वाराणसी: ग्रहण शुरू होने से पहले ही लोगों की भीड़ से गंगा घाट पट चुके हैं. बड़ी संख्या में गंगा घाट पर लोग पहुंचकर ग्रहण शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. मान्यता है कि ग्रहण के दौरान भजन-कीर्तन और पूजन-पाठ करना चाहिए और शांति से एक जगह बैठकर भगवान का ध्यान लगाना चाहिए. यही वजह है कि दूर-दूर से लोग बड़ी संख्या में काशी के गंगा घाटों पर पहुंच रहे हैं.
काशी में हर त्योहार का विशेष महत्व है. हर पर्व को अपने अलग तरीके से मनाने की खासियत भी इस शहर में है. यही वजह है कि जब भगवान पर संकट यानी ग्रहण लगा है तो इस तकलीफ के समय को भी काशी में लोग बड़े ही श्रद्धाभाव के साथ बिताकर भगवान को कष्ट से मुक्ति दिलाने में जुटे हुए हैं. इसका असर काशी के दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, शीतला घाट समेत अन्य कई घाटों पर देखने को मिल रहा है.
मध्यरात्रि के बाद 1:31 बजे से लगने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक काल 4:30 शाम से शुरू हो चुका है. इस सूतक काल के शुरू होने के साथ ही बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ काशी के गंगा घाटों पर डटी हुई है. यह भीड़ ग्रहण के शुरू होने का इंतजार कर रही है. महिलाओं का कहना है कि पूरी रात यही पर रहकर भजन-कीर्तन और पूजा-पाठ करेंगे. सुबह 4:30 बजे ग्रहण से मोक्ष मिलने पर गंगा स्नान और विश्वनाथ मंदिर में दर्शन कर अपने घर के लिए रवाना होंगे.
तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि काशी के गंगा घाट पर बैठकर ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ और भजन कीर्तन करने के लिए लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, ताकि पुण्य की प्राप्ति हो. ग्रहण काल के दौरान वह भगवान की आराधना में लीन रह कर पुण्य और मोक्ष दोनों की प्राप्ति कर सकें.