वाराणसी: भारतीय त्योहारों में शरद पूर्णिमा का खास महत्व माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात अमृत की वर्षा होती है, इसलिए चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाकर रखने का खास महत्व है. शुक्रवार को शरद पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु धार्मिक नगरी काशी में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे. यहां उन्होंने गंगा में स्नान किया और दान पुण्य किया.
देश भर में शुक्रवार को शरद पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया गया. इस मौके पर वाराणसी में गंगा घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया और सूर्य को जल अर्पण किया. आज के ही दिन से ही कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत हो रही है.
पूजा करने से प्रसन्न होती है मां लक्ष्मी
शरद पूर्णिमा पूरे भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसके अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं. शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा, कोजागर पूर्णिमा, अश्वनी पूर्णिमा, कौमुदी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस त्यौहार को मां लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से वह प्रसन्न होती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
रात में खीर रखने का महत्व
ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात अमृत वर्षा होती है, इसलिए चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाकर रखने का खास महत्व है. आज के दिन चांदी के बर्तन में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने को काफी शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि अगले दिन इस खीर का सेवन करने से स्वास्थ्य ठीक रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.