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सुनिए सरकार! जमीन अधिग्रहण पर ही अटका सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण

2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही राज्य में धर्म संस्कृति और उससे जुड़े पर्यटन स्थल के विकास का खाका खींचा जाने लगा. सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए संगीतकारों ने कई बार सरकार से आग्रह किया था. योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से माना जा रहा था कि संगीतकारों की वर्षों पुरानी मांग अब पूरी होने वाली है. सरकार ने धर्म, संस्कृति और संगीत के तीर्थ काशी नगरी में सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी और बजट में इसके लिए अलग से धनराशि का प्रवधान भी रखा.

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Published : Feb 9, 2021, 1:00 PM IST

वाराणसी में संस्कृति केंद्र निर्माण
वाराणसी में संस्कृति केंद्र निर्माण

वाराणसीः एक फरवरी को पेश हुए आम बजट के बाद देश में मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली, वहीं जल्द ही उत्तर प्रदेश का भी बजट पेश होने वाला है. जिसे लेकर योगी सरकार कई दिनों से तैयारियों में जुटी है, लेकिन इन सबके बीच यह जानना भी भेज जरूरी है कि पिछले बजट में किए गए वादे क्या अब तक पूरे हो पाए हैं? इन वादों में वाराणसी के लिए करीब 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत में संस्कृति केंद्र के निर्माण का प्लान भी रखा गया था.

बजट पास हुए एक साल पूरे होने के बाद अब सांस्कृतिक केंद्र को लेकर क्या कवायद हुई और कहां तक पहुंचा है यह काम. सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने अबतक हुई पूरी कवायद पर नजर डाली, जिसमे यह बातें स्पष्ट तौर पर सामने आई कि काम तो शुरू हो गया है, लेकिन अब तक संस्कृति केंद्र की रूपरेखा को लेकर कोई भी प्लान तैयार नहीं है.

वाराणसी में संस्कृति केंद्र निर्माण पर सरकार की कछुआ चाल

पुरानी है सांस्कृतिक केंद्र निर्माण की मांग

2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही राज्य में धर्म संस्कृति और उससे जुड़े पर्यटन स्थल के विकास का खाका खींचा जाने लगा. दरअसल, सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए संगीतकारों ने कई बार सरकार से आग्रह किया था. योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से माना जा रहा था कि संगीतकारों की वर्षों पुरानी मांग अब पूरी होने वाली है. सरकार ने धर्म, संस्कृति और संगीत के तीर्थ काशी नगरी में सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी और बजट में इसके लिए अलग से धनराशि का प्रवधान भी रखा.

सरकार ने अपने सभी सालाना बजट में इन क्षेत्रों के लिए धनराशि का प्रवाधान भी किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इसकी मॉनिटिरिंग करते रहे, लेकिन इनमें सबसे अहम वाराणसी में सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना पर सरकार की चाल कछुए से भी मंद रही. बीते साल के बजट में सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण के लिए करीब 200 करोड़ के बजट रखा गया, लेकिन इसके निर्माण के लिए अभी पूरी तरह से भूमि तक का भी अधिग्रहण नहीं हो पाया है.

पर्यटन विभाग को मिली जिम्मेदारी

दरअसल, पिछले बजट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में वाराणसी में संस्कृति केंद्र खोले जाने को लेकर सहमति बनी थी. बजट में इसे लेकर 200 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया और जल्द ही इस पर काम शुरू करने की तैयारी भी हुई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण निगरानी सीधे दिल्ली यानी प्रधानमंत्री कार्यालय से हो रही है, क्योंकि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में संस्कृति केंद्र का प्लान बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसके लिए जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को सौंपी गई है और काम तेजी से आगे बढ़े इसे लेकर जमीन की खरीद-फरोख्त भी शुरू हो चुकी है.

पिंडरा के इस गांव में खरीदी गई जमीन

सरकार की तरफ से पिछले बजट में संस्कृति केंद्र के प्रावधान को लेकर पर्यटन विभाग ने पहली स्टेज की तैयारियों को अमली जामा पहना दिया. इस बारे में पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने बताया है कि पिंडरा के नागापुर गांव में 250 एकड़ से ज्यादा जमीन की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी गई है. कुल 256 एकड़ जमीन खरीदनी है. जिसके लिए 296 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. 296 करोड़ों की धनराशि में से अब तक 228 करोड़ों रुपये खर्च करते हुए हैं, 228 एकड़ भूमि क्रय की जा चुकी है.

वाराणसी में संस्कृति केंद्र निर्माण
वाराणसी में संस्कृति केंद्र निर्माण

शेष बची भूमि को भी किसानों से बातचीत के आधार पर धीरे-धीरे क्रय किया जा रहा है और उम्मीद है कि 1 से 2 महीने के अंदर जितनी जमीन की जरूरत है वह विभाग को मिल जाएगी और जल्द इस पर काम भी शुरू हो जाएगा. फिलहाल जो जमीन खरीदी गई है, उस पर बाउंड्री वॉल उठाने का काम भी शुरू हो चुका है और जल्द ही यहां पर बोर्ड लगा कर निर्माण कार्य शुरू होगा. जिसकी अनुमति सीधे शासन स्तर से मिलनी है.

कैसा होगा संस्कृति केंद्र नहीं है कोई प्लान

अधिकारिक सूत्रों की माने तो संस्कृति केंद्र को लेकर सरकार का प्लान तो क्लियर है, यहां क्या बनेगा क्या नहीं बनेगा इसे लेकर अब तक कोई प्लान आगे नहीं बढ़ सका है, लेकिन माना जा रहा है यहां देश की संस्कृति और सभ्यता के अनुरूप कुछ भव्य और बेहतर तरीके से चीजें बनाई जा सकती हैं. जिनमें मैडम तुसाद म्यूजियम या फिल्म सिटी के अलावा अन्य कोई भी चीज तैयार कराई जा सकती है, लेकिन अभी तक यह प्लान सिर्फ कागजों में हैं. जमीन खरीद-फरोख्त के बाद अब संस्कृति केंद्र की रूपरेखा तैयार करने का काम सरकार शुरू करेगी.

इस बजट में भी मिल सकता है कुछ और

माना जा रहा है इस बजट में भी यहां काम के लिए और पैसे का प्रावधान किया जा सकता है, क्योंकि यह पूरा प्रोजेक्ट 200 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 1000 करोड़ रुपये तक का हो सकता है. शुरुआती दौर में 200 करोड़ रुपये के प्रावधान की बात कही गई है, लेकिन अब तक सिर्फ 296 करोड रुपये की जमीन की खरीद-फरोख्त ही की जा रही है. निर्माण के लिए अभी धनराशि आवंटित होना बाकी है और जल्द ही इस दिशा में काम शुरू किया जा सकता है.

वाराणसीः एक फरवरी को पेश हुए आम बजट के बाद देश में मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली, वहीं जल्द ही उत्तर प्रदेश का भी बजट पेश होने वाला है. जिसे लेकर योगी सरकार कई दिनों से तैयारियों में जुटी है, लेकिन इन सबके बीच यह जानना भी भेज जरूरी है कि पिछले बजट में किए गए वादे क्या अब तक पूरे हो पाए हैं? इन वादों में वाराणसी के लिए करीब 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत में संस्कृति केंद्र के निर्माण का प्लान भी रखा गया था.

बजट पास हुए एक साल पूरे होने के बाद अब सांस्कृतिक केंद्र को लेकर क्या कवायद हुई और कहां तक पहुंचा है यह काम. सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने अबतक हुई पूरी कवायद पर नजर डाली, जिसमे यह बातें स्पष्ट तौर पर सामने आई कि काम तो शुरू हो गया है, लेकिन अब तक संस्कृति केंद्र की रूपरेखा को लेकर कोई भी प्लान तैयार नहीं है.

वाराणसी में संस्कृति केंद्र निर्माण पर सरकार की कछुआ चाल

पुरानी है सांस्कृतिक केंद्र निर्माण की मांग

2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही राज्य में धर्म संस्कृति और उससे जुड़े पर्यटन स्थल के विकास का खाका खींचा जाने लगा. दरअसल, सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए संगीतकारों ने कई बार सरकार से आग्रह किया था. योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से माना जा रहा था कि संगीतकारों की वर्षों पुरानी मांग अब पूरी होने वाली है. सरकार ने धर्म, संस्कृति और संगीत के तीर्थ काशी नगरी में सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी और बजट में इसके लिए अलग से धनराशि का प्रवधान भी रखा.

सरकार ने अपने सभी सालाना बजट में इन क्षेत्रों के लिए धनराशि का प्रवाधान भी किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इसकी मॉनिटिरिंग करते रहे, लेकिन इनमें सबसे अहम वाराणसी में सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना पर सरकार की चाल कछुए से भी मंद रही. बीते साल के बजट में सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण के लिए करीब 200 करोड़ के बजट रखा गया, लेकिन इसके निर्माण के लिए अभी पूरी तरह से भूमि तक का भी अधिग्रहण नहीं हो पाया है.

पर्यटन विभाग को मिली जिम्मेदारी

दरअसल, पिछले बजट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में वाराणसी में संस्कृति केंद्र खोले जाने को लेकर सहमति बनी थी. बजट में इसे लेकर 200 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया और जल्द ही इस पर काम शुरू करने की तैयारी भी हुई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण निगरानी सीधे दिल्ली यानी प्रधानमंत्री कार्यालय से हो रही है, क्योंकि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में संस्कृति केंद्र का प्लान बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसके लिए जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को सौंपी गई है और काम तेजी से आगे बढ़े इसे लेकर जमीन की खरीद-फरोख्त भी शुरू हो चुकी है.

पिंडरा के इस गांव में खरीदी गई जमीन

सरकार की तरफ से पिछले बजट में संस्कृति केंद्र के प्रावधान को लेकर पर्यटन विभाग ने पहली स्टेज की तैयारियों को अमली जामा पहना दिया. इस बारे में पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने बताया है कि पिंडरा के नागापुर गांव में 250 एकड़ से ज्यादा जमीन की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी गई है. कुल 256 एकड़ जमीन खरीदनी है. जिसके लिए 296 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. 296 करोड़ों की धनराशि में से अब तक 228 करोड़ों रुपये खर्च करते हुए हैं, 228 एकड़ भूमि क्रय की जा चुकी है.

वाराणसी में संस्कृति केंद्र निर्माण
वाराणसी में संस्कृति केंद्र निर्माण

शेष बची भूमि को भी किसानों से बातचीत के आधार पर धीरे-धीरे क्रय किया जा रहा है और उम्मीद है कि 1 से 2 महीने के अंदर जितनी जमीन की जरूरत है वह विभाग को मिल जाएगी और जल्द इस पर काम भी शुरू हो जाएगा. फिलहाल जो जमीन खरीदी गई है, उस पर बाउंड्री वॉल उठाने का काम भी शुरू हो चुका है और जल्द ही यहां पर बोर्ड लगा कर निर्माण कार्य शुरू होगा. जिसकी अनुमति सीधे शासन स्तर से मिलनी है.

कैसा होगा संस्कृति केंद्र नहीं है कोई प्लान

अधिकारिक सूत्रों की माने तो संस्कृति केंद्र को लेकर सरकार का प्लान तो क्लियर है, यहां क्या बनेगा क्या नहीं बनेगा इसे लेकर अब तक कोई प्लान आगे नहीं बढ़ सका है, लेकिन माना जा रहा है यहां देश की संस्कृति और सभ्यता के अनुरूप कुछ भव्य और बेहतर तरीके से चीजें बनाई जा सकती हैं. जिनमें मैडम तुसाद म्यूजियम या फिल्म सिटी के अलावा अन्य कोई भी चीज तैयार कराई जा सकती है, लेकिन अभी तक यह प्लान सिर्फ कागजों में हैं. जमीन खरीद-फरोख्त के बाद अब संस्कृति केंद्र की रूपरेखा तैयार करने का काम सरकार शुरू करेगी.

इस बजट में भी मिल सकता है कुछ और

माना जा रहा है इस बजट में भी यहां काम के लिए और पैसे का प्रावधान किया जा सकता है, क्योंकि यह पूरा प्रोजेक्ट 200 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 1000 करोड़ रुपये तक का हो सकता है. शुरुआती दौर में 200 करोड़ रुपये के प्रावधान की बात कही गई है, लेकिन अब तक सिर्फ 296 करोड रुपये की जमीन की खरीद-फरोख्त ही की जा रही है. निर्माण के लिए अभी धनराशि आवंटित होना बाकी है और जल्द ही इस दिशा में काम शुरू किया जा सकता है.

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