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पीएम के सपने को निगम लगा रहा पलीता, काशी की सड़कों पर दौड़ रहे साइकिल रिक्शा - वाराणसी की खबरें

वाराणसी में ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए साइकिल रिक्शा की जगह ई रिक्शा को सड़क पर उतारा था. फिर भी वाराणसी की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है. प्रतिबंधित होने के बाद भी सड़क पर साइकिल रिक्शा दौड़ते हुए मिल रहे हैं. वहीं, बैटरी रिक्शा की भी शहर में खूब भरमार है.

बनारस की ट्रैफिक व्यवस्था
बनारस की ट्रैफिक व्यवस्था
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Published : Mar 27, 2023, 8:11 PM IST

बनारस की सड़कों पर लगातार चल रहे साइकिल रिक्शे.

वाराणसी: बनारस की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है. कभी किसी रूट पर ई-रिक्शा प्रतिबंधित किया जा रहा है, तो कहीं ऑटो के रूट को निर्धारित किया जा रहा है. लेकिन इन सब के बाद भी शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है. इसकके लिए जिम्मेदार कौन है? यह सवाल भी बड़ा है, क्योंकि जिस तरह से व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इनीशिएटिव लिया और उन्होंने जो सपना देखा वह ना ही आज तक पूरा हुआ है और न ही उनके किए गए प्रयासों को प्रशासनिक स्तर पर फलीभूत किया जा सका है.

इसकी बड़ी वजह यह है कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान ही बनारस को ट्रैफिक जाम से मुक्ति दिलाने के लिए पैडल रिक्शा की जगह ई रिक्शा को सड़क पर उतारा था. धीमी-धीमी गति से चलने वाले पैडल रिक्शा की जगह ई रिक्शा सड़क पर आए और जाम से निजात मिलने के साथ लोगों को बेहतर सवारी का आनंद मिले, लेकिन ई रिक्शा की तो सड़क पर भरमार हो ही गई और पैडल रिक्शा भी अब तक सड़क पर ही बने हुए हैं. हालात ये है कि नगर निगम को इन पैडल रिक्शों को हटाने की जिम्मेदारी मिली, लेकिन अब तक नगर निगम अपने को बढ़ाने के चक्कर में इनके लाइसेंस के बल पर ही जोर दे रहा है. इसकी वजह से इन रिक्शों को हटाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है.

दरअसल, वाराणसी में ट्रैफिक जाम की समस्या का कोई निराकरण हो ही नहीं रहा. इसे लेकर लगातार प्लानिंग पर प्राणी बन रही है, लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त होती जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ शहर से पुराने पैडल रिक्शा को हटाने के लिए 1,000 ई रिक्शों का वितरण किया और इसके बाद बनारस में बैटरी रिक्शों की तो बाढ़ आ गई.

वर्तमान समय में वाराणसी में 18,000 से ज्यादा ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं, लेकिन उस वक्त इन ई रिक्शा को पैडल रिक्शा की जगह लेने के लिए कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में बातें बोली थी. उनका उस वक्त कहना था कि यह काफी अमानवीय लगता है जब एक मानव दूसरे मानव को किसी चीज पर बैठा कर खींचता है. यह अमानवीय है और इसे तत्काल हटना चाहिए और इसकी जगह बैटरी वाले रिक्शा को ही संचालित होना चाहिए. इसके बाद प्लान बने, लेकिन आज तक इन पैडल रिक्शों को शहर से नहीं हटाया जा सका है.

सबसे बड़ी बात यह है कि उस वक्त वाराणसी नगर निगम में लगभग 1850 पैडल रिक्शों का लाइसेंस जारी था, जो अब तक रद्द नहीं हुआ. पिछले साल 11 लोगों ने अपने इस लाइसेंस को रिन्यू करवाया और इस बार यह संख्या बढ़कर 1,317 के आसपास है. यानी हर साल की रिक्शे के साथ इन पदों की संख्या भी बनारस की ट्रैफिक व्यवस्था को ध्वस्त करने में बड़ी भूमिका निभा रही है.

हालांकि इस बारे में नगर निगम वाराणसी के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव से बात की तो उनका कहना था कि इस संदर्भ में उन्हें बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है. अगर पैडल रिक्शों को हटाया जाना है तो इसका प्लान ट्रैफिक विभाग तैयार करके दे तो हम कार्रवाई करेंगे. यह नगर निगम बाइलॉज के तहत होता है और हम इसी आधार पर इनको रिन्यू करके लाइसेंस हर साल आगे बढ़ाते हैं. फिलहाल इस संदर्भ में अधिकारियों से बातचीत करके जो भी उचित कार्रवाई होगी की जाएगी.

पढ़ेंः वाराणसी: परिवहन कार्यालय में ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन कराए जाने का विरोध, 10 अक्टूबर को चालक देंगे धरना

बनारस की सड़कों पर लगातार चल रहे साइकिल रिक्शे.

वाराणसी: बनारस की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है. कभी किसी रूट पर ई-रिक्शा प्रतिबंधित किया जा रहा है, तो कहीं ऑटो के रूट को निर्धारित किया जा रहा है. लेकिन इन सब के बाद भी शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है. इसकके लिए जिम्मेदार कौन है? यह सवाल भी बड़ा है, क्योंकि जिस तरह से व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इनीशिएटिव लिया और उन्होंने जो सपना देखा वह ना ही आज तक पूरा हुआ है और न ही उनके किए गए प्रयासों को प्रशासनिक स्तर पर फलीभूत किया जा सका है.

इसकी बड़ी वजह यह है कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान ही बनारस को ट्रैफिक जाम से मुक्ति दिलाने के लिए पैडल रिक्शा की जगह ई रिक्शा को सड़क पर उतारा था. धीमी-धीमी गति से चलने वाले पैडल रिक्शा की जगह ई रिक्शा सड़क पर आए और जाम से निजात मिलने के साथ लोगों को बेहतर सवारी का आनंद मिले, लेकिन ई रिक्शा की तो सड़क पर भरमार हो ही गई और पैडल रिक्शा भी अब तक सड़क पर ही बने हुए हैं. हालात ये है कि नगर निगम को इन पैडल रिक्शों को हटाने की जिम्मेदारी मिली, लेकिन अब तक नगर निगम अपने को बढ़ाने के चक्कर में इनके लाइसेंस के बल पर ही जोर दे रहा है. इसकी वजह से इन रिक्शों को हटाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है.

दरअसल, वाराणसी में ट्रैफिक जाम की समस्या का कोई निराकरण हो ही नहीं रहा. इसे लेकर लगातार प्लानिंग पर प्राणी बन रही है, लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त होती जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ शहर से पुराने पैडल रिक्शा को हटाने के लिए 1,000 ई रिक्शों का वितरण किया और इसके बाद बनारस में बैटरी रिक्शों की तो बाढ़ आ गई.

वर्तमान समय में वाराणसी में 18,000 से ज्यादा ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं, लेकिन उस वक्त इन ई रिक्शा को पैडल रिक्शा की जगह लेने के लिए कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में बातें बोली थी. उनका उस वक्त कहना था कि यह काफी अमानवीय लगता है जब एक मानव दूसरे मानव को किसी चीज पर बैठा कर खींचता है. यह अमानवीय है और इसे तत्काल हटना चाहिए और इसकी जगह बैटरी वाले रिक्शा को ही संचालित होना चाहिए. इसके बाद प्लान बने, लेकिन आज तक इन पैडल रिक्शों को शहर से नहीं हटाया जा सका है.

सबसे बड़ी बात यह है कि उस वक्त वाराणसी नगर निगम में लगभग 1850 पैडल रिक्शों का लाइसेंस जारी था, जो अब तक रद्द नहीं हुआ. पिछले साल 11 लोगों ने अपने इस लाइसेंस को रिन्यू करवाया और इस बार यह संख्या बढ़कर 1,317 के आसपास है. यानी हर साल की रिक्शे के साथ इन पदों की संख्या भी बनारस की ट्रैफिक व्यवस्था को ध्वस्त करने में बड़ी भूमिका निभा रही है.

हालांकि इस बारे में नगर निगम वाराणसी के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव से बात की तो उनका कहना था कि इस संदर्भ में उन्हें बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है. अगर पैडल रिक्शों को हटाया जाना है तो इसका प्लान ट्रैफिक विभाग तैयार करके दे तो हम कार्रवाई करेंगे. यह नगर निगम बाइलॉज के तहत होता है और हम इसी आधार पर इनको रिन्यू करके लाइसेंस हर साल आगे बढ़ाते हैं. फिलहाल इस संदर्भ में अधिकारियों से बातचीत करके जो भी उचित कार्रवाई होगी की जाएगी.

पढ़ेंः वाराणसी: परिवहन कार्यालय में ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन कराए जाने का विरोध, 10 अक्टूबर को चालक देंगे धरना

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