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वाराणसी के श्मशान घाटों का ETV भारत की टीम ने लिया जायजा

बक्सर-गाजीपुर बॉर्डर पर गंगा में उतराते शवों का मामला सामने आने के बाद ETV भारत की टीम ने वाराणसी के श्मशान घाटों का जायजा लिया. देखें रिपोर्ट-

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Published : May 11, 2021, 11:07 AM IST

वाराणसी का श्मशान घाट
वाराणसी का श्मशान घाट

वाराणसी: बक्सर एवं गाजीपुर के बॉर्डर पर गंगा में उतराते शवों के बाद वाराणसी के श्मशान घाटों और गंगा का ETV भारत की टीम ने जायजा लिया. इसके तहत वाराणसी में किस तरह दाह संस्कार कराए जाते हैं, काशी के डोम राजा परिवार से इसकी जानकारी ली गई. जिसमें डोम राजा परिवार के लोगों ने बताया कि हम लोग पूरे विधि विधान से दाहसंस्कार कराते हैं, जिसमें तीन घंटे का समय लगता है.

वाराणसी के श्मशान घाटों पर एक नजर-

पूरी लाश को जलाने का काम किया जाता है

वैश्विक महामारी के कारण संक्रमितों की मौत की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में श्मशान घाटों पर अर्धजली लाशों को नदियों में बहाने का भी मामला सामने आया है. बीते दिन बक्सर एवं गाजीपुर के बॉर्डर स्थित गंगा में उतराते शव मिल थे. जिसके बाद ETV भारत की टीम ने वाराणसी के श्मशान घाटों का जायजा लिया. शव जलाने वाले सिकंदर चौधरी ने बताया कि 'हम लोग भारतीय परंपरा के अनुसार शव जलाने का काम करते हैं. शव को 3 घंटे में जलाया जाता है. अंतिम में बचे थोड़े शव के टुकड़े को गंगा में विसर्जित किया जाता है. हमारी परंपरा के अनुसार थोड़ी मांस के टुकड़े मछली को खाने के लिए दिए जाते हैं, जिससे मृतक के आत्मा को शांति मिलती है.' अर्ध जली लाश के सवाल पर उन्होंने बताया कि 'हम लोगों द्वारा पूरी लाश को जलाने का काम किया जाता है. हरिश्चंद्र घाट पर कभी भी आधी लाश नहीं जलाई जाती है, ना ही गंगा में विसर्जित किया जाता है.'

इसे भी पढ़ें- रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आज आएंगे लखनऊ, दो कोविड अस्पतालों का करेंगे निरीक्षण

अधजली लाश को गंगा में नहीं बहाते

डोम राजा परिवार के सदस्य नन्हें ने बताया कि 'शव को घाट पर लाने के बाद परिजन नहाते हैं. इसके बाद शव को लकड़ी पर सजा कर जलाया जाता है. अंत में थोड़े मांस के टुकड़े गंगा में विसर्जित किए जाते हैं.' अधजली लाश गंगा में बहाने के बारे में उन्होंने बताया कि 'हमारे यहां इस तरह का कोई कार्य नहीं होता है. बहुत से लोगों को देरी होती है, तो लोग छोड़कर चले जाते हैं. हम लोग पूरी तरह शव को जलाने का काम करते हैं.'

वाराणसी: बक्सर एवं गाजीपुर के बॉर्डर पर गंगा में उतराते शवों के बाद वाराणसी के श्मशान घाटों और गंगा का ETV भारत की टीम ने जायजा लिया. इसके तहत वाराणसी में किस तरह दाह संस्कार कराए जाते हैं, काशी के डोम राजा परिवार से इसकी जानकारी ली गई. जिसमें डोम राजा परिवार के लोगों ने बताया कि हम लोग पूरे विधि विधान से दाहसंस्कार कराते हैं, जिसमें तीन घंटे का समय लगता है.

वाराणसी के श्मशान घाटों पर एक नजर-

पूरी लाश को जलाने का काम किया जाता है

वैश्विक महामारी के कारण संक्रमितों की मौत की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में श्मशान घाटों पर अर्धजली लाशों को नदियों में बहाने का भी मामला सामने आया है. बीते दिन बक्सर एवं गाजीपुर के बॉर्डर स्थित गंगा में उतराते शव मिल थे. जिसके बाद ETV भारत की टीम ने वाराणसी के श्मशान घाटों का जायजा लिया. शव जलाने वाले सिकंदर चौधरी ने बताया कि 'हम लोग भारतीय परंपरा के अनुसार शव जलाने का काम करते हैं. शव को 3 घंटे में जलाया जाता है. अंतिम में बचे थोड़े शव के टुकड़े को गंगा में विसर्जित किया जाता है. हमारी परंपरा के अनुसार थोड़ी मांस के टुकड़े मछली को खाने के लिए दिए जाते हैं, जिससे मृतक के आत्मा को शांति मिलती है.' अर्ध जली लाश के सवाल पर उन्होंने बताया कि 'हम लोगों द्वारा पूरी लाश को जलाने का काम किया जाता है. हरिश्चंद्र घाट पर कभी भी आधी लाश नहीं जलाई जाती है, ना ही गंगा में विसर्जित किया जाता है.'

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अधजली लाश को गंगा में नहीं बहाते

डोम राजा परिवार के सदस्य नन्हें ने बताया कि 'शव को घाट पर लाने के बाद परिजन नहाते हैं. इसके बाद शव को लकड़ी पर सजा कर जलाया जाता है. अंत में थोड़े मांस के टुकड़े गंगा में विसर्जित किए जाते हैं.' अधजली लाश गंगा में बहाने के बारे में उन्होंने बताया कि 'हमारे यहां इस तरह का कोई कार्य नहीं होता है. बहुत से लोगों को देरी होती है, तो लोग छोड़कर चले जाते हैं. हम लोग पूरी तरह शव को जलाने का काम करते हैं.'

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