वाराणसी: एक दौर था जब लोग अपने घरों में भोजन पकाने से लेकर परोसने तक के लिए मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे. बदलते तौर तरीकों की वजह से मिट्टी के बर्तन केवल मटकी और चाय पीने वाले कुल्हड़ तक ही सीमित रह गए. मिट्टी के बर्तनों की जगह लोगों ने स्टील, ऐलुमीनियम और नॉन स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, लेकिन मिट्टी के बर्तन अब फिर से ट्रेंड में हैं. मिट्टी के बर्तनों में बने खाने में पोषक तत्व भी मौजूद रहते हैं, जिससे स्वास्थ्य के लिहाज यह काफी फायदेमंद हैं.
आजकल दो प्रकार के मिट्टी के बर्तन ट्रेंड में हैं. एक हाथ से बनाए हुए तो दूसरे सांचे में ढले हुए मिट्टी के बर्तन. सांचे में ढले मिट्टी के बर्तनों में मिट्टी के फ्रिज, वॉटर कूलर, कढ़ाई, मिट्टी का तवा जैसे अनेक ऐसे बर्तन बनाए जा रहे हैं, जो बेहद ही खूबसूरत और मनमोहक हैं. इस समय वाराणसी में मिट्टी के बर्तनों की डिमांड खूब है. इन बर्तनों को वाराणसी के साथ-साथ देश के विभिन्न राज्यों समेत विदेशों में भी भेजा जा रहा है.
स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं मिट्टी के बर्तन
मिट्टी के बर्तन स्वास्थ्य के लिहाज से काफी अच्छे माने जाते हैं. इन बर्तनों में पकाया गया खाना स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है. स्टील या एल्युमिनियम के बर्तनों में खाना बनने के बाद उसका पोषक तत्व समाप्त हो जाता है, लेकिन मिट्टी के बर्तनों में बनाया हुआ खाना स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होता है. इसमें पोषक तत्व हमेशा बरकरार रहता है. इन बर्तनों में खाना खाने से कैल्शियम, आयरन, जिंक जैसे तमाम पोषक तत्व मिलते हैं.
वाराणसी में मिट्टी के बर्तनों की है डिमांड
वाराणसी से मिट्टी के बर्तनों की सप्लाई करने वाले शरद मिट्टी क्राफ्ट के ओनर शरद श्रीवास्तव ने बातचीत में बताया कि इन दिनों मिट्टी के बर्तनों की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ी है. उन्होंने बताया कि कोरोना में लोग पौष्टिक खाना पसंद कर रहे हैं और इसी को लेकर कि वह मिट्टी के बर्तनों की डिमांड भी कर रहे हैं. शरद श्रीवास्तव ने बताया कि इन दिनों सबसे ज्यादा मिट्टी के फ्रिज, मिट्टी के वाटर कूलर, कुकर और तवा की बहुत डिमांड है.
उन्होंने बताया कि उनको यह आइडिया प्रधानमंत्री के सिंगल प्लास्टिक यूज की थीम से आया. उन्होंने बताया कि मिट्टी का फ्रिज अमूमन 4000 से शुरू होता है, बाकी सभी बर्तन 150 रुपये से शुरू होकर 1500 तक के होते हैं. खास बात यह है कि मिट्टी का फ्रिज बिना इलेक्ट्रिसिटी के चलता है, इससे बिजली की भी बचत होती है.