वाराणसी: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर काशी के घाट हर-हर गंगे महाजाप से गूंज उठें. सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की ओर से मां गंगा की महाआरती की जाती है. जहां इस बार मां गंगा के तट से महिला सशक्तिकरण की एक नई कहानी लिखी गई. जिसके तहत काशी के इतिहास में पहली बार 5 कन्याओं के द्वारा महाआरती का नेतृत्व कर मां गंगा की आरती उतारी गई.
5 कन्याओं संग 21 बटुकों ने उतारी मां गंगा की आरती
शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के दिन दशाश्वमेध घाट स्थित गंगोत्री सेवा समिति ने आरती के इतिहास में एक नया अध्याय का सृजन किया. जहां काशी में 30 साल पहले शुरू किए गए गंगा आरती का इस वर्ष नेतृत्व 5 कन्याओं ने किया. इस दौरान महिला अर्चक ने बताया कि ये हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हमे मां की आरती करने का अवसर मिला है. उन्होंने बताया की आज इस आरती से नारी शक्ति के सम्मान और उनके बढ़ते कदम की अगुआई के लिए एक नजीर पेश कर नारी सशक्तिकरण का संदेश दिया. विदित हो कि इस दौरान इस वर्ष के आयोजन में 21 बटुकों संग 42 रिद्धि सिद्धि द्वारा गंगा महाआरती की गई.
51 लीटर दूध से प्रतिमा का हुआ अद्भुत श्रृंगार
मुख्य अर्चक ने बताया कि आज पूजन के क्रम में 51 लीटर दूध से अभिषेक किया गया. इसके साथ ही समूचे घाट की आकर्षक सजावट के साथ ही मां गंगा की 108 किलो की अष्टधातु की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार 108 किलो फूलों से किया गया. जिसमें कलकत्ता से मंगाए गए 70 किलो विदेशी फूल संग देशी फूलों का भी समावेश रहा. उन्होंने बताया कि इसी क्रम में 5 बेटियों के नेतृत्व में मां गंगा की महाआरती के साक्षी हजारों श्रद्धालुओं ने बेटियों के जन्म में सहायक और उनके सम्मान का संकल्प दुहराया.
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