वाराणसी: धर्म और आध्यात्म के शहर काशी में शुक्रवार को धनवंतरि जयंती मनाई गई. धनतेरस के दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धनवंतरि का पूरे विधि-विधान से मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया गया. यह पूजन-पाठ किसी मंदिर में नही बल्कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा किया गया. इस दौरान शिक्षकों ने भी भगवान धनवंतरि की पूजा-अर्चना की.
पूरे बनारस में एक ही है भगवान धनवंतरी की प्रतिमा
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद विभाग की स्थापना 1919 में की गई थी. तब से यहां पर आयुर्वेद की शिक्षा दी जाती है और तभी से भगवान धनवंतरी की जयन्ती भी मनाई जाती है. उस समय बीएचयू का आयुर्वेद विभाग पूरे विश्व में विख्यात था.
पूरे बनारस में भगवान धनवंतरि की एक ही प्रतिमा
आयुर्वेदिक डॉक्टर खुद को भगवान धनवंतरि का मानस पुत्र मानते हैं. आज के दिन वह भगवान धनवंतरी की विशेष पूजा कर अपने इस अध्ययन कार्य में और प्रगति पाने के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. बीएचयू के धनवंतरी भवन में भगवान धनवंतरी की प्रतिमा है. पूरे बनारस में भगवान धनवंतरी की बस यही एक प्रतिमा है.
प्रोफेसर यामिनी भूषण त्रिपाठी, आयुर्वेद संकाय प्रमुख ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद की संस्था 1919 से शुरू है. जब आयुर्वेद की कहीं इंस्टिट्यूटनल स्टडी नहीं होती थी. तब महामना मालवीय जी ने आयुर्वेद की शिक्षा यहां पर शुरू की थी.
महामना ने 1919 में सोची थी ये बात
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में लोग आयुर्वेद को इंटीग्रेशन की बात करते हैं , महामना ने 1919 इस बात को सोचा था. उस समय से लेकर आज तक हम लोग आयुर्वेद की शिक्षा विज्ञान और एलोपैथी के साथ करते आ रहे हैं. आज धन्वंतरी दिवस है या विशेष अवसर होता है, इस दिन हम भगवान धनवंतरी की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं.