वाराणसी: वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में लोगों को सुरक्षित रखने के लिए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन की घोषणा हुई. एक तरफ जहां सब कुछ थमा, वहीं दुआ और आस्था के दरवाजे भी बंद हो गए. मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च सभी धार्मिक स्थलों के बंद होने की वजह से लोग अपनी इच्छा और अपनी परेशानियों को लेकर भगवान के दरवाजे पर नहीं पहुंच पा रहे थे, लेकिन अब जब केंद्र सरकार ने 8 जून से धार्मिक स्थलों को खोलने का आदेश दिया, तो योगी सरकार ने इस आदेश को आगे बढ़ाते हुए धार्मिक स्थलों को खोलने की मंजूरी दे दी है.
धर्म नगरी काशी में मंदिरों को खोले जाने को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. दरअसल, 20 मार्च को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर, 22 मार्च से काल भैरव मंदिर समेत संकटमोचन मंदिर, दुर्गा मंदिर और बनारस के सभी महत्वपूर्ण मंदिरों को बंद कर दिया गया था. लगातार दो महीने से ज्यादा वक्त से यह मंदिर बंद हैं. अब 8 जून से मंदिर प्रशासन पूरी तैयारी के साथ मंदिर खोलने की बात कर रहा है.
वाराणसी के मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल का कहना है कि सरकार की गाइडलाइन को फॉलो करते हुए मंदिर खोले जाएंगे. मंदिर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की थर्मल स्क्रीनिंग होगी और हाथों को सैनिटाइज करके ही प्रवेश दिया जाएगा. थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान यदि जरा भी गड़बड़ दिखती है तो तत्काल दर्शन करने आने वाले व्यक्ति को मंदिर के बाहर खड़ी एंबुलेंस से अस्पताल भेजा जाएगा.
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इतना ही नहीं सुबह-शाम मंदिर को सेनिटाइज करने के आदेश भी दिए जा चुके हैं. मंदिर के गर्भ गृह में किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं होगी. बाहर से ही दर्शन करना होगा. बाबा विश्वनाथ की झांकी दर्शन का लाभ ही भक्तों को मिलेगा. वहीं काशी के कोतवाल काल भैरव मंदिर में भी सिर्फ 20 की संख्या में ही एक बार में भक्तों को अंदर प्रवेश दिया जाएगा.
निकासी और प्रवेश के लिए अलग-अलग द्वार भी बनाए गए हैं. कुल मिलाकर वाराणसी में मंदिर खोले जाने को लेकर तैयारियां मुकम्मल तौर पर आगे बढ़ रही हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मंदिर में प्रवेश करने के लिए भक्तों को पूरी तरह से स्वस्थ होना होगा. यदि जरा भी गड़बड़ी स्क्रीनिंग में पकड़ी गई तो मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाएंगे.