वाराणसी: शहरों के साथ अब बनारस के ग्रामीण अंचल में भी लोगों को डिजिटल लाइब्रेरी का लाभ मिलेगा. युवाओं के साथ बुजुर्ग भी इस लाइब्रेरी में किताबों के साथ जुड़ सकेंगे. केंद्र सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है, जिसके लिए 6.50 करोड़ का बजट भी पास हो गया है. सीडीओ ने बताया कि इसकी शुरुआत ग्रामीणों को शिक्षित करने के साथ युवाओं को शिक्षा से जोड़ने के लिए की गई है. मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि जिले में निर्मित नए पंचायत भवन में ही इस लाइब्रेरी को खोलने का प्रस्ताव है. बनारस के कुल 356 गावों में इसे शुरू करने की योजना है. वर्तमान में ये 110 गावों में संचालित भी हो रही है.
एक लाइब्रेरी पर आएगा 2 लाख का खर्च: सीडीओ हिमांशु नागपाल ने बताया कि सभी नए पंचायत भवन में अतिरिक्त कक्ष हैं. 694 ग्राम पंचायतों में से 6 गांवों को छोड़ कर सभी भी में पंचायत भवन हैं. इस कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी मुख्य विकास अधिकारी को ही दी गई है. एक लाइब्रेरी खोलने पर लगभग 2 लाख खर्च होंगे.
ग्रामीणों ने दिया धनराशि का सहयोग: 110 पंचायतों में पहले से ही लाइब्रेरी चल रही है. बच्चों के साथ ही बुजुर्ग भी आकर यहां पर अध्ययन कर सकते हैं. जब इस पायलट प्रोजेक्ट को शुरू किया गया तो इसमें चोलापुर ब्लॉक का मदहा गांव भी शामिल था. यहां के लोगों ने भी लाइब्रेरी स्थापित करने के लिए धनराशि खर्च की थी. स्थापना के कुछ ही दिन में यह लाइब्रेरी मॉडल बन गई.
केंद्र सरकार की तरफ से तत्काल मिली मंजूरी: पायलट प्रोजेक्ट की सफलता को देखते हुए गांव में और भी अधिक लाइब्रेरी स्थापित करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया था. शासन ने इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा था. इस सराहनीय पहल को देखते हुए केंद्र की तरफ से तत्काल मंजूरी मिल गई और धनराशि भी जारी कर दी गई.
लाइब्रेरी में इस तरह की रहेगी व्यवस्था: लाइब्रेरी में कई तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं. इसमें दीवारों पर थीम आधारित पेंटिंग के साथ ही कंप्यूटर की व्यवस्था की गई है. इससके साथ ही एकसाथ 10 लोगों के बैठने के लिए कुर्सी-टेबल की भी व्यवस्था की गई है. वहीं, इस लाइब्रेरी में हिन्दी व अंग्रेजी भाषा के अखबार भी पढ़ने को मिल जाएंगे. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी वाली मैगजीन के साथ ही साहित्य, कहानी और नाटक आदि की किताबें भी रहेंगी.
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