्होंने बेटियों के पैदा होने पर फीस माफ कर देने के संकल्प से कई परिवारों के चेहरों पर रौनक लाई है.

डॉक्टर शिप्रा श्रीवास्तव 2014 से समाज सेवा का कार्य कर रही हैं. डॉक्टर शिप्रा अपने नर्सिंग होम में पैदा होने वाली लड़कियों के माता पिता से किसी भी प्रकार की कोई फीस नहीं लेती हैं. उनके नर्सिंग होम में आने वाली महिल अगर बेटी को जन्म देती हैं तो उसका पूरा इलाज मुफ्त होता है.

डॉक्टर शिप्रा बेटियों के जन्म पर नहीं लेती हैं फीस

काशी की इस महिला डॉक्टर के कार्यों से खुश होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले वाराणसी दौरे में शिप्रा श्रीवास्तव के कार्यों को सराहा था. डॉक्टर शिप्रा के नर्सिंग होम में अब तक 290 बेटियों का जन्म हो चुका है. इसकी किसी भी तरीके की कोई मेडिकल फीस चार्ज नहीं की गई है.

यहां पर आए हुए मरीजों का कहना है कि अस्पताल में परिवार की तरह मिल रही सभी सुविधाओं से वह बेहद खुश हैं. बेटियों के जन्म के बाद उसका बहुत अच्छे से ख्याल भी रखा जा रहा है.इस महिला डॉक्टर ने अपने अस्पताल में इन बच्चियों को पढ़ाने की व्यवस्था भी कर रखी है. यह सुविधा समाज में रह रही उन बेटियों के लिए है जो घरों में काम करके अपना जीवन बिता रही हैं. अब वह पढ़ लिख कर अपने परिवार को गर्व महसूस करा सकेंगी.


वाराणसी: बेटी होना सिर्फ पहले ही नहीं आज भी कई जगहों पर शाप ही माना जाता है, लेकिन महादेव की नगरी काशी हर अभिशाप को वरदान में बदलने की हिम्मत रखती है. एक ऐसी ही बेटी शिप्रा धर श्रीवास्तव जो पेशे से डॉक्टर हैं और काशी में पल कर बड़ी हुईं. इन्होंने बेटियों के पैदा होने पर फीस माफ कर देने के संकल्प से कई परिवारों के चेहरों पर रौनक लाई है.

डॉक्टर शिप्रा श्रीवास्तव 2014 से समाज सेवा का कार्य कर रही हैं. डॉक्टर शिप्रा अपने नर्सिंग होम में पैदा होने वाली लड़कियों के माता पिता से किसी भी प्रकार की कोई फीस नहीं लेती हैं. उनके नर्सिंग होम में आने वाली महिल अगर बेटी को जन्म देती हैं तो उसका पूरा इलाज मुफ्त होता है.

डॉक्टर शिप्रा बेटियों के जन्म पर नहीं लेती हैं फीस

काशी की इस महिला डॉक्टर के कार्यों से खुश होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले वाराणसी दौरे में शिप्रा श्रीवास्तव के कार्यों को सराहा था. डॉक्टर शिप्रा के नर्सिंग होम में अब तक 290 बेटियों का जन्म हो चुका है. इसकी किसी भी तरीके की कोई मेडिकल फीस चार्ज नहीं की गई है.

यहां पर आए हुए मरीजों का कहना है कि अस्पताल में परिवार की तरह मिल रही सभी सुविधाओं से वह बेहद खुश हैं. बेटियों के जन्म के बाद उसका बहुत अच्छे से ख्याल भी रखा जा रहा है.इस महिला डॉक्टर ने अपने अस्पताल में इन बच्चियों को पढ़ाने की व्यवस्था भी कर रखी है. यह सुविधा समाज में रह रही उन बेटियों के लिए है जो घरों में काम करके अपना जीवन बिता रही हैं. अब वह पढ़ लिख कर अपने परिवार को गर्व महसूस करा सकेंगी.


Intro:वाराणसी। बेटियां होना सिर्फ पहले ही नहीं कहीं ना कहीं आज आज भी एक तरीके का अभिशाप ही माना जाता है। पर काशी, महादेव की नगरी, हर अभिशाप को वरदान में बदलने की एक अलग ही हिम्मत रखती है और इतनी हिम्मत रखते हैं खुद काशीवासी, जो अपने कार्यों से न सिर्फ अपना नाम ऊंचा कर रहे हैं, बल्कि समाज को जागरूक भी कर रहे हैं। एक ऐसी ही काशी की बेटी है डॉक्टर शिप्रा धर श्रीवास्तव जिन्होंने अपने बच्चियों के पैदा होने पर फीस माफ कर देने के संकल्प से न जाने कितने ही परिवारों की चेहरों पर एक अलग ही रौनक लाई है।

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236


Body:VO1: डॉक्टर शिप्रा श्रीवास्तव 2014 से समाज सेवा का एक ऐसा कार्य कर रही हैं जिसके लिए कोई भी तारीफ कम है। डॉक्टर शिप्रा अपने नर्सिंग होम में पैदा होने वाली लड़कियों से किसी भी तरीके की फीस नहीं लेती है। उनके यहां आने वाले पेशेंट अगर किसी बेटी को जन्म देते हैं तो उसका पूरा इलाज मुफ्त होता है। डॉक्टर शिप्रा बताती है कि ऐसी शुरुआत करने के पीछे वजह यह थी कि जब कोई मां किसी बेटे को जन्म देती थी तो उसकी खुशी की आवाज ऑपरेशन थियेटर तक अपने आप आने लगती थी, पर जब किसी घर को यह पता चलता था कि उनके घर में बिटिया पैदा हुई है तो वहां सन्नाटा सा पसर जाता था। इस बात से आहत होकर डॉक्टर ने एक ऐसी शुरुआत की जिससे कम से कम बेटी के पैदा होने का खर्च कम करके उसको उसके परिवार वालों के लिए बोझ करार दिया जाने से बचाया जा सके। अब अगर बिटिया भी होती है तो भी लोगों के चेहरे पर यहां आकर रौनक ही रहती है।


Conclusion:VO2: इस महिला डॉक्टर के कार्यों से खुश होकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले वाराणसी दौरों में इस बात का जिक्र किया है कि वाराणसी की एक महिला डॉक्टर बेटियों के लिए किस तरह का कार्य कर रही है। शिप्रा के यहां अब तक 290 बेटियों का जन्म हो चुका है, जिनसे किसी भी तरीके की मेडिकल फीस चार्ज नहीं की गई है। ऐसे ही आए हुए एक पेशेंट से जब हम लोगों ने बात की, उनका कहना था परिवार अस्पताल की सभी सुविधाओं से बेहद खुश हैं। बिटिया के होने के बाद उसका बहुत अच्छे से ख्याल भी रखा जा रहा है। बेटियों के होने पर अस्पताल में किसी तरीके का शुल्क लिया जाना हम लोगों के लिए एक बेहतर बात इसलिए भी बन जाती है कि समाज जिन बेटियों को बोझ समझता है अगर उन्हीं के होने पर उनके कुछ पैसे बच जाते हैं तो वह बेटियां तुरंत लक्ष्मी का रूप हो जाती है और फिर उन्हें उनके घाटों में काफी इज़्ज़त मिल जाती है। बेटियों को पैदा होने पर बोझ ना बनने देने वाली डॉक्टर अब उन्हें आगे बढ़ते हुए भी किसी तरीके का बोझ नहीं बनना चाहती है। इसीलिए उन्होंने अपने अस्पताल में ही इन बच्चियों को पढ़ाने की भी व्यवस्था कर रखी है। यह एक और कोशिश है इस महिला डॉक्टर की समाज में रह रही उन बेटियों के लिए जो घरों में काम करके अपना जीवन बिता रही है ताकि वो पढ़ लिख जाए और अपने परिवार का बोझ उठा सकें।
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