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BHU में जुटे 15 देशों के 21 वैज्ञानिक, प्लेग, कालरा और कोविड के जीनोम पर हुई चर्चा

बीएचयू में महामारियों के डिफेंस मैकेनिज्म पर अंतरर्ष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस एडनेट का आयोजन हुआ. जिसका मुख्य उद्देश्य जीनोम के आधार का बीमार व्यक्ति के इलाज के लिए दवा की खोज करना है. बता दें कि इस कार्यक्रम में 15 देशों के कुल 21 साइंटिस्ट हिस्सा ले रहे है.

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Published : Mar 10, 2023, 5:09 PM IST

जानकारी देते हुए बीएचयू के प्रो. ज्ञानेंद्र चौबे

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में महामारियों के डिफेंस मैकेनिज्म पर अंतरर्ष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस एडनेट 2023 आयोजित किया गया है. तीन दिवसीय इस आयोजन में भारत समेत 15 देशों के 21 जीनोम वैज्ञानिक शामिल हुए हैं. कॉन्फ्रेंस का प्रमुख मुद्दा जीनोम के आधार का बीमार व्यक्ति के इलाज के लिए कारगर दवा की खोज करना है. जिस पर सभी वैज्ञानिक अपनी राय देंगे. इस मुद्दे के साथ ही कालरा, प्लेग समेत कोविड जीन पर कितना असर डालेगा. इस पर भी मंथन किया जाएगा.

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काशी में 15 देशों के 21 वैज्ञानिक

दरअसल, यह कॉन्फ्रेंस विश्वविद्यालय परिसर में स्थित महामना कॉम्प्लेक्स में आयोजित हुआ है, जिसमें प्रथम दिन यूरोप, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के कई देशों के जीनोम वैज्ञानिक शामिल हुए हैं. इसके साथ आगामी तीन दिनों तक जीनोम के जरिए बीमारियों के समाधान पर यह वैज्ञानिक अपनी राय रखेंगे.

15 देश के 21 वैज्ञानिक जीन सीक्वेंस पर करेंगे चर्चा
इस बारे में बीएचयू के वैज्ञानिक प्रो ज्ञानेंद्र चौबे ने बताया कि आज के कार्यक्रम का उद्घाटन प्रोफेसर बसंत सिंह, जिसको राखीगढ़ी मैन के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने किया है. इस कार्यक्रम में 15 देशों के कुल 21 साइंटिस्ट हिस्सा ले रहे है. तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में पहले दिन आज कुल 8 सेशन हुए हैं. इसमें 70 युवा साइंटिस्ट भी अपने पोस्टर लगाएंगे, जिस पर चर्चा होगी. लेकिन आज मुख्यतः चर्चा जो यूरोपियन वैज्ञानिक और उनके शोध पर आधारित है. जिसमें वो अपने-अपने काम को बताएंगे. जैसे कैम्ब्रिज में जो प्लेग फैला, गंगा प्लेन में कालरा और बांग्लादेश में जो कालरा फैला, उसने हमारे जीन पर कितना असर डाला इस पर चर्चा करेंगे. इसके साथ ही वह इस पर भी मंथन करेंगे की कोरोना ने हमारे जीन पर कितना असर डाला है. इसके साथ ही कारगर दवा बनाने पर भी चर्चा होगी.

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अंतरर्ष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस एडनेट का आयोजन

अब रेस पर नहीं जीन के आधार पर होनी चाहिए चर्चा
उन्होंने बताया कि, आज की शुरुआती चर्चा में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने जीन और रेस के कांसेप्ट पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि अब जीन के आधार पर विभिन्नता पर चर्चा होनी चाहिए. वर्तमान में वो चाइनीस है, इंडियन है, यूरोपियन है वाइट और ब्लैक के आधार पर मंथन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि भारतीय और यूरोपीय अलग-अलग नहीं है. हम उन्हें रेस के आधार पर भले ही अलग कह सकते हैं. लेकिन दोनों के जीन काफी ज्यादा मैच करते है, तो अब रेस पर नहीं बल्कि जिन पर चर्चा होनी चाहिए.

यह भी पढ़ें- Varanasi news: अखिलेश और ओवैसी के खिलाफ पुनः निगरानी याचिका दाखिल, 25 मार्च को होगी सुनवाई

जानकारी देते हुए बीएचयू के प्रो. ज्ञानेंद्र चौबे

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में महामारियों के डिफेंस मैकेनिज्म पर अंतरर्ष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस एडनेट 2023 आयोजित किया गया है. तीन दिवसीय इस आयोजन में भारत समेत 15 देशों के 21 जीनोम वैज्ञानिक शामिल हुए हैं. कॉन्फ्रेंस का प्रमुख मुद्दा जीनोम के आधार का बीमार व्यक्ति के इलाज के लिए कारगर दवा की खोज करना है. जिस पर सभी वैज्ञानिक अपनी राय देंगे. इस मुद्दे के साथ ही कालरा, प्लेग समेत कोविड जीन पर कितना असर डालेगा. इस पर भी मंथन किया जाएगा.

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काशी में 15 देशों के 21 वैज्ञानिक

दरअसल, यह कॉन्फ्रेंस विश्वविद्यालय परिसर में स्थित महामना कॉम्प्लेक्स में आयोजित हुआ है, जिसमें प्रथम दिन यूरोप, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के कई देशों के जीनोम वैज्ञानिक शामिल हुए हैं. इसके साथ आगामी तीन दिनों तक जीनोम के जरिए बीमारियों के समाधान पर यह वैज्ञानिक अपनी राय रखेंगे.

15 देश के 21 वैज्ञानिक जीन सीक्वेंस पर करेंगे चर्चा
इस बारे में बीएचयू के वैज्ञानिक प्रो ज्ञानेंद्र चौबे ने बताया कि आज के कार्यक्रम का उद्घाटन प्रोफेसर बसंत सिंह, जिसको राखीगढ़ी मैन के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने किया है. इस कार्यक्रम में 15 देशों के कुल 21 साइंटिस्ट हिस्सा ले रहे है. तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में पहले दिन आज कुल 8 सेशन हुए हैं. इसमें 70 युवा साइंटिस्ट भी अपने पोस्टर लगाएंगे, जिस पर चर्चा होगी. लेकिन आज मुख्यतः चर्चा जो यूरोपियन वैज्ञानिक और उनके शोध पर आधारित है. जिसमें वो अपने-अपने काम को बताएंगे. जैसे कैम्ब्रिज में जो प्लेग फैला, गंगा प्लेन में कालरा और बांग्लादेश में जो कालरा फैला, उसने हमारे जीन पर कितना असर डाला इस पर चर्चा करेंगे. इसके साथ ही वह इस पर भी मंथन करेंगे की कोरोना ने हमारे जीन पर कितना असर डाला है. इसके साथ ही कारगर दवा बनाने पर भी चर्चा होगी.

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अंतरर्ष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस एडनेट का आयोजन

अब रेस पर नहीं जीन के आधार पर होनी चाहिए चर्चा
उन्होंने बताया कि, आज की शुरुआती चर्चा में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने जीन और रेस के कांसेप्ट पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि अब जीन के आधार पर विभिन्नता पर चर्चा होनी चाहिए. वर्तमान में वो चाइनीस है, इंडियन है, यूरोपियन है वाइट और ब्लैक के आधार पर मंथन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि भारतीय और यूरोपीय अलग-अलग नहीं है. हम उन्हें रेस के आधार पर भले ही अलग कह सकते हैं. लेकिन दोनों के जीन काफी ज्यादा मैच करते है, तो अब रेस पर नहीं बल्कि जिन पर चर्चा होनी चाहिए.

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